नई दिल्ली: एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. ये तस्वीर आपने फेसबुक, वॉट्सऐप या फिर ट्विटर पर देखी होगी. ये सोशल मीडिया पर घूम रही वो तस्वीर है जिसके बारे में दावा है कि ये मानसिक अपहरण कर लेती है. एक लड़की के चेहरे सी दिखाई दे रही इस तस्वीर के बारे में दावा है कि ये आपके दिमाग को अपना गुलाम बना लेती है. ये तस्वीर दिमाग को अपना गुलाम कैसे बनाती है वो तरीका इसमें लिखा हुआ है.


वायरल तस्वीर में क्या दिख रहा है ?


तस्वीर के साथ लिखा है, इस फोटो के नाक के पास बने 3 बिंदुओं को 10 सेकेंड तक बिना पलक झपकाए ध्यान से देखें. फिर एकदम से छत की तरफ 20 सेकेंड तक ध्यान से देखें. ध्यान रहे छत की ओर 20 सेकेंड से पहले नजर नहीं हटानी है और फिर जो महसूस हो वो सबको बताएं.


क्या ये सम्मोहन है या कोई जादू?


ये आंखों का भ्रम है या फिर कोई कल्पना ? क्योंकि जब आप 10 सेकेंड तक वायरल तस्वीर को देखने के बाद छत पर या खाली दीवार पर देखते हैं तो आपको एक लड़की दिखाई देती है. लेकिन ये कैसे हो रहा है? बाकी तस्वीरों के साथ ऐसा क्यों नहीं होता? अगर आप कुर्सी, टेबल, टीवी जमीन, पानी इन सबको दस क्या 20 सेकेंड तक भी लगातार देखेंगे तो भी छत पर देखने पर आपको कुछ दिखाई नहीं देता फिर इस तस्वीर में ऐसा क्या है?


हर जगह ऐसा क्यों नहीं होता? क्या ये सम्मोहन है? क्या ये किसी तरह का कोई जादू है? क्या ये आंखों का भ्रम है? या फिर ये विज्ञान की एक गुत्थी है. आखिर एक अधूरी तस्वीर को 10 सेकंड निहारने के बाद अगले 20 सेकंड में हमारी आंखें उसे पूरी होती देख पा रही हैं ? क्या इस तस्वीर का संबंध हमारे दिमाग के किसी फितूर से है ? आप कहेंगे ये क्या बात हुई ?


क्या कहते हैं मनोचिकित्सक ?


मनोचिकित्सक डॉक्टर सुनील मित्तल के मुताबिक ये एक ऑप्टिकल फिलोमेना है. जिसे परसिस्टेंस ऑफ इमेज कहते हैं. या फिर आफ्टर इमेज कहते हैं. अगर लगातार एक ही इमेज को कॉन्संट्रेट करके देखें तो वो इमेज हमारी रेटिना के फोटोशेल्स पर क्रिएट होती है और वो नर्व के जरिए ब्रेन के विजन सेंटर में जाती है. जब ये इमेज हट भी जाती है तो रेटिना के सेल्स इसे कैरी करते रहते हैं. तो जो ब्रेन में इमेज है वो परसिस्ट करती है. इसके चलते आंखों के सामने से वो सीन हट भी गया हो तो कुछ देर के लिए ब्रेन के पर्दे पर इमेज बनी रहती है.


यहां देखें सम्मोहन गर्ल का वायरल सच ?



क्या कहते हैं सम्मोहन विद्या के जानकार ?


सम्मोहन विद्या के जानकार डॉ जीएस विवेक ने बताया कि जब एक व्यक्ति दूसरे को सम्मोहित करता है तो वो उसके दिमाग को कमांड करता है. कमांड के बाद उसके दिमाग को एक दिशा देता है और दिमाग उन निर्देशों को फॉलो करके उस तरह से काम करता है.



क्या कहते हैं ग्राफिक्स डिजायनर ?


ग्राफिक्स डिजायनर बिजेंद्र सोनी के मुताबिक ये कोई मैजिक या जादू नहीं है, सब कलर कॉम्बिनेशन का खेल है. किसी पर असर डालने के लिए ऐसे ही कलर से खेला जाता है. अगर तस्वीर का बैकग्राउंड चेंज कर दें तो सारा असर खत्म हो जाता है और तस्वीर नार्मल हो जाएगी. यानी इस तस्वीर में बैकग्राउंड का कलर जोकि डार्क है उसे हटा दिया जाए तो फिर ये कुछ भी नहीं है.


क्या कहते हैं नेत्र विशेषज्ञ ?


नेत्र विशेषज्ञ डॉक्टर अमित सिंघल के मुताबिक जब भी दो क्रॉन्ट्रास्टिंग रंग आप देखते है, जिसमें से एक डार्क और एक हल्का होता है. डार्क रंग का जो पार्ट है उसके फोटोरिसेप्टर की केमिकल रिएक्शन करने वाले केमिकल खत्म होने लगते हैं, तो हमें सब कुछ लाइट बैकग्राउंड में दिखने लगता है.


वॉट्सऐप पर भी तस्वीरें वायरल हो रही हैं उसमें एक हिस्सा डार्क होता है और दूसरा लाइट. डार्क वाले हिस्से को कुछ समय देखने के बाद वो हल्का पड़ जाता है. उसके बाद जब हम किसी हल्के रंग वाली जगह पर फोकस करते हैं तो वो वहां डार्क दिखने लगता है और जो डार्क था वो हल्का. यानी आंखें और दिमाग इस पूरी प्रक्रिया को उसी तरह पूरा करते हैं जैसे कैमरे की रील से फोटो को डेवलेप करके बनाया जाता है.



क्या है वायरल तस्वीर का सच?


हमारी पड़ताल में सोशल मीडिया पर पहले धुंधली और फिर तीस सेकंड के भीतर साफ दिखने वाली लड़की की तस्वीर सच साबित हुई है. लेकिन ये बात भी निकल कर आई कि धुंधली तस्वीर को देखने के बाद नजर आने वाली पूरी लड़की की फोटो के पीछे कोई दिमागी फितूर नहीं है. ना ही कोई सम्मोहन इसके पीछे वजह है. ये सीधा सा विज्ञान है. जिसका इस्तेमाल स्कूली छात्रों को जटिल सिद्धांत समझाने में आसानी से किया जा सकता है.