Delhi Waqf Board Approached The High Court: दिल्ली के बेहद पॉश इलाके जोरबाग़ में कर्बला की हजारों करोड़ रुपए की 10 एकड़ ज़मीन समेत दिल्ली की प्राइम लोकेशन समेत दिल्ली वक्फ बोर्ड की 123 संपत्ति अब केंद्र सरकार के क़ब्ज़े में आ गयी है. यानी इन संपत्ति पर दिल्ली वक्फ बोर्ड का अधिकार या दावा अब पर पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है. केंद्र सरकार ने दिल्ली वक्फ बोर्ड को इस बारे में सूचित कर दिया है.
'वक़्फ़ बोर्ड ने कोई पक्ष नहीं रखा'
केंद्र सरकार ने दिल्ली वक्फ बोर्ड को इस बारे में सूचित किया कि दिल्ली हाईकोर्ट के कहने पर केंद्र सरकार ने इस मामले में बनाई गई 2 सदस्य समिति ने दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड को अपना पक्ष रखने का दो बार मौका दिया, लेकिन वक़्फ़ बोर्ड ने कोई पक्ष नहीं रखा इसलिए वक़्फ़ बोर्ड को 123 संपत्ति से जुड़े सभी मामलों से मुक्त किया जाता है.
'केंद्र सरकार को गैरकानूनी काम नहीं करने देंगे'
इस मामले में दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन अमानतुल्लाह खान (Amanatullah Khan) का कहना है कि इसको लेकर दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में मामला लंबित था, केंद्र सरकार को ऐसा गैरकानूनी काम नहीं करने देंगे. केंद्र के इस फैसले को भी दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. अमानतुल्लाह खान ने कहा कि सरकार ने जो 2 सदस्य समिति बनाई थी हम उसको लेकर हाईकोर्ट में पहले ही गए हुए हैं. हमारी याचिका लंबित है अब हम ने केंद्र सरकार के इस फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है.
'वक़्फ़ बोर्ड का इस संपत्ति से कोई लेना-देना नहीं'
विश्व हिंदू परिषद (Vishwa Hindu Parishad) के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार का कहना है कि साल 2014 में केंद्र की मनमोहन सरकार ने जब ये ज़मीनें वक़्फ़ बोर्ड के नाम की तो विश्व हिंदू परिषद ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा कि ये ज़मीनें ग़लत तरीक़े से केंद्र सरकार ने वक़्फ़ बोर्ड के नाम कर दी है. जिस पर कोर्ट ने दो सदस्यीय कमेटी बना दी.
अब जब इस कमेटी ने ये कह दिया कि वक़्फ़ बोर्ड अपना पक्ष रखने के लिये बार-बार बुलाये जाने पर भी इस कमेटी के सामने पेश नहीं हुआ तो ये मान लिया जाए कि वक़्फ़ बोर्ड का इस संपत्ति से कोई लेना-देना नहीं है और इसलिये ये ज़मीन केंद्र सरकार के अधीन आ जाती हैं.
वीएचपी के आलोक कुमार ने कहा कि भारत सरकार ने जस्टिस एसपी गर्ग की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गयी थी. कमेटी ने बार-बार दिल्ली वक्फ बोर्ड को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया उसने कोई ज्ञापन नहीं दिया और वह पेश भी नहीं हुआ इसलिए कमेटी ने निर्णय दिया की बोर्ड का दावा साबित नहीं हुआ है. यही वजह है कि अब इसको लेकर कई संगठन वक़्फ़ बोर्ड पर सवाल खड़े करने लगे हैं.
'चोर को बना दिया जाता है वक़्फ़ का चेयरमैन'
शिया मुस्लिम धर्म गुरु मौलाना कल्बे जवाद ने वक़्फ़ बोर्ड के काम और चेयरमैन अमानतुल्लाह खान पर आरोप लगाया कि चोर वक़्फ़ का चेयरमैन को बना दिया जाता है ताकि मुसलमान भीख मांगता रहे और उनके पैरों में खड़ा रहे. सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि एक बार जो वक़्फ़ की ज़मीन थी वो हमेशा वक़्फ़ की ज़मीन रहेगी. हम इन ज़मीनों के लिए जान दे देंगे लेकिन जाने नहीं देंगे.
शिया- सुन्नी सब मिलकर इसकी हिफ़ाज़त के लिए लड़ेंगे. मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि इस मामले में वक़्फ़ की संपत्तियों को बचाने के लिए हम अमित शाह और प्रधानमंत्री से भी मिलेंगे और कहेंगे कि आप लोग सबका साथ सबका विकास की बात कर रहे हैं, लेकिन हमारी संपत्तियों को छीना जा रहा है.
दरअसल दिल्ली की जिन 123 संपत्तियों की बात हो रही है, इनमें ज्यादातर मस्जिद, दरगाह और कब्रिस्तान हैं. इन पर साल 1911 से ही विवाद चल रहा है, जब अंग्रेज भारत की राजधानी कोलकाता से दिल्ली लेकर आए. 70 और 80 के दशक में बनी कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर साल 2014 में तत्कालीन केंद्र सरकार ने इनको दिल्ली वक्फ बोर्ड को देने का नोटिफिकेशन कर दिया था, लेकिन विवाद कोर्ट में चलता रहा जो आज भी जारी है
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