Link Voter ID with Aadhaar: तृणमूल कांग्रेस ने दावा किया कि लोगों को अपने आधार कार्ड (Aadhaar Card) को वोटर आईडी (Voter ID) से जोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है. टीएमसी (TMC) प्रवक्ता साकेत गोखले (Saket Gokhale) ने सोमवार को कहा कि चुनाव अधिकारी लोगों को अपने आधार नंबर को वोटर आईडी से जोड़ने के लिए मजबूर कर रहे हैं. वहीं चुनाव आयोग (Election Commission) ने दोहराया कि ये प्रक्रिया स्वैच्छिक है. 


इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन के ट्वीट का हवाला देते हुए टीएमसी प्रवक्ता गोखले ने कहा कि चुनाव अधिकारियों द्वारा लोगों को वोटर आईडी को आधार नंबर से जोड़ने के लिए मजबूर करने के कई मामले सामने आए हैं. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "हमने आज चुनाव आयोग को पत्र लिखकर स्पष्टीकरण जारी करने और तुरंत इसे रोकने के लिए कहा है." जिस पर चुनाव आयोग ने कहा कि, "फॉर्म 6बी में आधार जमा करना स्वैच्छिक है. आधार न जमा करने के आधार पर मतदाता सूची से कोई नाम नहीं हटाया जाएगा." 


क्या कहा चुनाव आयोग ने?


चुनाव आयोग ने इस संबंध में राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारियों को जारी निर्देशों का लिंक साझा करते हुए कहा, "आधार जमा नहीं करने के आधार पर मतदाता सूची में कोई प्रविष्टि नहीं हटाई जाएगी." टीएमसी की ओर से चुनाव आयोग को गोखले ने बताया कि चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक 2021, जो चुनावी डेटा को आधार कार्ड से जोड़ने की अनुमति देता है, संसद द्वारा दिसंबर 2021 में पारित किया गया था. विधेयक के पारित होने के बाद केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद को सूचित किया था कि मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ना स्वैच्छिक है और अनिवार्य नहीं है." 


"लोगों को फोन कर दे रहे चेतावनी"


उन्होंने दावा किया कि, "इसके बावजूद पिछले महीने बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओएस) द्वारा देश भर में लोगों को फोन करने और उन्हें चेतावनी देने के कई मामले सामने आए हैं कि अगर वे अपने आधार नंबर को लिंक नहीं करते हैं तो उनके मतदाता पहचान पत्र रद्द कर दिए जाएंगे और उनके नाम मतदाता सूची से हटा दिए जाएंगे." 


आधार जमा न करने पर नहीं कटेगा नाम


बता दें कि, चुनाव आयोग (ECI) ने 4 जुलाई को राज्यों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को जारी अपने निर्देश में कहा था, "आधार कार्ड (Aadhaar Card) लिंक करना पूरी तरह से स्वैच्छिक है." इसमें कहा गया था कि मतदाताओं द्वारा आधार जमा करना स्वैच्छिक है और आधार जमा न करने के कारण चुनावी डेटाबेस से उनके नाम नहीं काटे जा सकते हैं. 


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