कांग्रेस के विवेक तन्खा ने कहा-पार्टी को मजबूत करने के लिए चिट्ठी लिखना जरूरी था
विवेक तन्खा ने अपने ट्वीट में ये भी लिखा कि हम बागी नहीं हैं बल्कि बदलाव के वाहक है.
नई दिल्लीः कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर जारी उठापठक सबके सामने है. नेतृत्व तय करने के लिए जो चिट्ठी लिखी गई है उसे लेकर पार्टी में भारी असमंजस की स्थिति बनी हुई थी हालांकि कल कांग्रेस की सीडब्ल्यूसी की बैठक हो चुकी है और इसमें सोनिया गांधी कुछ और समय के लिए अंतरिम अध्यक्ष बनने पर सहमत हो गईं हैं. फिर भी ये साफ है कि पार्टी में अभी भी बगावत के सुर शांत नहीं हुए हैं. इसी कड़ी में आज सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखने वालों में एक कांग्रसी नेता विवेक तन्खा ने बड़ी बात कही है.
विवेक तन्खा ने किया ट्वीट विवेक तन्खा ने आज एक ट्वीट के जरिए अपनी बात रखी और उसमें लिखा कि जो पत्र लिखा गया वो नेतृत्व को चुनौती देने के लिए नहीं लिखा गया बल्कि इसलिए लिखा गया क्योंकि पार्टी को मजबूत करने के लिए इसकी जरूरत थी. ये यूनिवर्सल सच है कि सर्वश्रेष्ठ बचाव जरूरी है, चाहे वह कोर्ट हो या सार्वजनिक मामला. इतिहास बहादुर को स्वीकार करता है न कि डरपोक को.
Friends we are not dissenters but proponents of revival :: the letter was not a challenge to leadership but a parchment of action to strengthen the party :: universally truth is best defence whether it be Court or Public Affairs :: history acknowledges the brave & not the timid.
— Vivek Tankha (@VTankha) August 25, 2020
सोनिया गांधी ही बनीं अंतरिम अध्यक्ष कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, आनंद शर्मा समेत विवेक तन्खा ने भी सोनिया गांधी को पत्र लिखा था. कांग्रेस के नेताओं ने सोनिया गांधी से पार्टी संगठन में ऊपर से लेकर नीचे तक परिवर्तन की मांग की थी. हालांकि कल सीडबल्यूसी की बैठक में किसी नए नाम पर सहमति नही बन पाई और सोनिया गांधी के ही अंतरिम अध्यक्ष बनने पर आकर बात थमी.
हम बागी नहीं हैं-विवेक तन्खा विवेक तन्खा ने अपने ट्वीट में ये भी लिखा कि हम बागी नहीं हैं बल्कि बदलाव के वाहक है. विवेक तन्खा ने पहले भी पार्टी में जरूरी बदलाव के लिए आवाज उठाई है और इस समय भी मुखर होकर इस बात को उठा रहे हैं.
संजय झा ने भी उठाई आवाज़ आज कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता संजय झा ने भी एक ट्वीट करते हुए लिखा कि ये शुरुआत का अंत है. इस तरह उन्होंने एक बार फिर अपने बगावेती तेवर दिखाए हैं. कुल मिलाकर ये साफ है कि कांग्रेस पार्टी में इस समय नेतृत्व को लेकर स्थिति साफ नहीं है और जब तक किसी नए नाम पर आम सहमति बन नहीं जाती तब तक सोनिया गांधी ही कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर बनी रहेंगी.
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