नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर घूम रही एक तस्वीर और मैसेज के जरिए कहा जा रहा है कि एक ही नाम से दो दवाएं बाजार में मौजूद हैं. आप पेट दुरुस्त करने की दवा खरीदने जाएंगे लेकिन आपको बेहोश करने वाली दवा मिल सकती है. मतलब पेटदर्द ठीक करने के चक्कर में आपकी मौत भी हो सकती है ?


क्या है पेट दर्द वाली दवा से मौत की बेहोशी का वायरल सच


एक दवा पेट की गैस का इलाज करती है और दूसरी दवा बेहोश करने के काम आती है, लेकिन दोनों दवाओं का नाम एक ही है. मेडजॉल. पूरा फेसबुक इस खबर से भरा पड़ा है. दोनों दवाओं की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा गया है.


‘’बड़ी चूक





  • दो अलग-अलग दवाईयों पर ब्रैंड का नाम एक है- मेडजॉल


    ऐसे में मरीज का मरना लगभग तय है. क्योंकि भारत के डॉक्टर मनाही के बावजूद दवा के ब्रैंड ही लिखते हैं, दूसरी तरफ 90 फीसदी दवा कारोबारी सिर्फ पर्ची पढ़ते हैं और दवा निकालकर दे देते हैं.


    मरीज मरे तो मरे, जनहित में जारी’’


    मैसेज पढ़ने वाले हैरान हैं और सवाल पूछ रहे हैं कि भला इतनी बड़ी चूक कैसे हो सकती है ?क्या भारत में दवाओं के रजिस्ट्रेशन का कोई सिस्टम नहीं हैं ? क्या देश में किसी को नहीं मालूम की बाजार में कौन कौन सी दवाएं बिक रही हैं ?  क्या बाजार में कोई भी अपनी दवाई बना कर उतार सकता है?


     


    ABP न्यूज ने सच सामने लाने के लिए वायरल मैसेज की पड़ताल शुरू की. हमने सबसे पहले इंटरनेट पर जांच की तो सामने आया कि कई बड़े अखबार और वेबसाइट ने इस दावे को सही बताते हुए खबर छापी है.



    अखबार के मुताबिक मेडजॉल नाम से दो दवाएं मौजूद हैं. एक बेहोश करने वाली और दूसरी पेट की गैस का इलाज करने वाली. चिंता बढ़ चुकी थी लेकिन हमारी पड़ताल तो अभी शुरू हुई थी. हम सबसे पहले यूपी के नोएडा में एक मेडिकल स्टोर में पहुंचे. 13 साल से मेडिकल स्टोर चला रहे केमिस्ट प्रवीण गुप्ता को हमने वायरल तस्वीर दिखाई और पूछा कि क्या आपके पास मेडजॉल नाम दवा है ?


    यूपी के नोएडा में पेट की गैस दूर करने वाली मेडजॉल नाम से कोई दवा नहीं मिली. 13 साल से दवा का कारोबार करने वाले ने इस तरह की दवाई का नाम ही नहीं सुना. पर हो सकता है कि कहीं और ये दवा मिलती हो, इसलिए हमारी पड़ताल आगे बढी तो एबीपी न्यूज संवाददाता को उत्तर प्रदेश केमिस्ट एंड ड्रग एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष राजीव त्यागी के पास से एक ईमेल मिला.


    ये ईमेल ड्रग्स कंट्रोलर ऑफ इंडिया के यहां से जारी हुआ बताया गया. ईमेल देखने से जाहिर होता है कि वायरल मैसेज के मुताबिक मेटज़ोल नाम की दो दवाओं के दावे की जांच के आदेश दिए गए थे.


    जांच के आदेश 21 फरवरी 2017 को जारी हुए थे. मकसद पता करना था कि ऐसी एक नाम से दो दवाएं हैं या नहीं. यानि दावे में कुछ दम तो है. वर्ना ड्रग कंट्रोलर जनरल जांच के आदेश भला क्यों देते.


    क्या हुआ इस जांच का अंजाम


    देश में सर्वोच्च मेडिकल संस्था इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष केके अग्रवाल को एबीपी न्यूज़ ने ये वायरल तस्वीर और मैसेज दिखाया और डीसीजीआई की जांच के बारे में भी पूछा. उन्होंने कहा, ‘’पूरी तरह गलत है. एक एनीस्थिया के लिए होती है और दुकान पर नहीं मिलती डॉक्टर्स के पास मिलती है.’’



    इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष केके अग्रवाल ने Drug Controller General of India से भी इस बात की पुष्टि की है कि बाजार में एक ही नाम की दो दवाएं मौजूद नहीं हैं. जांच के आदेश जारी हुई थे. जांच पूरी हो चुकी है और जांच में भी यही सामने आया है कि मेडजॉल नाम से दो दवाएं नहीं है.


    एबीपी न्यूज की पड़ताल में सामने आया है कि पैंटोप्रोजेल जो पेट की गैस को ठीक करने के काम आता है उस साल्ट को आधार बना कर मेडजॉल ब्रैंड नाम से कोई दवा बाजार में नहीं आती है. इसलिए इस तरह की गलतफहमी का सवाल पैदा ही नहीं होता कि पेट दर्द दूर करने वाली दवा के नाम पर बेहोश करने वाली दवा बिक रही है.



    हमारी पड़ताल पेटदर्द ठीक करने के नाम पर मौत वाली बेहोशी के इंजेक्शन का दावा झूठा साबित हुआ है.