Andhra Pradesh News: आंध्र प्रदेश में वक्फ बोर्ड ने अहमदिया मुसलमानों को मुस्लिम समाज से बेदखल कर दिया है. यह फैसला एक इस्लामी संस्था की तरफ से जारी किए गए फतवा को आधार बनाकर दिया गया है. 


इसकी जानकारी लगते ही केंद्र सरकार भी आनन-फनन हरकत में आई और राज्य सरकार के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर राज्य के वक्फ बोर्ड को कड़ी फटकार लगाई है. साथ ही वक्फ बोर्ड को उनके अधिकारों के बारे भी बताया गया.


क्या है पूरा मामला?


दरअसल, केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय के सामने बीती 20 जुलाई को अहमदिया मुस्लिम समाज के अहसन गौरी ने एक शिकायती पत्र सौंपा था. पत्र में उन्होंने बताया कि आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड ने एक जमैतुल उलेमा के फतवे के आधार पर एक आदेश जारी कर उनके समाज को मुस्लिम समुदाय से बाहर करने का आदेश दिया है. 


केंद्र सरकार ने लगाई फटकार 


अहसन गौरी ने बताया कि 3 फरवरी को अहमदिया मुस्लिम समुदाय को आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड ने जमैतुल उलेमा के फतवे का जिक्र करते हुए काफिर करार दिया था और उन्हें गैर मुस्लिम होने का आदेश जारी किया था, जो गैर कानूनी है. इस पर केंद्र सरकार ने आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड को कड़ी फटकार लगाई.


केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय ने आंध्र प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर साफ कहा कि किसी समुदाय को इस्लाम से बाहर करने का फतवा जारी करने का अधिकार राज्य के वक्फ बोर्ड को नहीं है. वक्फ बोर्ड कैसे किसी सामाजिक संगठन की तरफ से जारी किए गए फतवे पर सरकारी मुहर लगा सकता है? 


कौन हैं अहमदिया मुस्लिम?


दरअसल, 1889 में अहमदिया आंदोलन से इस समाज की शुरुआत हुई थी. मिर्जा गुलाम अहमद के समर्थक मुसलमानों को अहमदिया मुसलमान कहा जाता है. मिर्जा अहमद ने पुनरुत्थान आंदोलन की शुरुआत की थी. इस आंदोलन के समर्थन में जितने भी मुस्लिम जुड़े, उनको अहमदिया नाम दिया गया. 


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