Farm Laws Repealed: कृषि कानूनों के रद्द किए जाने के बाद भी किसान आंदोलन (Farmers Protest) जारी है. संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने बयान जारी कर कहा है कि सरकार बिना किसी औपचारिक वार्ता के उन्हें मजबूर कर रही है कि वो अपने मोर्चों पर बने रहें. SKM की तरफ से कहा गया है कि वो सरकार की तरफ से सकारात्मक कार्रवाई करने और सकारात्मक मांगों को पूरा किए जाने का इंतजार कर रहे हैं. प्रदर्शनकारियों ने कहा है कि BJP-JJP नेताओं का वो विरोध करते रहेंगे.
SKM ने कहा है कि पिछले साल औपचारिक बातचीत के दौरान सरकार के प्रतिनिधियों ने किसानों को श्रद्धंजलि देने के लिए मौन धारण किया था. अब सरकार कह रही है कि उनके पास कोई रिकॉर्ड नहीं है. हमारे पास सभी शहीदों का रिकॉर्ड है. हम शहीद किसानों के पीड़ित परिवारों के पुनर्वास का इंतजार कर रहे हैं. SKM ने ये भी कहा है कि कृषि कानूनों को रद्द कराकर हमने पहली बड़ी जीत हासिल की है. किसान जायज मांगों को मनवाने के लिए धैर्य के साथ इंतजार कर रहे हैं. SKM के मुताबिक मध्य प्रदेश के रीवा (333वें दिन) और सिवनी में ,महाराष्ट्र के वर्धा, राजस्थान के झुंझुनू जैसे दर्जनों टोल प्लाजा और स्थानों पर सभी पक्के मोर्चे अब भी हैं.
आंदोलनकारी किसानों ने कहा है कि भारत सरकार ने संसद के पटल पर एक बार फिर कहा है कि उनके पास विरोध करने वाले किसानों की मौतों का कोई रिकॉर्ड नहीं है. किसान आंदोलन, सरकार के जरिए संघर्ष की बड़ी कीमत को नकारने से अपमानित महसूस कर रहा है. कल हरियाणा में SKM से जुड़े किसान संगठनों ने एक बैठक की और छह लंबित मांगों को दोहराने के साथ ही कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनःस्थापन अधिनियम 2013 (एलएआरआर 2013) में राज्य स्तर के संशोधनों को निरस्त किया जाना है. उन्होंने राज्य सरकार से यह भी मांग की कि वह राज्य में किसानों के विरोध को रोकने के लिए पारित एक अलोकतांत्रिक कानून ‘हरियाणा लोक व्यवस्था में गड़बड़ी के दौरान संपत्ति के नुकसान की वसूली अधिनियम, 2021’ को वापस ले.
केंद्र सरकार मामले वापस लेगी तब राज्य लेंगे एक्शन
एसकेएम ने कहा कि हरियाणा सरकार के प्रतिनिधि बार-बार कह रहे हैं, कि जब हजारों किसानों के खिलाफ दर्ज सैकड़ों मामले वापस लेने की बात आती है तो वे केंद्र के निर्देशों पर कार्रवाई करेंगे. जाहिर सी बात है कि BJP की राज्य सरकारें इस मामले पर केंद्र की कार्रवाई का इंतजार कर रही हैं और किसी भी मामले में दिल्ली और चंडीगढ़ जैसे स्थानों पर मामलों को सीधे केंद्र सरकार को वापस लेना होगा. एसकेएम ने भारत सरकार से इस मामले में औपचारिक रूप से आगे बढ़ने के लिए कहा, जो आंदोलन की लंबित मांगों में से एक है.
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