नई दिल्ली: दिल्ली में जल्द चुनाव होने वाले हैं, ये चुनाव खास है क्योंकि ये नागरिकता कानून पर हंगामे और हिंसा के बाद होने वाला पहला चुनाव है. बीजेपी ने इसी मुद्दे पर दिल्ली चुनाव में उतरने का एलान कर दिया. बीजेपी दिल्ली की लड़ाई राष्ट्रवाद बनाम अराजकता के मुद्दे पर लड़ेगी, जिसमें एक तरफ बीजेपी खड़ी है और दूसरी तरफ केजरावाल की पार्टी और कांग्रेस है.


केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा, ''ये अराजक बनाम राष्ट्रवाद की लड़ाई है, देश के लिए पूरी सोच और अराजकवादी मैं हूं, ऐसा बताकर अनेक-अनेक काम करना ये आम आमदी पार्टी का रूप भी आनी है.''


इस ऐलान के साथ ही बीजेपी ने दिल्ली चुनाव का एजेंडा तय कर दिया, प्रकाश जावडेकर ने इसकी वजह भी बताई. जावडेकर ने कहा कि नागरिकता कानून के विरोध में जो हिंसा हुई उसके लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जिम्मेदार है.


बीजेपी राष्ट्रवाद की हुंकार भरी तो सामने जवाब भी जोरदार आया. मनीष सिसोदिया ने बीजेपी पर “अच्छी और किफायती” शिक्षा के खिलाफ होने का आरोप लगाया. साथ ही उन्होंने सीबीएसई परीक्षा शुल्क में बढ़ोतरी को शहर के “छह लाख परिवारों पर बोझ” बताते हुए इस बारे में पार्टी से स्पष्टीकरण मांगा.


दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 22 फरवरी को खत्म हो रहा है, इससे पहले ही नई सरकार का गठन होना है. दिल्ली में कुल एक करोड़ 43 लाख वोटर हैं. पिछले चुनाव में आम आदमी पार्टी ने धमाकेदार जीत दर्ज करते हुए दिल्ली की कुल 70 सीटों में से 67 पर कब्जा किया था...बीजेपी सिर्फ तीन सीट की जीत पाई थी और कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था.


इस बार बीजेपी को जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने, राम मंदिर, नागरिकता कानून, तीन तलाक जैसे मोदी सरकार के कड़े और बड़े फैसलों का भरोसा है तो आम आदमी पार्टी पांच साल का रिपोर्ट कार्ड लेकर जनता के बीच जाने की तैयारी कर रही है. अभी हाल ही में हुए झारखंड चुनाव में बीजेपी ने राष्ट्रवाद को ही मुद्दा बनाने की कोशिश की थी लेकिन ये कार्ड वहां नहीं चला. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा की दिल्ली के लोग स्थानीय मुद्दों पर वोट करते हैं या देश हित में लिए पीएम मोदी के बड़े फैसलों पर.