Enforcement Directorate Action: आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में एक बड़ी कार्रवाई की है. एजेंसी ने 44.75 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त की हैं. यह कार्रवाई 12.51 एकड़ सरकारी जमीन के फर्जीवाड़े से जुड़े मामले में की गई है. ये जमीन वृद्धाश्रम और अनाथलय के लिए आवंटित की गई थी. 


दरअसल, आंध्र प्रदेश सरकार ने 2008 में विशाखापट्टनम के येंदना गांव में M/s हयग्रीव फार्म्स एंड डेवेलपर्स को 12.51 एकड़ जमीन दी थी. इस जमीन का उपयोग वृद्धाश्रम और अनाथालय बनाने के लिए किया जाना था. 2010 में कंपनी ने सरकार को 5 करोड़ 63 लाख रुपये देकर इस जमीन का पंजीकरण करवा लिया, जबकि उस समय इस जमीन की बाजार कीमत करीब 30 करोड़ 25 लाख करोड़ रुपये थी.


जमीन हड़पने की साजिश कैसे रची गई?


ईडी़ की जांच में पता चला कि गड्डे ब्रह्माजी, गन्नमणि वेंकटेश्वर राव और MVV सत्यनारायण ने 2020 में कंपनी में पार्टनर बनकर इस जमीन को हड़पने की साजिश रची. 2021-2022 के दौरान, इन लोगों ने 30 से अधिक बिक्री समझौतों के जरिए इस जमीन को बेचा और करोड़ों रुपये का घोटाला किया.


किन संपत्तियों को किया गया अटैच?


प्रवर्तन निदेशालय ने एमवीवी बिल्डर्स, हयग्रीव इंफ्राटेक प्रोजेक्ट्स लिमिटेड, गड्डे ब्रह्माजी और उनकी पत्नी, चिलुकुरी जगदीश्वरुडु, चिलुकुरी राधा रानी, हयग्रीव प्रोजेक्ट्स और वरनासी दिलीफ की संपत्तियों को अटैच किया है. जिनमें 14 अचल संपत्तियां जिनकी कीमत 42 करोड़ 03 लाख रुपये और 6 चल संपत्तियां जिनकी कीमत 2 करोड़ 71 लाख रुपये है.


कैसे हुआ 87.64 करोड़ रुपये का घोटाला?


ईडी की जांच में सामने आया कि चिलुकुरी जगदीश्वरुडु ने 2010-2011 और 2019 के दौरान जमीन के फर्जी बिक्री समझौते कराए और इससे पैसे कमाए. इस तरह कुल 87 करोड़ 64 लाख रुपये की काली कमाई की गई, जिसे निजी लाभ के लिए इस्तेमाल किया गया.


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