Weather Update: कड़ाके की सर्दी के बीच गर्मी का अलर्ट, टूटेंगे सारे रिकॉर्ड
El Nino Alert: इस साल के अंत में अल नीनो के कारण वैश्विक तापमान काफी बढ़ जाएगा, जिससे भीषण गर्मी पड़ेगी. बारिश के पैटर्न में भी बड़ा बदलाव हो सकता है.
El Nino Effect in India: पहाड़ों पर जारी बर्फबारी (Snowfall) से मैदानी इलाकों के लोग ठिठुरने पर मजबूर हैं. उत्तर भारत में शीतलहर से लोगों की हालत खराब हो चुकी है. हालांकि अब मौसम में थोड़ा सुधार होने की संभावना जताई गई है. इस बीच मौसम वैज्ञानिकों की ओर से बड़ा अलर्ट जारी किया है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इस साल के अंत में अल नीनो (El Nino) आएगा. इसके कारण भयंकर गर्मी पड़ेगी.
मौसम वैज्ञानिकों ने अल नीनो से तबाही होने की आशंका जताई है. वैज्ञानिकों की मानें तो जलवायु परिवर्तन के बीच 2024 में अल नीनो से भीषण तबाही मचा सकता है. इसके कारण दुनियाभर का तापमान बढ़ सकता है, तो भारत पर भी उसका असर पड़ेगा. अल नीनो से वैश्विक तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो सकती है.
इस साल फिर लौट रहा अल नीनो
इस साल अल नीनो के आने की चेतावनी जारी कर दी गई है. अल नीनो के आने का असर दुनियाभर के मौसम पर पड़ता है. हालांकि ये हर साल नहीं होता, बल्कि तीन से सात साल के गैप में ही होता है. अब यह एक बार लौट रहा है. मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, इसका असर 2023 के अंत से ही दिखने लगेगा.
बारिश के पैटर्न में भी होगा बदलाव
अल नीनो से बारिश के पैटर्न में भी बदलाव हो जाता है. कम बारिश वाले इलाकों में ज्यादा बरसात होती है. वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि इस साल के अंत में भी अल नीनो के कारण वैश्विक तापमान काफी बढ़ जाएगा, जिससे भीषण गर्मी पड़ेगी और बारिश का पैटर्न बदल सकता है. पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ और बढ़ता प्रदूषण इसकी एक बड़ी वजह है.
2016 और 2019 में दिखा था प्रभाव
वर्ष 2016 में बहुत से दशों पर अल नीनो का प्रभाव पड़ा था. इस कारण 2016 को इतिहास में सबसे गर्म साल दर्ज किया गया था. उसके बाद 2019 में भी अल नीनो का प्रभाव देखा गया था. विशेषज्ञों का कहना है कि पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ के कारण अमेरिका और यूरोप में भीषण गर्मी पड़ी. वहीं, पाकिस्तान और नाइजीरिया में विनाशकारी बाढ़ से करोड़ों लोग प्रभावित हुए.
क्या है अल नीनो?
अमेरिकन जियोसाइंस इंस्टिट्यूट के मुताबिक, अल नीनो का मतलब प्रशांत महासागर (Pacific ocean) की सतह के तापमान में होने वाले बदलावों से है. यानी, समुद्र के तल के तापमान के बढ़ने को अल नीनो कहते हैं. इससे दुनियाभर के मौसम पर भी असर पड़ता है. अल नीनो की वजह से ही टेंपरेचर बढ़ता है और गर्मी तेज होती है. ये 6 से 9 महीने तक रह सकता है.
भारत में अभी क्यों है कड़ाके की सर्दी?
वहीं, भारत के कुछ हिस्सों में पड़ रही कड़ाके की सर्दी के पीछे मौसम विभाग ने (IMD) ने ला नीना (La Nina) का असर बताया है. शनिवार (14 जनवरी) को विभाग ने कहा था कि ला नीना के कारण भारतीय उपमहाद्वीप मौसम काफी ठंडा रहा. मानसून मिशन कपल्ड फोरकास्ट सिस्टम (MMCFS) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, ला नीना का असर जनवरी से मार्च तक रहेगा.
ये भी पढ़ें-UP Weather Update: यूपी में आज से शीतलहर और ठंड से राहत मिलने की संभावना, IMD ने बारिश का जारी किया अलर्ट