विशाखापट्टनम गैस लीक: स्टायरिन गैस क्या है और इंसानों के लिए कितनी खतरनाक है
विशाखापट्टनम में गैस रिसाव के बाद गलियों और अस्पतालों में लोग दहशत में नजर आए. सांस लेने में तकलीफ और आंखों में जलन की शिकायत के बाद लोगों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया.
विशाखापट्टनम: आंध्र प्रदेश के विजाग में गुरुवार तड़के एक केमिकल यूनिट में गैस रिसाव के बाद आठ लोगों की जान चली गई. इस घटना में एक आठ साल की बच्ची की भी मौत हो गई. जबकि एक व्यक्ति की कुएं में कूदने के चलते जान चली गई. एक शख्स अपने घर की बालकनी से गिर गया. वहीं आस-पास के पांच गांव गैस रिसाव के चलते प्रभावित हुए हैं. एनडीआरएफ के डीजी ने बताया है, ये घटना केमिकल यूनिट में स्टारिन गैस के लीकेज होने की वजह से हुई है.
एनडीआरएफ के डीजी ने कहा, "विशाखापत्तनम की घटना स्टायरिन गैस लीकेज की घटना है जो प्लाटिक का कच्चा माल है. ये फैक्ट्री लॉकडाउन के बाद खुली थी, लगता है रीस्टार्ट होने के क्रम में गैस लीक हुई है. आसपास के गांव प्रभावित हुए हैं."
कितनी खतरनाक होती है स्टायरिन स्टायरिन गैस प्लास्टिक, पेंट, टायर जैसी चीजें बनाने में इस्तेमाल होती है. इंसानों के शरीर में जाने से आंखों में जलन, सांस लेने में तकलीफ, बेहोशी और उल्टी जैसे परेशानियां होने लगती है. इसका नर्वस सिस्टम पर सीधा असर होता है. स्टायरिन को एथेनिलबेनजीन, विनालेनबेन्जिन और फेनिलिथीन के रूप में भी जाना जाता है. ये एक रंगहीन तरल पदार्थ जैसा होता है, हालांकि कुछ सैंपल पीले भी दिखाई दे सकते हैं.
स्टायरिन पॉलीस्टाइनिन और कुछ कॉपोलिमर का अग्रदूत है. साल 2010 में लगभग 25 मिलियन टन स्टाइलिन का उत्पादन किया गया था, जो 2018 तक बढ़कर लगभग 35 मिलियन टन हो गया. साल 1839 में, जर्मन एपोथेकरी एडुअर्ड साइमन ने अमेरिकी स्वीटग्म ट्री के राल (लैटिन) से एक वाष्पशील तरल को अलग कर दिया था. उन्होंने उस तरल पदार्थ को 'स्टाइरोल' नाम दिया था, जिसे अब स्टायरिन कहा जाता है.
उन्होंने यह भी देखा कि जब स्टाइरोल को हवा, रोशनी या गर्मी के संपर्क में लाया गया था, तो यह धीरे-धीरे एक कठोर, रबड़ जैसे पदार्थ में बदल गया, जिसे उन्होंने "स्टाइरल ऑक्साइड" कहा. 1845 तक, जर्मन केमिस्ट अगस्त हॉफमैन और उनके छात्र जॉन बेलीथ (1814-1871) ने स्टायरिन का एक फर्मूला निर्धारित किया- C8H8.
कैसे हुआ विजाग गैस हादसा घटना गुरुवार सुबह करीब 2.30 बजे हुई. आसपास के क्षेत्रों में लोग अपने घरों में सो रहे थे. तभी अचानक उन्हें सांस लेने में तकलीफ, भयानक खुजली और आंखों में जलन महसूस होनी शुरू हुई. दहशत में आकर लोग अपने घरों से बाहर भागे, लेकिन गैस रिसाव के कारण हवा जहरीली हो गई, जिससे वह बेसुध हो गए. इस दौरान कई मवेशी और पशु भी जहरीली गैस की चपेट में आ गए.
एक अधिकारी ने कहा, "संयंत्र के लोगों ने तुरंत अधिकारियों को सतर्क करते हुए इस बाबत जानकारी दी, जिसके तुरंत बाद जिला प्रशासन कार्रवाई में जुट गया और त्रासदी का प्रभाव कुछ हद तक कम किया जा सका." केमिकल यूनिट के आसपास के 3 किलोमीटर के दायरे में इलाके के लोगों को वहां से हटाया गया है. 7 हजार 500 के करीब जिन लोगों को अपना घर खाली करना पड़ा है, उनके लिए भोजन समेत अन्य सभी व्यवस्था की गई है.
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