Waqf Act Amendment: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार वक्फ बोर्ड में सुधार के लिए इसमें बदलाव करने वाली है. इस संबंध में संसद में वक्फ अधिनियम संशोधन विधेयक लाया जा सकता है. राजनीतिक गलियारों में भी इस बात की चर्चा जोरों पर है. विपक्ष ने साफ कर दिया है कि वह इस विधेयक का विरोध करने वाला है. उधर सरकार की तरफ से अभी तक इस संबंध में कोई भी आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है. सिर्फ मीडिया में आई खबरों पर बयानबाजी हो रही है.
हालांकि, इस बात की प्रबल संभावना नजर आने लगी है कि वक्फ बोर्ड में बदलाव हो सकता है. संसद सत्र 11 अगस्त तक चलने वाला है और ये माना जा रहा है कि जल्द ही इसे सदन में विधेयक को लाया जाएगा. इन सब चीजों को समझने से पहले ये जानना जरूरी है कि आखिर सरकार बदलाव क्यों करना चाहती है. बताया गया है कि वक्फ बोर्ड का एक ऐसा सेक्शन है, जिसे लेकर सबसे ज्यादा विवाद है. ऐसे में आइए ये जानते हैं कि आखिर ये सेक्शन क्या है और सरकार इसमें क्या बदलाव करना चाहती है.
वक्फ कानून के किस सेक्शन पर विवाद?
दरअसल, वक्फ कानून के सेक्शन 40 पर सबसे ज्यादा विवाद है. इसके मुताबिक अगर वक्फ बोर्ड किसी संपत्ति को वक्फ संपत्ति समझता है तो वो उसे नोटिस देकर और फिर जांच करके ये तय कर सकता है कि वो वक्फ का हिस्सा है. वह यह भी तय कर सकता है कि ये शिया वक्फ है या फिर सुन्नी. वक्फ बोर्ड के इस फैसले के खिलाफ सिर्फ ट्रिब्यूनल में जाया जा सकता है. फरवरी 2023 में तत्कालीन अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी ने संसद में जवाब देकर इस प्रावधान को स्पष्ट किया था.
स्मृति ईरान के जवाब के मुताबिक सेक्शन 40 कहता है, "स्टेट वक्फ बोर्ड को किसी भी सवाल पर फैसला करने का अधिकार है कि क्या कोई संपत्ति वक्फ की है या नहीं या फिर ये सुन्नी वक्फ है या शिया. बोर्ड ऐसे कारण पर विधिवत विचार करने और अगर जरूरत पड़ती है तो जांच करने के बाद मामले पर निर्णय लेता है. इस सेक्शन के तहत किसी भी सवाल पर बोर्ड का फैसला अंतिम ही रहता है, जब तक कि ट्रिब्यूनल द्वारा उसे रद्द या संशोधित नहीं किया जाता है."
सर्वे को लेकर वक्फ कानून में क्या प्रावधान है?
वक्फ कानून के सेक्शन 4 में सर्वे का प्रावधान है, जिसके तहत वक्फ बोर्ड सर्वे कमिश्नर की नियुक्ति कर सकता है, जो ऐसी संपत्तियों का सर्वे कर सकता है. वक्फ बोर्ड पर किसी भी विवाद की सूरत में राज्य सरकार वक्फ ट्रिब्यूनल गठित करती है, जो सिविल कोर्ट की तरह काम करते हैं. इनके फैसले के खिलाफ किसी भी सिविल कोर्ट में अपील नहीं की जा सकती.
संशोधनों के बाद वक्फ बोर्ड में क्या बदल जाएगा?
नए संशोधनों में वक्फ संपत्तियों के अनिवार्य सत्यापन की व्यवस्था है. इसमें जिला प्रशासन की भी भागीदारी है. अब जिलाधिकारी वक्फ की संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन और उनसे आमदनी के मामले की देखरेख कर सकेगा. संशोधन के बाद वक्फ बोर्ड को अपनी संपत्ति जिला मजिस्ट्रेट के दफ्तर में रजिस्टर्ड करानी होगी, ताकि संपत्ति का मूल्यांकन हो सके और उनके राजस्व की जांच हो सके. इसके अलावा दो प्रमुख बदलाव देखने को मिलेंगे.
वक्फ बोर्ड के कंपोजिशन में बदलाव: नए प्रावधानों के मुताबिक बोर्ड के स्ट्रक्चर में बदलाव किया जाएगा और इसमें महिलाओं की हिस्सेदारी भी सुनिश्चित की जाएगी.. राज्यों में वक्फ बोर्ड में महिला सदस्य शामिल होंगी.
पुरानी और विवादित संपत्तियों का नए सिरे से सत्यापन: वक्फ बोर्ड की विवादित और पुरानी संपत्ति का नए सिरे से सत्यापन हो सकेगा. नया संशोधन उन संपत्तियों पर भी लागू होगा, जिन पर या तो वक्फ बोर्ड ने, या फिर किसी दूसरे व्यक्ति ने अपने अपने दावे किए हों. वक्फ बोर्ड ऐसी संपत्तियों पर जो भी दावा करता है, उसका अनिवार्य सत्यापन होगा.
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