यूपीए सरकार में बैंकिंग घोटाले के जन्म का वायरल सच
घोटाले की परतें खुली तो पता चला कि घोटाले को अंजाम देने वाला नीरव मोदी तो पहले ही देश छोड़कर फरार हो चुका है. इसके बाद ये बहस शुरू हुई कि घोटाला हुआ किसकी सरकार में.
नई दिल्लीः देश के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले को अंजाम देने वाला नीरव मोदी कहां है ये कोई नहीं जानता. लेकिन साढ़े ग्यारह हजार करोड़ के घोटाले के सूत्रधार से लेकर घोटाले के जन्म तक सोशल मीडिया पर कई दावे किए जा रहे हैं. ताजा दावा ये है कि हीरा कारोबारी नीरव मोदी के इस बैंकिंग घोटाले का जन्म यूपीए यानि मनमोहन सिंह की सरकार में हुआ था. लेकिन वॉट्सऐप पर कहानी सुनाते इस मैसेज का सच क्या है ये आपको यहां पता चलेगा
14 फरवरी से पहले किसी को कानोंकान खबर भी नहीं थी कि देश की नाक के नीचे इतने बड़े घोटाले को अंजाम दिया जा रहा है. पूरा सिस्टम इस बात से बेखबर था कि देश के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक पंजाब नेशनल बैंक को साढ़े ग्यारह हजार करोड़ का चूना लगाया जा चुका है और ये खेल बिना रुके चल रहा है
घोटाले की परतें खुली तो पता चला कि घोटाले को अंजाम देने वाला नीरव मोदी तो पहले ही देश छोड़कर फरार हो चुका है. इसके बाद ये बहस शुरू हुई कि घोटाला हुआ किसकी सरकार में. यूपीए की सरकार में या फिर एनडीए की सरकार में? सोशल मीडिया पर इस बहस पर विराम देने की नीयत के साथ एक मैसेज पेश किया गया है जो पूरे घटनाक्रम को सिलसिलेवार तरीके से बताने के बाद ये दावा कर रहा है कि घोटाले का जन्म मनमोहन सरकार में हुआ था.
वॉट्सऐप पर घूम रहे इस वायरल मैसेज में मुख्य रूप से चार दावे किए जा रहे हैं
पहला दावा- 31 दिसंबर 2017 को नीरव मोदी के आदमी पंजाब नेशलन बैंक की ब्रांच में एक नए एलओयू के लिए आए. एलओयू यानि विदेश में लोन मिलने की गारंटी देने वाला लेटर. पुराना अफसर गोकुलनाथ रिटायर हो चुका था इसलिए नए अफसर ने प्रॉपर्टी की डिटेल पूछी. डिटेल्स पूछने पर नीरव मोदी के आदमी नाराज हुए. तो अफसर ने कहा पुराने एलओयू दिखाओ इसी आधार पर नए बना दूंगा. लेकिन पुराने एलओयू दिखाते ही जब बैंक के सिस्टम में चेक किया गया तो एक भी एलओयू की एंट्री नहीं थी. यहीं से घोटाले की आशंका हुई और बैंक बोर्ड को इसकी सूचना दी गई
दूसरा दावा-1 जनवरी को नीरव मोदी देश छोड़कर फरार हो गया. दावे के मुताबिक 1 जनवरी को नीरव मोदी को आरोपी नहीं बनाया गया था.
तीसरा दावा- करीब 1 महीने की आंतरिक जांच के बाद बैंक ने पूरी जानकारी सीबीआई को दी और इसी जानकारी के आधार पर 31 जनवरी को एफआईआर दर्ज की गई. बैंक की रिपोर्ट ईडी यानि प्रवर्तन निदेशालय को गई और इसके बाद 14 फरवरी से छापेमारी हुई जिसमें 6400 करोड़ के हीरे और सम्प्पति जब्त हुई.
वायरल मैसेज में यहां तक तो नीरव मोदी पर शिकंजा कसे जाने का लेखा-जोखा है लेकिन तीन दावों के बाद चौथा दावा बेहद चौंकाने वाला है.
चौथा दावा- 2011 में कांग्रेस की सरकार थी. मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी और चिदंबरम की सरपरस्ती में ये घोटाला शुरू हुआ. दावे के मुताबिक घोटाले में नीरव मोदी की मदद करने वाल गोकुल शेट्टी तब के एक कांग्रेसी मंत्री का रिश्तेदार है. आगे लिखा है 2013 में नीरव मोदी के ब्राइडल शोरूम के उद्घाटन में राहुल गांधी भी गए थे.
मैसेज के मुताबिक देश के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले का जन्म यूपीए सरकार में हुआ था. लेकिन तारीखों और आंकड़ों में लपेट कर तैयार किया गया ये मैसेज कितना सच है ये किसी को नहीं पता था. जब एबीपी न्यूज ने अपनी पड़ताल शुरू की तो अब आपको बारी-बारी हर दावे का सच बताया जाएगा.
वायरल मैसेज में किए गया पहला दावा
वायरल मैसेज में घोटाला खुलने की जो प्रक्रिया बताई गई है वो करीब करीब सही है लेकिन तारीखों में थोड़ा हेर-फेर है. घोटाले खुलने के बाद 15 फरवरी पंजाब नेशनल बैंक के अधिकारियों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी जिसमें उन्होंने मामला कब खुला और एफआईआर कब ये तफ्सील से बताया था.
दूसरा दावा सच है कि नीरव मोदी 1 जनवरी को ही देश छोड़कर भागा था.
तीसरा दावा- एफआईआर 29 जनवरी को दर्ज हुई. और प्रवर्तन निदेशालय लगातार छापेमारी कर रहा है और करीब 5716 करोड़ की संपत्ति जब्त की जा चुकी है आंकड़ों में थोड़ा फर्क है लेकिन मोटामोटी ये दावा भी सच है.
चौथा दावा- क्या यूपीए सरकार के वक्त ही देश के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले का जन्म हुआ?
घोटाला कब शुरू हुआ इसका जवाब प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक करनैल सिंह ने दिया. ईडी के निदेशक ने बताया कि मार्च 2011 में पहला एलओयू जारी हुआ. यानि घोटाले की नींव साल 2011 में पड़ी. जब देश में मनमोहन सिंह की सरकार थी.
एबीपी न्यूज की पड़ताल में सामने आया देश के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले का जन्म मनमोहन सरकार में हुआ था लेकिन 2011 में शुरू हुआ ये घोटाला मोदी सरकार में भी जारी रहा. गिरफ्तार हो चुके गोकुल शेट्टी को कांग्रेस के पूर्व मंत्री का रिश्तेदार बताया जा रहा है लेकिन अभी तक की जांच में ऐसा कोई कनेक्शन सामने नहीं आया है.
लेकिन ये साफ है कि अगर गोकुल शेट्टी रिटायर नहीं होता ये घोटाला आगे भी जारी रहता क्योंकि घोटाला सरकार की मुस्तैदी से नहीं बल्कि गोकुलशेट्टी के कुर्सी से हटने के बाद खुला है. हमारी पड़ताल में यूपीए सरकार में बैंकिंग घोटाले के जन्म का दावा सच साबित हुआ है.