UP Assembly Election 2022: यूपी समेत इस समय देश के कुल 5 विधानसभा राज्यों में चुनाव चल रहे हैं. 10 फरवरी को पश्चिमी यूपी की कई विधानसभा सीटों पर पहले चरण के चुनाव के लिये मतदान होना है. इन चुनावों में कई बार टिकट नहीं मिलने पर प्रत्याशियों को निर्दलीय चुनाव लड़ते देखा गया है. लेकिन यूपी में इन आंकड़ो पर नजर ड़ालें ते हमें पता चलता है कि निर्दलीय माननीयों की संख्या काफी कम हो गयी है. 2017 में तो कुल 1462 निर्दलीय प्रत्याशियों में मात्र तीन निर्दलीय प्रत्याशी ही चुनावों में विजयी हुये थे.
वहीं सन् 1989 में कुल 40 निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे थे. सूबे की राजनीति में ऐसे कई उदाहरण हैं जब निर्दलीय विधायकों की संख्या 20 से अधिक हुआ करती थी. वर्ष 2002 के बाद ऐसे प्रत्याशियों की संख्या लगातार घटती गयी है. 2002 के बाद से ऐसे विधायकों की संख्या में लगातार कमी आती गई है. 2002 के चुनावों में ऐसे विधायकों की संख्या घटकर 16 ही रह गई थी.
1967 में निर्दलीयों ने गिरा दी थी यूपी सरकार
चुनाव आयोग के आंकड़ो के मुताबिक 1952 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में 1006 लोगों ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अपना भाग्य आजमाया था इनमें से 14 प्रत्याशी ने चुनाव में विजयश्री हासिल की थी. वर्ष 1967 के चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवारों ने उत्तर प्रदेश की चंद्रभानू गुप्ता नीत सरकार गिरा दी थी. 1967 के चुनाव में कांग्रेस को 425 में से 199 सीटों पर ही विजयश्री हासिल हुई थी. इस चुनाव में जनसंघ को 98 सीटें मिली थीं. वहीं कुल 37 निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी.
उस समय कांग्रेस के विधायक दल के नेता चंद्रभानू गुप्ता ने 223 विधायकों का समर्थन होने का दावा किया था. गुप्ता ने सरकार तो बना ली लेकिन बाद में कुछ कांग्रेसी विधायकों के टूटने और निर्दलीय विधायकों के विपक्षियों से हात मिला लेने की वजह से कांग्रेस सरकार महज 11 दिनों में ही गिर गई थी.