PM Modi Launched Vishwakarma Yojana: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (17 सितंबर) को विश्वकर्मा योजना की शुरुआत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि कोई भी शख्स जो हाथों और औजारों से काम करता है वह विश्वकर्मा है और सरकार ऐसे लोगों के उत्थान के लिए हरसंभव प्रयास करेगी जो पारंपरिक कौशल को बढ़ावा देने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने 73वें जन्मदिन और विश्वकर्मा जयंती के मौके पर सबसे पहले भगवान विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना की. इसके बाद उन्होंने द्वारका में नवनिर्मित यशोभूमि कन्वेंशन सेंटर में योजना का शुभारंभ किया. इतना ही नहीं उन्होंने 18 पारंपरिक व्यवसायों के लोगों से भी मुलाकात की.
हाथ और औजारों से काम करने वाले कारीगरों का समर्थन
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, कैबिनेट ने हाल ही में पांच साल के लिए 13,000 करोड़ रुपये के बजट के साथ इस योजना को मंजूरी दी थी. इसका उद्देश्य हाथों और औजारों से काम करने वाले कारीगरों, शिल्पकारों और मजदूरों जैसे बढ़ई, लोहार, ताले बनाने वाले, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार, मोची, खिलौना बनाने वाले, धोबी, दर्जी और अन्य लोगों का समर्थन करना है.
रियायती ब्याज दरों पर मिलेगा लोन
इस योजना में ट्रेनिंग, टेक्नोलॉजी, टूल और रियायती ब्याज दरों पर कर्ज देने का वादा किया गया है. इसका लाभ लेने वाले विश्वकर्मा को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग करने में मदद मिलेगी. यह योजना 'स्वदेशी' उत्पादों को भी बढ़ावा देगी. इसके अलावा इसका मकसद ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले उन लोगों का समर्थन करना है जो अपने कौशल, शिल्प और आजीविका को खोने के कगार पर हैं.
बीजेपी को सपोर्ट कर रहा है ओबीसी समुदाय
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, माना जा रहा है कि यह योजना बीजेपी के अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) मतदाताओं के आधार को और मजबूत बनाएगी. गौरतलब है कि देश की 45 प्रतिशत से अधिक आबादी वाला ओबीसी समुदाय 2014 से पार्टी का पुरजोर समर्थन कर रहा है. पीएम मोदी खुद इस समुदाय से हैं और पार्टी ने विशेष रूप से संख्यात्मक रूप से अहम ओबीसी समुदायों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया है. इस समुदाय को क्षेत्रीय दलों ने छोड़ दिया गया था और वह एक या दो समुदायों पर ध्यान केंद्रित करते अपनी राजनीति कर रहे थे.
ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा
सरकार ने ओबीसी समुदाय की बेहतरी के लिए कई कदम उठाए हैं. इसमें ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देना, कैबिनेट में समुदाय का प्रतिनिधित्व बढ़ाकर अब लगभग 27 करना और NEET में 27 प्रतिशत आरक्षण जैसे फैसले शामिल हैं.
जाति जनगणना की मांग कर रहा विपक्ष
बिहार में जातिगत सर्वे का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. इसके साथ ही इसने राजनीतिक मोड़ भी ले लिया है. इंडिया गठबंधन की छत्रछाया में विपक्षी दलों ने सामान्य जनगणना से पहले जाति जनगणना कराने की मांग की है और आरक्षण की सीमा को हटाने के लिए भी कहा है.
ओबीसी के बीच बढ़ेगी बीजेपी की पैठ
जातिगत जनगणना का मुद्दा कुछ हलकों में काफी संवेदनशील है, क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि ओबीसी की संख्या 1931 में की गई गणना के मुकाबले अधिक हो सकती है, जो उन्हें बड़ी राजनीतिक शक्ति बना सकता है. साथ ही ओबीसी समुदाय के लोगों को बड़ी संख्या में सरकार की योजनाओं के तहत आर्थिक लाभ भी मिल सकता है. इस स्थिति में संभावना है कि विश्वकर्मा योजना की शुरुआत के बाद ओबीसी वोटरों के बीच बीजेपी की पैठ और ज्यादा बढ़ेगी.
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