(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
झारखंड चुनाव में जल, जंगल और जमीन का मुद्दा छाया रहा, अब नतीजों का इंतजार
झारखंड राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. शुक्रवार को आए एग्जिट पोल मौजूदा सरकार की मुश्किलें बढ़ाते नजर आए तो वहीं दूसरी तरफ कांगेस सहित अन्य विपक्षी दलों के लिए खुशी की खबर बनकर आए. एग्जिट पोल के बाद अब 23 दिसंबर को आने वाले नतीजों का लोगों को इंतजार है.
नई दिल्ली: झारखंड राज्य के गठन को महज 19 साल ही हुए हैं लेकिन इन 19 सालों में झारखंड की जनता 10 मुख्यमंत्री देख चुकी है. झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले आए एग्जिट पोल के परिणाम कितनी हकीकत और कितने फसाना साबित होंगे यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा,लेकिन इतना तय है कि जिस तरह का एग्जिट पोल आया है उससे काफी कुछ पता चलता है.
झारखंड राज्य की भौगोलिक और राजनैतिक स्थिति देश के अन्य राज्यों से थोड़ी अलग है. इस राज्य के अपने कुछ मुद्दे हैं जो इस विधान सभा चुनाव के परिणाम को प्रभावित करने का पूरा दम रखते हैं. एग्जिट पोल में कांग्रेस+ को 35 सीटें, बीजेपी को 32 , जेवीएम को 3 और आजसू को 5 सीटें मिलने का अनुमान है. इसके अलावा अन्य को भी 6 सीटें मिलने की संभावना जताई गई है.
झारखंड राज्य में 81 विधानसभा क्षेत्र हैं. जिन पर मतदान की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. मतों की गिनती 23 दिसंबर को होनी है. लेकिन एग्जिट पोल ने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर उठ रहे विरोध प्रदर्शनों से बीजेपी जहां पहले ही परेशान थी ऐसे में शुक्रवार को आए इस एग्जिट पोल ने परेशानियों को और बढ़ा दिया. उधर कांग्रेस के लिए यह एग्जिट पोल खुशी लेकर आए हैं.
इस बार झारखंड विधान सभा में दस प्रमुख मुद्दे थे, जिनको लेकर विपक्षी दलों ने भारतीय जनता पार्टी और आजसू की गठबंधन की सरकार पर जमकर हमला बोला था. हालांकि गठबंधन की सरकार ने भी विपक्ष पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. इस बार विपक्ष ने कुछ अहम और ठोस मुद्दे उठाए थे. जिसमें एक मॉब लिंचिंग का भी मुद्दा था, माना जा रहा है कि इस मुद्दे ने लोगों को काफी हद प्रभावित किया है. वहीं दूसरा मुद्दा भूखमरी से मौत का था, राज्य में गरीब जनता के बीच इस मुद्दे को काफी हवा मिली.
तीसरा मुद्दा सीएनटी-एसपीटी एक्ट का मुद्दा था, जिसको लेकर विपक्षी दलों का कहना था कि रघुवर दास की सरकार ने सालों पुराने छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी) और संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम (एसपीटी एक्ट) में संशोधन की कोशिशें की. इस कानून में संशोधन और उद्योगपतियों के लिए लैंड बैंक बनाने जैसी कोशिशें भी आदिवासियों के बीच चिंता का कारण बनीं. इसको लेकर उनमे रोष था. इन सब मुद्दों जो सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा था वे था जल, जंगल और जमीन का मुद्दा.
इनके अलावा भी भ्रष्टाचार,कानून व्यवस्था की गिरती स्थिति, महिलाओं की सुरक्षा, बढ़ती बेरोजगारी व रोजगार की कमी और शिक्षा में सुधार भी इस बार के चुनाव में मुद्दे रहे हैं.