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जानें- क्या है ‘कमल का फूल हमारी भूल’ का वायरल सच?
इस बिल के सबसे नीचे वाले हिस्से पर एक संदेश लिखा है, ‘कमल का फूल हमारी भूल’. इसीलिए ही ये बिल सोशल मीडिया पर छाया हुआ है. दावा है कि ये बिल गुजरात के कपड़ा व्यापारियों ने छपवाया है.

नई दिल्ली: एक बिल इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. इस बिल पर लिखा है, ‘‘कमल का फूल हमारी भूल’’. दावा है कि ये बिल गुजरात के व्यापारियों ने छपवाया है जो जीएसटी लागू होने से काफी परेशान है और इसलिए कमल के फूल को अपनी भूल बताकर विऱोध जाहिर कर रहे हैं.
क्या है ‘कमल का फूल हमारी भूल’ का वायरल सच
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा ‘कमल का फूल हमारी भूल’ बिल गुजरात चुनाव से पहले व्यापारियों का मत बताने का दावा कर रहा है. ये बिल गुजरात के 70,000 कपड़ा व्यापारियों का वोट किसको जाएगा ये बताने का दावा कर रहा है.
बिल के वायरल होने की क्या वजह है?
सफेद कागज पर प्रिटेंड इस बिल के एक तरफ दो अलग-अलग बैक अकाउंट की डिटेल है और दोनों बैंक की ब्रांच का पता रिंग रोड का टेक्सटाइल मार्केट है, लेकिन किस शहर का ये नहीं लिखा है. बिल के दूसरी तरफ अमाउंट की जगह 8228 रूपए लिखा है और नीचे आईजीएसटी के बॉक्स में 5 फीसदी लिखा है जो कि 8228 पर 411 रूपए दिखा रहा है. जीएसटी लगने के बाद पहले जो बिल 8228 का था वो बढ़कर 8640 रूपए का हो जाता है.
इस बिल के सबसे नीचे वाले हिस्से पर एक संदेश लिखा है, ‘कमल का फूल हमारी भूल’. इसीलिए ही ये बिल सोशल मीडिया पर छाया हुआ है.
दावा है कि ये बिल गुजरात के कपड़ा व्यापारियों ने छपवाया है जो जीएसटी के झंझट से इतने परेशान हो चुके हैं कि 2014 में मोदी जी को वोट देकर बीजेपी की सरकार लाने को अपनी भूल बता रहे हैं. दावा है कि इस बार के गुजरात चुनाव के लिए व्यापारियों ने मोदी सरकार के खिलाफ ये रवैया अपनाया है.
व्यापारी बनवारी लाल कपूर ने बताई बिल की सच्चाई
सूरत की कप़ड़ा मार्केट में व्यापारी बनवारी लाल कपूर से जब एबीपी न्यूज़ ने पूछा कि जो बिल वायरल हुआ है उसमें कितनी सच्चाई है? तो उन्होंने बताया, ‘’ये पूरी तरह से सही है, वॉट्सऐप पर आ रहा है और लोगों ने छपवाया भी है. कपड़ा व्यापारी बहुत परेशान है, इसलिए वो अपना गुस्सा इस तरह से जाहिर कर रहा है. व्यापारी कहां जाएगा, किससे बोलेगा कोई सुनने वाला नहीं है. जो समय कपड़ा बनाने में, व्यापारी को कपड़ा दिखाने में और ऑर्डर लेने में लगाना चाहिए वो समय कंप्यूटर के रिकॉर्ड देखने में और जीएसटी का रिटर्न भरने में जाता है.’’
कपड़ा व्यापारियों ने माना की ये बिल बिल्कुल सही है और जीएसटी से परेशान होकर व्यापारियों ने ये कदम उठाया, लेकिन एक सवाल ये भी था कि मोदी लाओ देश बचाओ कहने वाले व्यापारियों को ‘कमल का फूल हमारी भूल’ कहने की नौबत क्यों आई?
एक व्यापारी ने बताया, ‘’पहले कपड़ा मार्केट बहुत खुशहाल था. पूरा सूरत खुशहाल था, लेकिन अब त्राही-त्राही मची हुई है. कपड़ा मार्केट एकदम से बिखर गया है और लोग यहां से निकलना चाहते हैं. ये धंधा बंद करके लोग दूसरे धंधे में जाना चाहते हैं. पहले हमने बॉक्स पर लिखवाया था, ‘मोदी लाओ, देश बचाओ’ क्योंकि जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब बहुत अच्छा काम किया और व्यापारियों को हर तरह से सहूलियत दी, लेकिन अब तकलीफ है तो किससे कहेंगे?’’
यानि ये सच है कि घाटे की वजह से व्यापारी ने गुस्से में बिल पर ये लिखवाया है. इसलिए हमारी पड़ताल में ‘कमल का फूल हमारी भूल’ का दावा करने वाला बिल सच साबित हुआ है.
बिल को गुजरात जोड़ने की है एक खास वजह
चूंकि बिल में टेक्सटाइल मार्केट का पता लिखा है और गुजरात का टेक्सटाइल मार्केट भारत का सबसे बड़ा कपड़ा मार्केट है, शायद इसलिए लोग इसे गुजरात से जोड़ रहे हैं. गुजरात में करीब 165 बड़े-बड़े कपड़ा मार्केट है, जिनमें 70,000 से ज्यादा कपड़े की दुकानें हैं और हर दिन गुजरात के कपड़ा बाजार में 115 करोड़ से ज्यादा का व्यापार होता है, लेकिन जुलाई में जीएसटी लागू होने के बाद गुजरात के कपड़ा व्यापारियों की हालत इतनी बुरी हो चुकी है कि एक दिन में गुजरात के सूरत का कपड़ा व्यापार करीब सवा सौ करोड़ का घाटा सह रहा है.
- सवाल ये है कि क्या 2014 में गुजरात के जिन कपड़ा व्यापारियों ने मोदी लाओ देश बचाओ का नारा लगाया था, वो आज कमल के फूल हमारी भूल का नारा लगा रहे हैं?
- क्या सच में गुजरात के कपड़ा व्यापारियों ने ‘कमल का फूल हमारी भूल’ ये लाइन बिल पर छपवाई है?
- कहीं चुनाव के माहौल में किसी पार्टी की छवि खराब करने के लिए चली ये कोई राजनीतिक चाल तो नहीं ?


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