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'ये छोटी सी बाधा है, हम काशी-मथुरा को...', सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बोले विष्णु शंकर जैन

सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में धार्मिक स्थलों को लेकर नए मुकदमे दर्ज करने पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा है कि जो मुकदमे लंबित हैं, उनमें सुनवाई जारी रह सकती है. अदालतें कोई प्रभावी या अंतिम आदेश न दें.

Places Of Worship Act: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (12 दिसंबर 2024) को प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई की. इस दौरान चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा अगली तारीख तक मंदिर-मस्जिद विवाद को लेकर कोई नया मुकदमा दर्ज न हो. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि निचली अदालतें फिलहाल सर्वे का भी आदेश न दें.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर वकील विष्णु शंकर जैन ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संघर्ष में एक छोटी सी बाधा बताया. विष्णु शंकर जैन ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, हम काशी, मथुरा और अन्य धार्मिक स्थलों की मुक्ति के लिए लड़ते रहेंगे. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश हमारी सांस्कृतिक विरासत को वापस पाने के हमारे संघर्ष में एक छोटी सी बाधा है, लेकिन हम साथ मिलकर ऐसा कर सकते हैं और हम सफल होंगे. 

केंद्र और याचिकाकर्ताओं के जवाब देखने के बाद होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश 1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के पक्ष और विपक्ष में दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया है. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस पी वी संजय कुमार और के वी विश्वनाथन की बेंच ने केंद्र सरकार 4 सप्ताह में लंबित याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने को कहा है. कोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ता भी उसके बाद 4 सप्ताह में जवाब दाखिल करें. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात को नोट किया कि 4 साल से लंबित मामले पर अभी तक केंद्र सरकार ने जवाब दाखिल नहीं किया है. कोर्ट ने कहा कि केंद्र और याचिकाकर्ताओं के जवाब को देखने के बाद वह आगे सुनवाई करेगा. 

क्या है मामला?

1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट कहता है कि देश के हर धार्मिक स्थल की जो स्थिति 15 अगस्त 1947 को थी, उसे बदला नहीं जा सकता. इस कानून को चुनौती देते हुए कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई हैं. इन याचिकाओं में कहा गया है कि यह कानून हिंदू, जैन, सिख और बौद्ध समुदाय को अपना अधिकार मांगने से वंचित करता है. किसी भी मसले को कोर्ट तक लेकर आना हर नागरिक का संवैधानिक अधिकार है.

एक्ट के समर्थन में भी कई याचिकाएं

प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट का समर्थन करते हुए सुन्नी मुस्लिम उलेमाओं के संगठन जमीयत उलेमा ए हिंद ने भी 2020 में ही याचिका दाखिल कर दी थी. जमीयत का कहना है कि अयोध्या विवाद के अलावा बाकी मामलों में प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट का पालन हो, यह सुप्रीम कोर्ट ने ही कहा था इसलिए अब इस कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए. जमीयत के अलावा ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, कांग्रेस प्रवक्ता आलोक शर्मा, आरजेडी सांसद मनोज झा, एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड, सीपीएम नेता प्रकाश करात समेत कई लोगों ने याचिकाएं दाखिल कर मांग की है कि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट खारिज कर दे. उन्होंने कहा है कि यह कानून भारत के धर्मनिरपेक्ष ढांचे के मुताबिक है.

यह भी पढ़ें- Places of Worship Act: अगली तारीख तक मंदिर-मस्जिद से जुड़े नए मुकदमों पर रोक, सर्वे पर भी स्‍टे, जानें SC ने और क्‍या-क्‍या कहा

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