भोपाल में कोविड-19 वैक्सीन इस्तेमाल करनेवाले एक वॉलेंटियर की संदिग्ध मौत की खबर है. टीला जमालपुरा निवासी वॉलेंटियर का नाम दीपक मरावी है. पेशे से मजदूर शख्स को 12 दिसंबर को वैक्सीन का पहला डोज लगाया गया था. पीपुलस मेडिकल कॉलेज में चल रहे मानव परीक्षण के तहत दूसरे डोज के 21 दिन पहले मजदूर घर पर मृत मिला.


कोविड-19 वैक्सीन के परीक्षण में शामिल वॉलेंटियर की संदिग्ध मौत पर सवाल


परिवार के लोगों ने उसकी संदिग्ध मौत पर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि किसी को बताए बिना उसने वैक्सीन का डोज लगवाया था और उसके बाद उसकी तबियत बिगड़ गई. हालांकि, डोज लेनेवाले शख्स के पास ना तो कोई कागज था और ना ही अस्पताल के बारे में किसी तरह की जानकारी मिली. बताया जाता है कि उसे 750 रुपए का लालच देकर वैक्सीन के मानव परीक्षण का हिस्सा बनाया गया.


750 रुपए का लालच देकर वैक्सीन के मानव परीक्षण में शामिल करने की बात


दीपक की मौत के बाद बेटे बादल ने कुछ दिनों पहले पुलिस को घटना की जानकारी दी. पुलिस ने शिकायत के आधार पर मृतक का पोस्टमार्टम कराकर विसरा को सुरक्षित रख लिया है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में संदिग्ध जहर के कारण हार्ट अटैक से मौत होने की बात सामने आई है. फिलहाल अंतिम रिपोर्ट से मौत के पीछे की ज्यादा मिलने की उम्मीद है. लेकिन मानव परीक्षण और प्रशासनिक कार्रवाई पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं.


सामाजिक कार्यकर्ता रचना ढींगरा ने अस्पताल प्रबंधन को कठघरे में खड़ा किया है. इसके अलावा, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विज सिंह ने पीड़ित परिजनों से मुलाकात कर प्रशासन पर मामले में लीपापोती का आरोप लगाया. इधर, कोवेक्सीन का परीक्षण करने वाले अस्पताल पीपुलस मेडिकल कॉलेज ने माना है कि वॉलेंटियर दीपक की मौत की खबर मिली है. फिलहाल फाइनल पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है.


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