DHFL Scam: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने दिल्ली की एक विशेष अदालत (Special Court) को सूचित किया है कि आरोपी वधावन भाइयों (Wadhwan Brothers)  ने अपनी स्वामित्व वाली कंपनियों को धोखाधड़ी (Fraud) से ऋण (Loan) दिया था.  जबकि यह दिखाया गया था कि ऐसे ऋण खुदरा व्यक्तियों के उधारकर्ताओं को दिए गए थे जो वास्तव में मौजूद ही नहीं थे. सीबीआई (CBI) ने कोर्ट (Court) को आगे बताया कि आरोपी वधावन बंधुओं (Wadhwan Brothers) की कई कंपनियां हैं जिनमें डीएचएफएल (DHFL) ने कर्ज डायवर्ट किया था.


कस्टोडियल रिमांड के दौरान आरोपी कपिल वधावन ने खुलासा किया कि उसने दलाल एंटीक स्टॉक ब्रोकिंग लिमिटेड मुंबई के माध्यम से धनलक्ष्मी बैंक, वल्लश पॉलीप्लास्ट और वधावन ग्लोबल के 17.98 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर लिए थे. ऐसी आशंकाएं जताईं जा रही हैं कि उन शेयरों को धोखाधड़ी के पैसों की इनकम से लिया गया था और इसलिए इस संबंध में जांच भी जारी है. सीबीआई ने कहा कि जांच ने यह भी बताया है कि इनके रिकॉर्ड्स भी गलत तरीकों से बनाए गए थे. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले विभिन्न कंसोर्टियम बैंकों से बेईमानी और धोखाधड़ी से से मिले पैसे को डायवर्ट करने के लिए डीएचएफएल के रिकॉर्ड से काफी बातें छुपाई गई थी. 


कुछ डिजिटल डिवाइस की जांच कर रही है CBI
सीबीआई ने अदालत को आगे बताया कि जांच के दौरान बरामद किए गए कुछ आपत्तिजनक डिजिटल डिवाइसों का विश्लेषण किया जा रहा है और यह महसूस किया गया है कि आरोपी धीरज वधावन की आवाज का नमूना अनिवार्य रूप से एक डिजिटल डिवाइस में पाए जाने वाले खराब क्वालिटी की आवाज की तुलना करने के लिए जरूरी है. 29 जुलाई 2022 को आरोपी धीरज वधावन ने स्वतंत्र गवाह की मौजूदगी में अपनी आवाज का नमूना लेने का मकसद बताया था.


धीरज राजेश कुमार ने नहीं दिया वॉइस सैंपल
आरोपी ने अपनी आवाज का नमूना लेने की जरूरत के बारे में जानकारी होने के बावजूद भी उसने अपनी आवाज का नमूना देने से मना कर दिया था. यह स्पष्ट है कि आरोपी धीरज राजेश कुमार वधावन जांच के दौरान एजेंसी का सहयोग नहीं कर रहे हैं. विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने शनिवार को सीबीआई द्वारा 3 और दिनों की पुलिस हिरासत की मांग करने वाली याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया कि मामले में और हिरासत में पूछताछ की कोई आवश्यकता नहीं है.


5 अगस्त 2022 तक न्यायिक हिरासत में भेजे गए
कोर्ट ने उन्हें मेसर्स दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) के 34000 करोड़ रुपये के घोटाले की और जांच करने के लिए 5 अगस्त, 2022 तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया. कोर्ट ने नोट किया कि सीबीआई के आंकलन में अन्य बातों के साथ-साथ शेयर, अन्य संपत्तियों की तलाशी, एक हेलीकॉप्टर जैसे बरामद वस्तुओं की जांच, और कई कथित मुखौटा कंपनियों की जांच की जा सकती है. 


ऑगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर में हिस्सेदारी
सीबीआई ने यह भी तर्क दिया कि मेसर्स आरकेडब्ल्यू डेवलपर्स प्रा. लिमिटेड (वधावन परिवार और उनके स्वामित्व वाली / नियंत्रित संस्थाओं के स्वामित्व में), MWs वरवा एविएशन, पुणे के नाम पर हेलीकॉप्टर (अगस्टा वेस्टलैंड के अगस्ता ग्रैंड) में पर्याप्त हिस्सेदारी रखता है. हेलीकॉप्टर की कीमत 36 करोड़ रुपये थी, जिसमें से मेसर्स आरकेडब्ल्यू डेवलपर्स प्रा. लिमिटेड ने उक्त हेलीकॉप्टर के लागत मूल्य और रखरखाव में अपनी हिस्सेदारी के लिए 2017 में पर्याप्त राशि का योगदान दिया. 


फर्जी खातों में 34,615 करोड़ रूपये की हेराफेरी
20 जून को यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया (UBI) की शिकायत पर सीबीआई (CBI) ने धोखाधड़ी (Fraud) मामले में डीएचएफएल (DHFL) के वाधवान बंधुओं सहित अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था. इन लोगों पर आरोप है कि इन्होंने डीएचएफएल के फर्जी खातों में 34,615 करोड़ रुपए की हेराफेरी की. CBI का आरोप था कि अविनाश भोंसले (Avinash Bhonsle) की कंपनियों ने साल 2018 में DHFL से कमीशन के तौर पर लगभग 69 करोड़ रूपये लिए थे. जब उनसे इस राशि के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इसे कंसल्टेंसी सर्विसेज चार्ज बताया था.


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