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'डी कंपनी' शीर्षक देकर डोभाल परिवार को देश विरोधी दिखाने की कोशिश की गई-विवेक डोभाल
विवेक डोभाल की तरफ से कारवां मैगजीन के लेख के शीर्षक पर भी आपत्ति दर्ज करवाई गई जिस पर अदालत ने सवाल पूछा कि आखिर डी कंपनी का मतलब क्या है!!
नई दिल्लीः राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बेटे विवेक डोभाल की तरफ से कांग्रेसी नेता जयराम रमेश, कारवां मैगज़ीन के एडिटर और लेख के लेखक के खिलाफ आपराधिक मानहानि की अर्जी पर सुनवाई के दौरान विवेक डोभाल ने अदालत में अपना बयान दर्ज करवाया. विवेक डोभाल ने अदालत में बताने की कोशिश की कि किस तरह से कारवां में छपे लेख से उनके और उनके परिवार की मानहानि हुई है और इसकी वजह सिर्फ एक थी कि उनके पिता राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल हैं.
आज हुई अदालती कार्रवाई में विवेक डोभाल ने अपना बयान अदालत में दर्ज करवाया. इस दौरान कारवां मैगजीन में छपे इस लेख को भी अदालत में पेश किया गया जिस पर आपत्ति दर्ज करवाते हुए यह मानहानि का मुकदमा दर्ज करवाया गया है. विवेक डोभाल की तरफ से कारवां मैगजीन के लेख के शीर्षक पर भी आपत्ति दर्ज करवाई गई जिस पर अदालत ने सवाल पूछा कि आखिर डी कंपनी का मतलब क्या है!!
विवेक डोभाल ने अदालत के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि "कंपनी को भारत में दाऊद कंपनी के लिए इस्तेमाल किया जाता है और वह देश में आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं. लेकिन यहां पर इस आर्टिकल में मुझे और मेरे परिवार पर डी कंपनी का नाम लेकर आरोप लगाए गए हैं एक तरह से मुझे देश विरोधी दिखाने की कोशिश की गई इससे भी मेरी छवि को खासा नुकसान पहुंचा है."
विवेक डोवाल ने अदालत में अपना बयान दर्ज करवाते हुए कहा की इस लेख में जो कुछ भी छपा है वह मुझे और मेरे परिवार को बदनाम करने की कोशिश के तहत किया गया है और जिस तरीके से सोशल मीडिया पर लोगों ने उन पर रिएक्ट किया उससे मैं और मेरा परिवार बेहद परेशान रहा. विवेक डोभाल ने अदालत ने अपना बयान दर्ज करवाते हुए कहा कि मैं पिछले कई सालों से देश से बाहर हूं और विदेश में रहकर अपनी कंपनियां चला रहा हूं और उससे पहले अलग-अलग कंपनियों में नौकरी भी कर चुका हूं लेकिन इस लेख से मेरी छवि को तो नुकसान पहुंचा ही है साथ ही अब लोग मुझे शक की निगाह से देखने लगे हैं. मैनें जो कुछ भी हासिल किया है वो अपने दम पर अपनी मेहनत से हासिल किया है इसमें मेरे परिवार का कुछ भी सहयोग नही है. मैंने कभी भी पारिवारिक संबंधों को अपने काम को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया. मेरे पिता जो देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार है, उनको बेवजह इसमे घसीटा जा रहा है. जबकि मेरे बिज़नेस में मेरे पिता का कोई लेना देना नही है. इस लेख के जरिये एक परिवार को टारगेट किया गया है. आखिर आर्टिकल में नेशनल सिक्युरिटी एडवाइजर की तसवीर लगाने और उस पर डी कम्पनी शीर्षक देने का क्या औचित्य है??
गौरतलब है कि कारवां मैगजीन ने 16 जनवरी को प्रकाशित हुए अंक में "द डी कंपनी" नाम से एक रिपोर्ट छापी थी जिसमें यह बताने की कोशिश की गयी थी कि जब नोटबंदी का ऐलान हुआ था उसके कुछ दिनों के अंदर ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के बेटे विवेक डोभाल ने केमैन आईलैंड पर एक कंपनी शुरू की और बाद में करोड़ों रुपए उस देश से एफडीआई के ज़रिए भारत वापस आया. जबकि इससे पहले के सालों के दौरान भारत में केमैन आईलैंड से ज्यादा कोई पैसा नहीं आ रहा था. बाद में कांग्रेसी नेता जयराम रमेश ने कारवां मैगजीन में छपे लेख का हवाला देकर अजीत डोभाल और उनके परिवार पर आरोप लगाए. जयराम रमेश के आरोपों और कारवां मैगजीन में छपे लेख पर आपत्ति दर्ज करवाते हुए विवेक डोभाल ने अदालत में आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया है.
‘कारवां’ के खिलाफ विवेक डोभाल की मानहानि याचिका पर 30 जनवरी को सुनवाई, जज ने पूछा- D कंपनी क्या है
‘कारवां’ पत्रिका और जयराम रमेश के खिलाफ अदालत पहुंचे अजीत डोभाल के बेटे, मानहानि का आरोप लगाया
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