संतों की मांग, अयोध्या में मंदिर के लिए कानून बनाए मोदी सरकार, कानून नहीं बना तो 6 दिसंबर से शुरू होगी कारसेवा
संत उच्चाधिकार समिति इस मसले पर राष्ट्रपति को ज्ञापन भी सौंपेगी ताकि कानून बनाकर राम मन्दिर निर्माण का रास्ता साफ हो.
नई दिल्ली: विश्व हिंदू परिषद की संतो की उच्चाधिकार परिषद की बैठक में राममंदिर आंदोलन तेज करने का प्रस्ताव पास हुआ. संतो ने सीधे-सीधे चेतावनी दे दी है, 6 दिसम्बर तक कानून नही बना तो राम मंदिर निर्माण के लिए कारसेवा होगी. 26 साल बाद संतो की इस बैठक का आयोजन राम मन्दिर अंदोलन को तेज करने और राममंदिर निर्माण के लिए हुआ है. इस बैठक में संतो ने मोदी सरकार को जमकर कोसा.
यहां तक कहा गया कि तीन तलाक के लिए बिल संसद में लाया गया लेकिन राम मंदिर के निर्माण के लिए सरकार ने कोई कोशिश नही की. बैठक के बाद संतो की उच्चाधिकार समिति के सदस्य रामविलास वेदांती ने साफ कर दिया कि 6 दिसम्बर तक अगर संसद में कानून लेकर राममंदिर निर्माण नहीं शुरू हुआ तो कारसेवा शुरू कर दी जाएगी.
राममंदिर निर्माण के लिए वीएचपी और संत आंदोलन तेज करेगे. अक्टूबर में सभी राज्यो के राज्यपालों से मिलकर ज्ञापन देंगे. नवम्बर माह में सांसदों को राम मंदिर पर कानून के लिए उनका घेराव करेंगे. दिसंबर में मंदिर, मठों, गुरुद्वारों में बैठके होंगी और अगर संसद में कानून नहीं बना तो कारसेवा शुरू होगी.
विश्व हिन्दू परिषद के संतों की उच्चाधिकार समिति की बैठक में संतो के तेवर बेहद कड़े थे. संतो ने मंदिर निर्माण नहीं होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज़िम्मेदार ठहराया है. संतो के मध्य एक मुद्दे पर सहमति नज़र आई, संसद के ज़रिए कानून बना कर राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो. संत उच्चाधिकार समिति इस मसले पर राष्ट्रपति को ज्ञापन भी सौंपेगी ताकि कानून बनाकर राम मन्दिर निर्माण का रास्ता साफ हो. देश भर के 48 प्रमुख संत इस बैठक में शामिल हुए किस संत ने क्या कहा आइए आपको बताते हैं-
हंसदेवाचार्य ने कहा, कोई भी पूजास्थल कहीं भी बनाया जा सकता है लेकिन श्रीराम जन्मभूमि का स्थान नहीं बदल सकता. सुप्रीम कोर्ट दबाव में आ गयी. हमें सुप्रीम कोर्ट से निराशा है. सरकार संसद में कानून बनाकर रामन्दिर बनाने का काम शुरू कराये. इसी सरकार के समय गौ रक्षा का कानून बने, धारा 370 हटे, समान नागरिक संहिता हटे लेकिन अभी श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण हमारी प्राथमिकता है, अब कोई विलम्ब स्वीकार नहीं.
हंसदेवाचार्य ने आगे बात करते हुए कहा, चर्चों की चिट्ठियों और मस्जिदों के फतवों के खिलाफ संतों का धर्मादेश जारी होगा 3 और 4 नवंबर को दिल्ली में देश भर के 3 हजार संत तालकटोरा में जुटेंगे.
स्वामी हरिहरानन्द ने कहा, कानून बनाने के लिये सरकार को एक डेड लाइन दी जाय. उसके बाद आन्दोलन शुरू कर दिया जाए. महामंडलेश्वर अनुभूतानंद बोले- केवल कोर्ट के भरोसे नहीं रह सकते. केंद्र और 22 राज्यों में सरकार होने के बावजूद हमें याचना करनी पड़ रही है यह बहुत कष्ट का विषय है.
स्वामी चिन्मयानंद, पूर्व गृह राज्यमंत्री ने कहा, रामजन्म भूमि इस सरकार के विमर्श से बाहर है. बीजेपी पालनपुर प्रस्ताव को याद करे. राममंदिर की प्रतीक्षा करते-करते कई महापुरुष स्वर्ग सिधार गए. सन्त प्रधानमंत्री जी को बीजेपी द्वारा किये गए वादों की याद दिलायें. राज्यसभा में अल्पमत का बहाना नहीं चलेगा. संसद के संयुक्त अधिवेशन में कानून पारित कराया जा सकता है. तमाम सवालों का प्रधानमंत्री जवाब दे रहे हैं लेकिन रामजन्मभूमि के सवाल से क्यों बच रहे हैं?
महामंडलेश्वर विश्वेशरानंद ने कहा, राम मंदिर निर्माण में विलम्ब से हम जनता का विश्वास खो रहे हैं. पूर्ण बहुमत की मोदी सरकार को मन्दिर निर्माण का कानून संसद के पटल पर रखना चाहिए. मोदी जी को संतों से पूछकर एक कठोर निर्णय लेना होगा. कानून से पहले सरकार तीन तलाक की ही तरह राम मंदिर निर्माण के लिए भी अध्यादेश लाये. मां पूर्ण प्रज्ञा बोलीं- राम मंदिर राजनीति नहीं बल्कि भारत की आध्यात्मिक चेतना का विषय.
रामानुजाचार्य कृष्णा चार्य महाराज ने कहा, नवरात्रि के दौरान प्रधानमंत्री से संत मिलें, मंदिर निर्माण शुरू करने के लिए बनाया दवाब जाए. लोग कहते हैं कि नोटबन्दी अयोध्या से ध्यान बटाने के लिए हुई. आचार्य महामंडलेश्वर विशोकानन्द ने कहा, 497, 377, शबरीमाला जैसे तमाम मुद्दों पर कोर्ट ने शर्मनाक फैसले तेजी से दिए और राम मंदिर का मुद्दा लटका दिया.
श्यामसुंदर दास जी महाराज ने कहा, सतों के सामने मोदी जी को बुलाया जाए राज्यसभा में जब आप उपसभापति जितवा सकते हैं तो मंदिर निर्माण का कानून क्यों नहीं बनवा सकते. मोदी मंदिर बनवा दें तो 2014 से भी बड़ी विजय मिलेगी. फूलडोल दास जी महाराज, वृन्दावन ने कहा, ताला खुलवाने के लिए, शिलान्यास के लिए और ढांचा ढहाने के लिए किसी कोर्ट की अनुमति नहीं ली गयी तो मंदिर निर्माण के लिए न्यायालय की अनुमति क्यों?
जिन मुद्दों के लिए मोदी जी का समर्थन किया गया उनको दरकिनार कर एससी एसटी एक्ट लाकर हिन्दू समाज में फूट डालने का कार्य किया गया. रामविलास दास वेदान्ती, पूर्व सांसद ने कहा, मोदी अयोध्या आकर रामलला का दर्शन कर लें, संतों को विश्वास हो जाएगा कि राम मंदिर बन जायेगा. कोर्ट से तो हजार सालों में फैसला नहीं आएगा.
युगपुरुष परमानन्द महाराज ने कहा, हिन्दू के जागने से हिन्दू विरोधी भी हिन्दू-हिन्दू चिल्लाने लगे हैं. सरकार संसद में प्रस्ताव लाये. जिस से साफ हो कि कौन मंदिर समर्थक है और कौन मंदिर विरोधी. ये दुविधा मिटे तो हम इस उम्र में भी जनमानस के बीच जाने को तैयार हैं. अभी तो हमीं दुविधा में हैं.
रामभद्राचार्य जी महाराज ने कहा, मैं बहुत निराश हूं. मोदी जी को हम लोगों ने प्रधानमंत्री बनाया मंदिर निर्माण के लिए. दूसरे मुद्दों पर जब सरकार सुप्रीम कोर्ट का निर्णय पलट सकती है तो राम मंदिर के लिए क्यों नहीं. 6 दिसंबर से पहले मोदी जी का समय लेकर संत उनके पास चलें.
शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा, इस सरकार से अपेक्षा है. अन्य सरकारों ने तो आज तक राममंदिर का विरोध ही किया है राम मंदिर बनेगा तभी रामराज्य आएगा. मध्वाचार्य विश्वेश तीर्थ जी महाराज बोले, संविधान के अनुसार संयुक्त अधिवेशन में प्रधानमंत्री कानून बनाएं, अन्य कोई विकल्प नहीं है.
संतो की उच्चाधिकार समिति की बैठक में राम मन्दिर निर्माण पर खूब खरी-खरी चर्चा हुई, संतो ने संसद के ज़रिए कानून बनाने के अलावा सुप्रीम कोर्ट के रुख को लेकर भी नाराज़गी जताई. संतो ने साफ कर दिया कि अगर जल्द राममंदिर निर्माण का रास्ता साफ नही हुआ तो कारसेवा कभी भी शुरू कर दी जाएगी. संत इसके लिए 3-4 नवंबर को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में फिर से इकठ्ठे होंगे. इस सम्मेलन में हिन्दू धर्म के 148 संप्रदायों से जुड़े संत एकत्रित होकर, कारसेवा का आह्वान कर सकते हैं.
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