नई दिल्ली: दीपावली, गोवर्धन और भाई दूज का त्यौहार खत्म होते ही छठ महापर्व की तैयारियां शुरू हो गयी हैं. चार दिन चलने वाला ये पर्व 24 अक्टूबर से शुरू होगा. इसमें सूर्य की अराधना की जाती है. 26 तारीख को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा औऱ 27 अक्टूबर को उगते सूर्य की अराधना के साथ ये पर्व समाप्त होगा.   


पिछले सालों में सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव का इस्तेमाल इस पर्व से औऱ लोगों को जोड़ने के लिए भी हुआ है. बिहार से बाहर बसे नौजवानों को खासतौर पर इस पर्व की छटा दिखाने के लिए वीडियो फिल्म का इस्तेमाल हो रहा है. बिहार टूरिज्म ने भी 'कहीं छूट ना जाए छठ ' का वीडियो बना ये अपील की थी कि इस महापर्व पर अपने घर जरूर आएं.

वहीं पिछले साल एक औऱ वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से लोकप्रिय हुआ था जिसमें पहले छठ का जिक्र था.  बिहार के लोगों का छठ से जुड़ाव दिखाते इस वीडियो में साफ संदेश था कि कहीं भी रहें अपनी परंपरा को ना भूलें. और छठ एक ऐसी परंपरा है जो पीढ़ी दर पीढ़ी आगे जरूर जारी रहनी चाहिए.  दरअसल इस तरह के वीडियो के जरिए  बिहार के लोगों को इस महापर्व की याद दिला उन्हें अपनी जड़ों से जोड़ने की कोशिशें हो रही हैं.

इस साल भी एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी शेयर हो रहा है जो पहली छठ से आगे की कहानी कहता है. जिसमें दिखाया गया है कि किस तरह से प्यार और आस्था के इस पर्व के साथ नई पीढ़ी भी जुड़ी हुई है. इस वीडियो में भी संदेश है. संदेश समानता का है. छठ पर्व किसी भी जाति, धर्म से ऊपर उठकर है. इतना ही नहीं छठ पर्व का व्रत करने के लिए भी पुरूष-महिला का भेद भी नहीं देखा जाता. महिला हो या पुरूष कोई भी व्यक्ति इस इस व्रत को कर सकता है.

आप भी देखिए इस वीडियो में छठ की सांस्कृतिक छटा और उसके संदेश को समझिए.