नई दिल्ली:  गुजरात से लेकर उत्तर प्रदेश तक और मध्य प्रदेश से लेकर बिहार तक करेंसी संकट ने हाहाकार मचा रखा है. दावा किया जा रहा है कि देश में पैदा हुए इस करेंसी संकट के पीछे बैंक से पैसा गायब होने वाली एक अफवाह है. जानें देश में कैश की किल्लत के पीछे बैंक से पैसा गायब होने की अफवाह का सच क्या है.


ये अफवाह हो सकती है जिम्मेदार


दरअसल इकनॉमिक टाइम्स अखबार की एक रिपोर्ट में देश के करेंसी संकट के पीछे की वजह बताई जा रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, देश में पैदा हुए करेंसी संकट के पीछे वो अफवाह है जो एफआरडीआई यानि फिनानशियल रेजोल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल को लेकर फैली थी.


तीन महीने पहले यानि पिछले साल दिसंबर 2017 में सोशल मीडिया पर दावा किया गया कि ये वो ही बिल है जो बैंक में जमा आम आदमी के पैसे डुबो देगा. इस बिल को लेकर सोशल मीडिया पर ये कहा गया है कि मोदी सरकार बैंकों को मजबूत बनाने के लिए ऐसा बिल ला रही है, जिससे बैंक में जमा आम जनता के पैसों पर हमेशा खतरा मंडराता रहेगा. दावे के मुताबिक, नए बिल में ऐसे प्रावधान हैं जिनसे बैंक मजबूत होंगे लेकिन बैंक में जमा आम जनता के पैसों की कोई गारंटी नहीं होगी.


अब इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक देश में करेंसी संकट खड़ा होने के पीछे इस बिल लेकर फैलाई गई ये अफवाह ही जिम्मेदार हो सकती है.



क्या मोदी सरकार के एफआरडीआई बिल से जुड़ी अफवाह जिम्मेदार है?


बिहार की राजधानी पटना में देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के बिहार जोन के पीआरओ यानि जन संपर्क अधिकारी मिथलेश कुमार का कहना है कि बैंक में जमा होने वाले कैश में कमी आई है.


नोटबंदी से पहले यानि नवंबर 2016 से पहले देश में  17 लाख 97 हजार करोड़ कैश मौजूद था. 31 मार्च 2017 तक देश में 13 लाख 35 हजार करोड़ मौजूद था और 6 अप्रैल 2018 तक देश में 18 लाख 17 हजार करोड़ मौजूद था. यानि नोटबंदी के बाद से भी ज्यादा कैश बाजार में मौजूद है.


मध्य प्रदेश के वित्त मंत्री जयंत मलैया ने कहा, ‘’इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि लोग बचत के लिए या किसी मकसद के लिए पैसे अपने पास भी रख रहे हैं. हो सकता है कि कोई शरारत भी हो. कुछ कहा नहीं जा सकता.’’


स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन रजनीश कुमार सिन्हा ने बताया, ‘’आदर्श स्थिति में ATM availaibility 92 प्रतिशत से ज्यादा नहीं जाती है. आजकल की स्थिति के हिसाब से 84 से 88 प्रतिशत की औसत availibility है.  जहां तक कैश का सवाल है पिछले 15-20 दिन में कुछ राज्यों में पैसे की निकासी और पेमेंट ज्यादा हुए हैं और उतना कैश वापस सिस्टम में नहीं आया है. तो उस कैश को भी वापस सिस्टम में आने की जरूरत है.’’


देश के वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने बताया कि कैश की किल्लत को ठीक करने के लिए कमेटी का गठन कर दिया गया है.  कैश की कमी है,  रिजर्व बैंक अपने स्तर पर आंकलन कर रहा है कि कुछ राज्यों में अधिक हो गया है और कुछ में कमी हो गई है. उसी को ठीक करने के लिए वित्त विभाग ने एक कमेटी बनाई है.


बैंकिंग एक्सपर्ट वीके सूरी ने बताया, ‘’एक कारण नहीं है इंश्योरेंस बिल. कई कारण हैं जिसकी वजह से ये कमी हुई है. कोई भी कारण रहा हो लेकिन ये रातों रात नहीं हुआ है. जिस-जिस राज्य में RBI का करंसी चेस्ट है, उस चेस्ट में पता लगता है कि शॉर्टेज आ रही है और मांग ज्यादा है. तो जब पिठले 10-15 दिन से डिमांड ज्यादा है और हमारे पास सप्लाई कम है तो उसी वक्त अलार्म क्यों नहीं रेज किया गया. उस वक्त क्यों नहीं बताया गया कि कमी हो रही है.’


भारत सरकार के इकोनमी अफेयर्स सेक्रेटरी सुभाष चंद्र गर्ग ने बताया, ‘’FRDI अभी प्रक्रिया में चल रहा है.  FRDI बिल अभी आया भी नहीं है. वो पहले जब इंट्रोड्यूस हुआ था उस समय समिति में चर्चा हो रही थी. अभी 3-4 महीने से तो FRDI के बारे में कोई चर्चा नहीं है. FRDI को लेकर कोई अफवाह उड़ाई जाए तो उसका कोई आधार नहीं है.’’


भारत सरकार के वित्तीय मामलों के सचिव ने इस बात से साफ इंकार किया कि करेंसी संकट के पीछे एफआरडीआई बिल से जुड़ी अफवाह का कोई लेना-देना है.  बता दें कि ये बिल ग्राहकों की जमा को और सुरक्षा देने के मकसद लाया जा रहा है. बिल का मकसद है बैंक के दिवालिया होने की सूरत में जमाकर्ताओं की रकम को और सुरक्षित बनाना. इसलिए हमारी पड़ताल में बैंक से पैसा गायब होने की अफवाह की वजह से करेंसी संकट पैदा होने का दावा झूठा साबित हुआ है.



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