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क्या देश में RSS के इशारे पर मुसलमानों को नपुंसक बनाने वाला इंजेक्शन दिया जा रहा है?

नई दिल्ली: क्या देश में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के इशारे पर मुसलमानों को नपुंसक बनाने वाला इंजेक्शन दिया जा रहा है? क्या छोटी चेचक को मिटाने के नाम पर मुसलमानों को मिटाने की साजिश रची जा रही है? ये सवाल इसलिए क्योंकि सोशल मीडिया पर घूम रहे एक मैसेज के जरिए दावा किया जा रहा है कि हिंदुस्तान में मुसलमानों को नपुंसक बनाने के लिए एक इंजेक्शन तैयार किया गया है और दावे के मुताबिक ये इंजेक्शन बीमारी से बचाने के बहाने स्कूलों में मुसलमान बच्चों को लगाया जा रहा है? आखिर क्या है हिंदुस्तान में मुसलमानों को नपुंसक बनाने वाले टीके का सच? क्या मुसलमानों के खिलाफ कोई इंजेक्शन तैयार किया गया है? क्या नसों में छेद करती सुई के सहारे खून में उतरने वाली कोई दवा मुस्लिमों को नपुंसक बनाने की साजिश है? क्या बीमारी से बचाने वाला कोई टीका मुसलमानों की जनसंख्या वृद्धि रोक सकता है? क्या हिंदुस्तान में मुसलमानों को नपुंसक बनाने वाला कोई टीका स्कूलों में भेजा जा रहा है? इन सवालों को देखकर आप चौंक गए होंगे. आप चाहे हिंदू या मुसलमान इन सवालों ने आपको परेशान कर दिया होगा? कुछ सेकेंड के भीतर आप ये सोचने लगे होंगे कि ऐसे सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं? इन सवालों के पीछे एक तस्वीर है और तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा. ये है वो वैक्सीन जिसके बारे में दावा है कि ये जिसके शरीर में उतर जाए उसे नपुंसक बना देती है. तस्वीर के साथ पूरा मैसेज है मैसेज में क्या लिखा है देखिए   क्या देश में RSS के इशारे पर मुसलमानों को नपुंसक बनाने वाला इंजेक्शन दिया जा रहा है? प्यारे भाईयों और बहनों, अस्सलामआलेकुम भारत के सभी स्कूलों में बच्चों को इंजेक्शन देने का फैसला किया गया है. इसलिए भाईयों अपने बच्चों को इंजेक्शन मत लगने दीजिएगा इस पर आपत्ति दर्ज कीजिएगा. ये आरएसएस यानि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की योजना है. जब आपके बच्चे 40 के आसपास हो जाएंगे तो वो अपने बच्चे नहीं कर पाएंगे. केरल के एक टीचर ने बताया है कि ये इंजेक्शन सिर्फ मुस्लिम बच्चों को ही देना है. तो अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए ये इजेंक्शन उन्हें मत लगने दीजिए. कहानी यहीं खत्म नहीं होती. आगे इस दवा के नाम के साथ ये भी बताया गया है कि किस बीमारी के इलाज के नाम पर स्कूलों में इसे बच्चों को दिया जा रहा है. वायरल मैसेज में लिखा है बेहद जरूरी सूचना एम आर वैक स्मॉलपॉक्स के इलाज के लिए खोजा गया नया इंजेक्शन है. लेकिन ये सच नहीं है. इस दवा पर बहुत सारे देशों में बैन लगा हुआ है. लेकिन दवा बनाने वाली कंपनी मोदी सरकार के जरिए इसे देश भर के स्कूलों बच्चों के लिए भेज रही है. मैसेज में अपील की गई है कि अपने बच्चों को सिखाइए कि किसी भी कीमत पर वो ये इंजेक्शन ना लगवाएं. ये एक धीमा जहर है जो ना सिर्फ बच्चों के भविष्य पर असर डालेगा बल्कि आने वाली नस्लों पर भी अपना असर दिखाएगा. एक मैसेज के जरिए बेहद गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं. और आरोप एक नहीं है कई हैं. पहला आरोप ये है कि एक दवा जो दुनिया भर में बैन हो चुकी है उसे हमारे देश के बच्चों को दिया जा रहा है. दूसरा आरोप ये है कि मुसलमानों को नपुंसक बनाने की साजिश हो रही है. और इन सबके लिए मोदी सरकार और आरएसएस को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. पहला सवाल क्या देश में कोई ऐसा टीकाकरण कार्यक्रम सरकार चला रही है? क्या सरकार छोटी चेचक या यानि स्माल पॉक्स के नाम पर कोई टीकारण प्रोग्राम चला रही है? क्या स्मॉल पॉक्स की आड़ में मुसलमानों को नपुंसक बना कर उनकी आबादी घटाने की साजिश रची जा रही है? और क्या मुसलमानों की आबादी घटाने के लिए उन्हें टीके से नपुंसक बनाने का काम संघ और मोदी सरकार के इशारे पर हो रहा है? इन तमाम सवालों का जवाब जानने के लिए एबीपी न्यूज ने कई मोर्चों पर अपनी बड़ी पड़ताल शुरू की. एबीपी न्यूज संवाददाता मुंबई से लेकर रायपुर तक और बरेली से लेकर यूपी के चंदौली तक के स्कूलों में पहुंचे. जहां हमने ये जानने की कोशिश की क्या सरकार की तरफ से वहां बच्चों को किसी तरह का कोई टीका दिया जा रहा है. तो वायरल सच की दूसरी टीम दिल्ली के गंगाराम अस्पताल पहुंची ये जानने के लिए कि क्या एमआर वैक्सीन नाम का कोई टीका है?और अगर है तो क्या वो स्माल पॉक्स बीमारी को मिटाने के लिए दिया जाता है?और अगर ये दोनो बातें हैं तो क्या उस टीके को लगाने के दो तीन दशक बाद कोई नपुंसक हो सकता है? और हमारे तीसरे मोर्चे पर थी देश की सरकार. हमने सरकार से संपर्क करके ये जानने की कोशिश कि क्या उनकी तरफ से देश के स्कूलों में बच्चों के लिए कोई टीकाकरण किया जा रहा है? अगर हां तो किस चीज का और कौन सा टीका लगाया जा रहा है? हमने रायपुर के कई सरकारी स्कूलों में वायरल मैसेज दिखाकर ये जानने की कोशिश की कि वहां एमआर वैक्सीन बच्चों को दी जा रही है या नहीं. हमने जहां भी सवाल किया एक ही जवाब मिला कि स्कूल में ऐसा कोई टीका बच्चों को नहीं दिया जा रहा है. गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ बीजेपी शासित राज्य है और अगर संघ बीजेपी की ऐसी कोई योजना होती तो यहां जरूर लागू होती. यूपी में भी हमें किसी स्कूल में टीकाकरण पर कोई जानकारी नहीं मिली. मुंबई में भी स्कूलों में किसी वैक्सिनेशन ड्राइव के बारे में कुछ पता नहीं चला. पर भारत में 29 राज्य हैं 7 केन्द्रशासित प्रदेश हैं अभी 26 राज्य और केन्द्रशासित प्रदेश बाकी हैं. हमारी जांच जारी है. लेकिन जब तीन राज्यों में टीके की बात नहीं पता चली तो हम दूसरे मोर्चे पर पड़ताल के लिए आगे बढ़े. अब ये जानना जरूरी हो गया था कि एमआर वैक नाम की कोई वैक्सीन होती भी या नहीं. और अगर होती है तो किस बीमारी के इलाज में काम आती है. एबीपी न्यूज ने गंगाराम अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ कानव आनंद से बात की. हमने उन्हें वायरल मैसेज दिखाया और सबसे पहला सवाल ये पूछा कि ऐसी कोई वैक्सीन है भी या नहीं. गंगाराम अस्पताल के बाल रोग विशेषक्ष कानव आनंद ने बताया कि ये वैक्सीन एम आर वैक यानी मिज़ल रुबेल्ला वैक्सीन यानी मिज़ल और रुबेल्ला की बीमारी (खसरा और खसरा से सम्बंधित बीमारी) के लिए ये वैक्सीन दी जाती है. खसरा और रुबेल्ला के प्रोटेक्शन में इस वैक्सीन को दिया जाता है. स्मॉल पॉक्स से इसका कोई लेना देना नहीं है. क्योंकि स्मॉल पॉक्स अलग बीमारी है और ये खसरा यानि मिजल्स अलग बीमारी है. ये वैक्सीन रूटीन में बच्चो को लगाई जाती है. ये वैक्सीन 9 महीने, 15 महीने की उम्र में बच्चो को लगाई जाती है जिससे की बच्चे में इस बीमारी के अगेन्स फाइटिंग केपेसिटी आ सके. डॉ कानव ने साफ किया कि एम आर वैक नाम की वैक्सीन है पर इसका इस्तेमाल बच्चों को मिजल्स यानि खसरा और रूबेला वायरस से बचाने के लिए किया जाता है एम आर वैक वैक्सीन का स्मॉलपॉक्स जैसी बीमारी से कोई लेना-देना नहीं है. साथ ही ये बात भी साफ की गयी कि दुनिया भर में इस दावा पर बैन नहीं लगा है जैसा कि वायरल मैसेज में दावा किया जा रहा है यहां आपके लिए दो बातें समझना बेहद जरूरी हैं और वो ये कि मिजल्स यानि खसरा भारत में बच्चों का बहुत बड़ा दुश्मन है. आंकड़े बताते हैं कि साल 2000 में एक लाख बच्चों की मौत देश में खसरे से हुई थी. व्यापक नि:शुल्क सरकारी टीकाकरण से मौत के आंकड़ों में कमी आई है लेकिन अकेले साल 2015 में खसरे से 49 हजार से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई थी. क्या देश में RSS के इशारे पर मुसलमानों को नपुंसक बनाने वाला इंजेक्शन दिया जा रहा है?यहां तक कि तफ्तीश में वायरल मैसेज की दो बातें गलत साबित हो चुकी हैं. मैसेज में दावा है कि नपुंसक बनाने वाला टीका स्मॉल पॉक्स के नाम पर दिया जा रहा है. जबकि सच्चाई ये है कि टीके का स्मॉलपॉक्स से कोई लेना देना नहीं है. दसरा दावा किया गया कि दुनिया भर में एमआर वैक बैन है,सच्चाई ये है कि एमआरवैक दुनिया भर में बच्चों को खसरे और रुबेला से बचाने के लिए दी जा रही है. अबतक वायरल सच इन्वेश्टीगेशन में बात सरकार तक पहुंच चुकी है. सरकार से जब हमने इस मैसेज का सच पूछा तो उनका जवाब था स्वास्थ्य विभाग ने हमें जवाब दिया कि साल 1975 में स्मॉल पॉक्स का आखिरी मामला सामने आय़ा था. 1977 में भारत तो स्मॉल पॉक्स मुक्त घोषित किया जा चुका है इसलिए स्मॉल पॉक्स के नाम पर टीकाकरण करने की कोई आवश्यकता नहीं है. तो सवाल ये है कि एमआर वैक नाम के टीके का मुद्दा उठा कैसे. और इसे स्मॉलपॉक्स और मुस्लिमों के नपुंसक बनाने से क्यों जोड़ा गया? ऐसे में हमने एक बार फिर स्कूलो में सरकारी टीकाकरण का सच जानने की कोशिश की. कि शायद किसी और नाम से कोई टीकाकरण चल रहा हो? भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की तरफ से हमें जो बातें पता चलीं उसने कहानी के सारे पेंच सुलझा दिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसी महीने 5 फरवरी को एम आर वैक्सीन कैंपेन लॉन्च किया है. अभी ये कैंपेन पांच क्षेत्रों चल रहा है जिसमें कर्नाटक, तमिलनाडु, गोवा, लक्षद्वीप और पुडुचेरी शामिल हैं. ये वैक्सीन 9 महीने से 15 साल तक के बच्चों को दी जाती है. दिसंबर 2018 तक एमआर वैक्सीन कैंपेन को पूरे देश में कवर करने का लक्ष्य रखा गया है. इन पांच राज्यों में 3.6 करोड़ बच्चों को वैक्सीन दी जाएगी. 5 दिन के भीतर यानि 10 फरवरी तक 54 लाख बच्चों को वैक्सीन दी जा चुकी है. पूरे देश में करीब 41 करोड़ बच्चों को वैक्सीन देने की योजना है. ये दवा 40 साल से प्रयोग में है और पूरी तरह से सुरक्षित भी. खसरा एक संक्रामक बीमारी है जो खांसने या छींकने से फैलती है. ये वायरस इतना खतरनाक है कि बच्चे की जान ले लेता है. सरकार इस बीमारी से आपके बच्चों को बचाने के लिए एक कैंपेन चला रही है ताकि आपके बच्चे सुरक्षित रह सकें. लेकिन सोशल मीडिया पर इसे सांप्रदायिक रंग चढ़ा के पेश किया जा रहा है पर ऐसा क्यों है कोई मुसलमानों के बच्चों को खसरे के खतरे में क्यों ढकेलना चाहता है.इस सवाल के जवाब में हमारी जांच इतिहास में पहुंची. पता चला कि ये पहली बार नहीं है. इससे पहले भी पोलियो के टीका को लेकर भी मुसलमानों के बीच अफवाह फैलाई गई थी जिसकी वजह से मुसलमान परिवार अपने बच्चों को पोलियो का टीका नहीं लगवाते थे. ऐसा क्यों है इस सवाल का जवाब हमारी जांच को अताउर-रब के पास ले गया. अताउर रब पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुस्लिम बहुत इलाके में पोलियो को लेकर 10 साल से काम कर रहे हैं और खसरा की वैक्सीन को लेकर भी 9 साल से काम कर रहे हैं. इनके मुताबिक मुस्लिम समाज में शैक्षणिक पिछड़ापन अभी भी बहूत ज़्यादा है किसी भी तरह के मैसेज पर लोग बिना जांचे परखें अमल करने लगते है. मुस्लिमो में एक बहूत बड़ी आबादी आज भी फॉर्मल एजुकेशन से बहूत दूर है. जिन्होंने बताया कि मुस्लिम कम्युनिटी में जागरूकता का आभाव बहूत ज्यादा है जिसकी वजह से वैक्सीन को लेकर ऐसी अफवाह आसानी से फैल जाती है. एबीपी न्यूज की पड़ताल में सामने आया है कि एमआर वैक्सीन मौजूद है और बच्चों को खसरा से बचाने के लिए दी जाती है. एमआर वैक्सीन का स्मॉल पॉक्स से कोई लेना-देना नहीं सरकार अभी देश के पांच हिस्सों में एम आर वैक वैक्सीन का कैंपेन चला रही है और ये कैंपेन 5 फरवरी से शुरू हो चुका है. लेकिन ऐसे वायरल मैसेज के जरिए कुछ गंदी मानसिकता के लोग हमारे देश में ना सिर्फ नफरत और डर फैलाने का काम कर रहे हैं बल्कि उन परिवार और बच्चों की जिंदगी से भी खेल रहे हैं तो ऐसे मैसेज में फंसकर अपने बच्चों को टीका लगवाने से इंकार कर देंगे. यहां आपको बता दें कि हमारी तहकीकात में इस मैसेज के सबसे बड़े और खतरनाक आरोप का भी खंडन हुआ है.वो ये कि एम आर वैक नाम के टीके से कोई नपुंसक नहीं सकता है. एबीपी न्यूज आपसे अपील करता है कि ऐसे मैसेज और अफवाहों पर भरोसा ना करें ये आपको बहुत बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं. एबीपी न्यूज की पड़ताल में मुसलमानों को नपुंसक बनाने वाले टीके का दावा झूठा साबित हुआ है.
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