ताजमहल को शिव मंदिर बताने के पीछे क्या तर्क पेश किए जा रहे हैं-
- ताजमहल के शिखर की तस्वीरें दिखाकर दावा किया जाता है कि ये हिंदू पूजा विधि में इस्तेमाल होने वाले नारियल और आम्रपल्लव का प्रतीक है.
- ताज महल की दीवारों पर मौजूद नक्काशी में बनी आकृति के धतूरे का फूल होने और इसमें ओम नजर आने का दावा भी किया जाता है.
- ताजमहल के पिछले हिस्से से नजर आने वाली लाल पत्थर से बनी दो निचली मंजिलों में मौजूद 22 कमरों के बंद होने पर भी सवाल उठाए जाते रहे हैं. दावा है कि इन कमरों के ताले तोड़ दिए जाएं तो मंदिर होने का प्रमाण मिल जाएगा.
- ताज महल में कुएं की मौजूदगी पर तर्क दिया जाता है कि कुएं मकबरे में नहीं बल्कि मंदिर में होते हैं.
- किसी भी मुस्लिम इमारत के नाम के साथ कभी महल शब्द प्रयोग नहीं हुआ है. 'ताज' और 'महल' दोनों ही संस्कृत मूल के शब्द हैं.
- संगमरमर की सीढ़ियां चढ़ने के पहले जूते उतारने की परम्परा चली आ रही है, जैसी मन्दिरों में प्रवेश पर होती है जबकि आमतौर पर किसी मक़बरे में जाने के लिये जूता उतारना अनिवार्य नहीं होता.
- संगमरमर की जाली में 108 कलश चित्रित हैं और उसके ऊपर 108 कलश आरूढ़ हैं, हिंदू मन्दिर परम्परा में (भी) 108 की संख्या को पवित्र माना जाता है.
- ताजमहल शिव मन्दिर को इंगित करने वाले शब्द 'तेजोमहालय' शब्द का अपभ्रंश है. तेजोमहालय मन्दिर में अग्रेश्वर महादेव प्रतिष्ठित थे.
ताजमहल को शिव मंदिर साबित करने पर अड़े हुए हैं हिंदूवादी संगठन
पीएन ओक ने ताजमहल पर लिखी किताब ‘द ट्रू हिस्ट्री’ में ये साबित करने की कोशिश की कि शाहजहां ने तेजोमय महल नाम के एक शिवमंदिर पर कब्जा करके उसे ताज महल का नाम दिया था. कई हिंदूवादी संगठन ताजमहल को शिव मंदिर साबित करने पर अड़े हुए हैं.
2015 में हिंदूवादी संगठनों की तरफ से 6 वकीलों ने ताजमहल को हिंदू मंदिर घोषित करने के लिए एक मुकदमा भी दायर किया गया था. अदालत ने पुरातत्व विभाग और सरकार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था.
नहीं मिला शिव मंदिर होने का कोई प्रमाण
आगरा कॉलेज की इतिहासकार अपर्णा पोद्दार ने ताजमहल के मंदिर होने के दावे को खारिज कर दिया. वहीं, पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के पूर्व निदेशक के मुताबिक, कभी ऐसा कोई प्रमाण या अवशेष नहीं मिले, जो साबित करते हों कि ताजहमल मंदिर था. बता दें कि ताजमहल की देखरेख का जिम्मा पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग पर है.
ये स्मारक एक मकबरा है मंदिर नहीं- पुरातत्व विभाग
बता दें कि जिस पीएन ओक की किताब को आधार बनाकर तमाम दावे किए जा रहे हैं, उनकी याचिका सुप्रीम कोर्ट ने साल 2000 में खारिज कर दी थी. इस याचिका में ओक ने दावा किया था कि ताजमहल को हिंदू राजा ने बनवाया था. अगस्त 2017 में पुरातत्व विभाग भी कोर्ट को बता चुका है कि ये स्मारक एक मकबरा है मंदिर नहीं.
हर पक्ष से बात करने के बाद, तर्कों की पड़ताल करने के बाद और तथ्यों को सामने लाने के बाद ये साबित हुआ है कि ताजमहल एक मकबरा है यहां कोई शिव मंदिर या जैन मंदिर नहीं था. इसलिए शिव मंदिर तोड़कर ताजमहल बनाने का दावा झूठा साबित हुआ है.
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