नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर इन दिनों एक मैसेज वायरल हो रहा है. इस मैसेज में बताया गया है कि नेताओं पर हर साल जनता की गाढ़ी कमाई के 100 अरब रुपए खर्च किए जाते हैं.

मैसेज में क्या लिखा है?

‘’आंखें फाड़ देने वाला सच जिसे पढ़कर आप आश्चर्य चकित रह जाएंगे.  देश में कुल 4120 एमएलए और 462 एमएलसी हैं यानि कुल 4582 विधायक. एक विधायक पर वेतन भत्ता मिलाकर हर महीने 2 लाख का खर्च होता है यानि 4582 विधायकों पर हर महीने 91 करोड़ 64 लाख का खर्च और हर साल 1100 करोड़ का खर्च.’’

वायरल मैसेज में आगे सांसदों पर होने वाले खर्च का ब्योरा पेश किया गया है.

‘’भारत में लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों को मिलाकर कुल 776 सांसद हैं. सांसदों को वेतन भत्ता मिलाकर हर महीने 5 लाख रुपए दिए जाते हैं. इस हिसाब से 776 सांसदों के वेतन पर हर महीने 38 करोड़ 80 लाख रुपए खर्च होते हैं और हर साल देश के 465 करोड़ 60 लाख रुपया खर्च होता है.’’

वायरल मैसेज के मुताबिक, ये तो सांसदों और विधायकों पर होने वाला सिर्फ मूल वेतन का खर्च है. इनके आवास, रहने, खाने, यात्राओ, इलाज, विदेशी सैर सपाटा का खर्च भी लगभग इतना ही है. वायरल मैसेज में दूसरे खर्चों को भी मूल वेतन के बराबर मानते हुए यानि 15 अरब मानते हुए इस पूरे खर्च को 30 अरब तक पहुंचा दिया गया है.

आगे लिखा है, ‘’अब गौर कीजिए विधायकों और सांसदों की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों के वेतन पर.  एक विधायक की सुरक्षा में 7 पुलिसकर्मी तैनात होते हैं.

एक पुलिसकर्मी का वेतन 25 हजार रुपए महीना. तो 7 पुलिसकर्मियों के वेतन पर हर महीने खर्च 1 लाख 75 हजार रूपये. इस हिसाब से 4582 विधायकों की सुरक्षा का सालाना खर्च मैसेज में 9 अरब 62 करोड़ 22 लाख है.

वायरल मैसेज में किए दावे के मुताबिक सांसदों की सुरक्षा पर हर साल 164 करोड़ रूपये खर्च होते हैं. जिन नेताओं को Z श्रेणी की सुरक्षा मिली है यानि मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए लगभग 16000 जवान अलग से तैनात हैं. इस सुरक्षा पर हर साल करीब 776 करोड़ रुपए खर्च होते हैं.

हर राज्य के विधायक का वेतन होता है अलग-अलग 

मैसेज के मुताबिक, हर साल नेताओं के वेतन सुरक्षा और भत्तों पर 50 अरब खर्च होते हैं लेकिन इन खर्चों में राज्यपाल, पूर्व नेताओं की पेंशन, पार्टी के नेता, पार्टी अध्यक्ष और उनकी सुरक्षा का खर्च शामिल नहीं है. मैसेज के मुताबिक अगर उस खर्च को भी इसमें जोड़ दिया जाए कुल खर्च लगभग 100 अरब रुपया हो जायेगा. आपको बता दें कि हर राज्य के विधायक का वेतन अलग-अलग होता है.

एबीपी न्यूज़ की पड़ताल में मिली जानकारी के मुताबिक, देश में कुल 4582 विधायक हैं. लेकिन इनके वेतन पर कुल 750 करोड़ रुपए खर्च होते हैं, जबकि वायरल मैसेज में 1100 करोड़ के खर्च का दावा था.

इसलिए हमारी पड़ताल में विधायकों के वेतन पर खर्च का पहला दावा झूठा साबित हुआ है.

दूसरा दावा है कि देश के सांसदों के वेतन पर हर साल 465 करोड़ 50 लाख खर्च होते हैं.

पड़ताल में मिली जानकारी के मुताबिक 2015 की एक रिपोर्ट कहती है कि एक सांसद पर हर महीने बतौर वेतन और भत्ते पर 2 लाख 70 हजार खर्च होते हैं. देश में कुल 790 सांसद हैं. इस हिसाब से 790 सांसदों के वेतन और भत्ते पर हर महीने 21 करोड़ 33 लाख रुपए खर्च होते हैं और हर साल 255 करोड़ 96 लाख.

पड़ताल में मिली जानकारी की पुष्टि पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के विशेषज्ञ चक्षु रॉय ने भी की. पीआरएस ये संस्था संसदीय कार्यप्रणाली और उससे जुड़े नीतिगत मामलों पर अनुसंधान और विश्लेषण करती है.

इसलिए हमारी पड़ताल में सांसदों के वेतन पर सालाना 465 करोड़ के खर्च का दावा भी झूठा साबित हुआ है.

तीसरा दावा सांसदों और विधायकों की सुरक्षा पर होने वाले खर्च को लेकर है.

अलग अलग राज्य के नेताओं की सुरक्षा पर कितना खर्च होता है ये सवाल साल 2015 में लोकसभा में पूछा गया था? सवाल का जवाब देते हुए तत्कालीन गृह राज्य मंत्री ने कहा था कि राज्य सरकार सुरक्षा पर कितना खर्च करती है इसका ब्योरा उनके पास नहीं है. अब आप ही सोचिए जब ये ब्योरा सरकार के पास ही नहीं है तो फिर मैसेज बनाने वाले के पास कहां से आया?



इसलिए सुरक्षा को लेकर वायरल मैसेज में पेश किया गया अरबों का आंकड़ा झूठा साबित हुआ है. कुल मिलाकर देश के नेताओं पर 100 अरब के खर्च का दावा झूठा साबित हुआ है.