नई दिल्ली: सरकार जिस एयर इंडिया को हर हाल में बेचने पर आमादा है उसे किस तरह सरकारी तंत्र ने ही धीरे-धीरे दीमक की तरह खोखला किया है, इसका एक ताज़ा उदाहरण सामने आया है. एक आरटीआई से ये खुलासा हुआ है कि सरकार और सरकार से संबंध रखने वाले वीआईपी लोगों और संस्थाओं ने मिलकर एयर इंडिया का जमकर इस्तेमाल किया और फिर घाटे की वजह से बिकने की कगार पर खड़ी एयर इंडिया का बिल भी नहीं चुकाया.
क्या है पूरा मामला
रिटायर्ड कॉमोडोर लोकेश बत्रा ने आरटीआई के तहत एयर इंडिया से उसकी उस बकाया राशि के बारे में ताजा जानकारी मांगी थी जिसे वीवीआईपी की कैटेगरी के लोगों या संस्थानों ने न चुकाया हो. सवाल के जवाब में एयर इंडिया ने बताया कि 30 नवंबर 2019 तक वीवीआईपी लोगों की चार्टर फ्लाइटों पर 822 करोड़ रुपये का बकाया था.
मजबूरी में मांग भी नहीं सकती पैसे
एयर इंडिया की मजबूरी ये है कि जिन लोगों या संस्थाओं पर उसके करोड़ों रुपये बकाया हैं वो इतने वीवीआईपी हैं कि उन्हें नोटिस भेजना भी एयर इंडिया के चेयरमैन के बस की बात नहीं होती. उदाहरण के लिए वीवीआईपी चार्टर फ्लाइट के तहत एयर इंडिया राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को विशेष विमान उपलब्ध कराती है. इनके बिलों का भुगतान मंत्रालयों की तरफ से किया जाता है.
कई काम करने पड़ते हैं उधार
आरटीआई के जवाब में एयर इंडिया ने ये भी बताया है कि राहत और बचाव कार्यों में स्पेशल एयरक्राफ़्ट के प्रयोग के लिए 9.67 करोड़ रुपये और विदेशी मेहमानों के लिए स्पेशल एयरक्राफ्ट के खाते में 12.65 करोड़ रुपये बकाया है. हालांकि, हाल ही में चीन के वुहान शहर में फैले कोरोना वायरस के प्रकोप में फंसे सभी भारतीय यात्रियों को वुहान से दो दिन में ही भारत वापस लाने के कारण एयर इंडिया की खूब तारीफ हुई लेकिन एयर इंडिया की हालत ये है कि ये प्रतिष्ठित सरकारी कंपनी कितना भी अच्छा काम करे इसके हिस्से घाटा ही लगता है.
सरकारी तंत्र ने ही किया खोखला
सभी मंत्रालयों और उससे जुड़े 57 संस्थानों के पूरे सरकारी तंत्र ने मिलकर दशकों से इसे अपने लिए रियायती और स्पेशल ट्रीटमेंट के लिए बाध्य कर रखा है. इसी के चलते एयर इंडिया घाटे में जाने लगी. बावजूद इसके एयर इंडिया से वीवीआईपी का भार कम नहीं हुआ. इस भार के चलते ही देश की जनता का चहेता एयर इंडिया अब 100 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ अब बिकने को तैयार है.
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