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वक्फ बोर्ड को कभी अंग्रेजों ने बताया था अवैध, विवाद के बाद भी हुई थी संसद में वोटिंग, ऐसी है बिल के एक्ट बनने की इनसाइड स्टोरी

Waqf Board Act Amendment: वक्फ को लेकर विवाद अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा है. वक्फ की संपत्ति पर कब्जे का विवाद लंदन स्थित प्रिवी काउंसिल तक पहुंचा था.

Waqf Board Amendment Bill: केंद्र सरकार ने वक्फ बोर्ड के अधिकारों पर अंकुश लगाने की तैयारी शुरू कर दी है. सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार जल्द ही वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन से जुड़ा एक बिल संसद में पेश कर सकती है. इसके तहत वक्फ बोर्ड अधिनियम में 40 से अधिक संशोधनों किए जा सकते हैं. ऐसे में वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन की चर्चाओं के बाद इसके पीछे के इतिहास को जानना महत्वपूर्ण हो जाता है.

वक्फ बोर्ड का गठन क्यों किया गया और इसमें वक्फ को क्या अधिकार मिलते हैं. दरअसल, देश के आजाद होने के सात साल बाद 1954 में वक्फ अधिनियम पहली बार पारित किया गया. उस समय देश के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू थे. उनकी सरकार वक्फ अधिनियम लेकर आई लेकिन, बाद में इसे निरस्त कर दिया गया.

1964 में गठित की गई केंद्रीय वक्फ परिषद

इसके एक साल बाद 1955 में फिर से नया वक्फ अधिनियम लाया गया. इसमें वक्फ बोर्डों को अधिकार दिए गए. 9 साल बाद 1964 में केंद्रीय वक्फ परिषद का गठन किया गया, जो अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधीन था. इसका काम वक्फ बोर्ड से संबंधित कामकाज के बारे में केंद्र सरकार को सलाह देना होता है.

वक्फ परिषद के गठन के लगभग 30 साल बाद साल 1995 में पीवी नरसिम्हा राव की नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने वक्फ एक्ट में पहली बार बदलाव किया. उन्होंने वक्फ बोर्ड की ताकत को और भी बढ़ा दिया. उस संशोधन के बाद वक्फ बोर्ड के पास जमीन अधिग्रहण के असीमित अधिकार आ गए. हालांकि, साल 2013 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए-2 सरकार में वक्फ एक्ट में फिर से संशोधन किया गया.

अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा वक्फ को लेकर विवाद

वक्फ को लेकर विवाद अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा है. वक्फ की संपत्ति पर कब्जे का विवाद लंदन स्थित प्रिवी काउंसिल तक पहुंचा था. अंग्रेजी हुकूमत के दौरान ब्रिटेन में जजों की एक पीठ बैठी और उन्होंने इसे अवैध करार दिया था लेकिन, ब्रिटिश भारत की सरकार ने इसे नहीं माना और इसे बचाने के लिए 1913 में एक नया एक्ट लाई. 8 दिसंबर 2023 को वक्फ बोर्ड (एक्ट) अधिनियम 1995 को निरस्त करने का प्राइवेट मेंबर बिल राज्यसभा में पेश किया गया था.

यह बिल उत्तर प्रदेश से भाजपा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने पेश किया. राज्यसभा में इस बिल को लेकर विवाद भी हुआ और उस समय इस बिल के लिए मतदान भी कराया गया. तब बिल को पेश करने के समर्थन में 53, जबकि विरोध में 32 सदस्यों ने मत दिया. उस दौरान भाजपा सांसद ने कहा था कि 'वक्फ बोर्ड अधिनियम 1995' समाज में द्वेष और नफरत पैदा करता है. वक्फ एक अरबी शब्द है. जिसका अर्थ होता है खुदा के नाम पर अर्पित वस्तु.

वक्फ बोर्ड के अधिकार में चल और अचल संपत्तियां आती हैं. इन संपत्तियों के रखरखाव के लिए राष्ट्रीय से लेकर राज्य स्तर पर वक्फ बोर्ड होता है. वक्फ बोर्ड को जो संपत्ति दान दी जाती है, उससे गरीबों की मदद की जाती है.

वक्फ के अधिकारों को लेकर है सबसे ज्यादा विवाद

वर्तमान में वक्फ बोर्ड के पास 8,65,644 अचल संपत्तियां हैं. अल्पसंख्यक मंत्रालय ने दिसंबर 2022 में इसके बारे में लोकसभा में जानकारी दी थी. हालांकि, सबसे अधिक विवाद वक्फ के अधिकारों को लेकर है. क्योंकि वक्फ एक्ट के सेक्शन 85 में इस बात पर जोर दिया गया है कि बोर्ड के फैसले को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती है.

ये भी पढ़ें: नरसिम्हा राव ने बढ़ाई थी वक्फ बोर्ड की पावर, अब मोदी सरकार कतरेगी पर, समझिए इसकी समस्याएं और विवाद

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