Women Reservation Bill: संसद के विशेष सत्र के तीसरे दिन बुधवार (20 सितंबर) को महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल) लंबी चर्चा के बाद लोकसभा से पास हो गया.


बिल को 454 सांसदों ने समर्थन दिया, जबकि 2 वोट इसके विरोध में पड़े. हालांकि वोटिंग पुरानी तकनीक से कराई गई. वोटिंग में पर्चियों का इस्तेमाल किया गया. नई संसद की वजह से इस प्रक्रिया ने सभी का ध्यान खींचा.


न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सूत्रों ने बताया कि मत विभाजन के दौरान वोट दर्ज करने की डिजिटल वोटिंग सिस्टम का उपयोग नहीं किया जा सका क्योंकि कुछ दलों ने अभी तक नए लोकसभा कक्ष के लिए सदस्यों की डिविजन नंबर नहीं भेजी है.


वोटिंग की जरूरत क्यों पड़ी?


यह एक संविधान संशोधन विधेयक था, इसलिए यह देखने के लिए विशेष मतदान प्रक्रिया का उपयोग किया गया कि कितने सदस्य इसके पक्ष और कितने इसके विरोध में हैं. साधारण विधेयक आमतौर पर ध्वनिमत से पारित किये जाते हैं, लेकिन संविधान संशोधन से जुड़े विधेयक मत विभाजन के माध्यम से पारित होते हैं.


डिजिटल वोटिंग प्रणाली में सदस्यों को वोट देने के दौरान समर्थन, विरोध या अनुपस्थित रहने के लिए अपने डेस्क पर बटन दबाने की जरूरत होती है. यह प्रक्रिया तुरंत हो जाती है.


वहीं, पर्चियों में सदस्य अपना वोट दर्ज करने के लिए पर्ची के हरे या लाल पक्ष पर हस्ताक्षर करते हैं .परिणाम के लिए पर्चियों की गिनती की जाती है.


राज्यसभा में होगी बिल पर चर्चा
बता दें कि महिला आरक्षण बिल लोकसभा से पारित होने के बाद गुरुवार (21 सितंबर) को राज्यसभा में भेजा जाएगा, जहां उस पर चर्चा की जाएगी. राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बताया कि इस विधेयक पर चर्चा के लिए साढ़े सात घंटे का समय तय किया गया है. 


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