कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों की वजह से भारत की राजधानी दिल्ली लॉकडाउन में है. और अब पानी की कमी स्थिति को ज्यादा खराब करनेवाली है. शहर पहले ही कई कमी जैसे वैक्सीन से लेकर ऑक्सीजन और मेडिकल सप्लाई से जूझ रहा है. दिल्ली सरकार एक महीना पहले ही उसे समझते हुए सक्रिय हो गई थी. दिल्ली जल बोर्ड के उप सभापति राघव चड्ढा दावा करते हैं कि उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री को समस्या हल करने के लिए कई खत लिखे, लेकिन किसी तरह के प्रस्ताव की पेशकश नहीं की गई है.
दिल्ली में पानी की कमी का मुद्दा सुलझाने की सुप्रीम कोर्ट से गुहार
कोई विकल्प उपलब्ध होता न देख आखिरकर दिल्ली जल बोर्ड ने संकट की घड़ी में राष्ट्रीय राजधानी की मदद करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई. उसने सुप्रीम अदालत को बताया कि पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा से आपूर्ति किए जा रहे पानी में गंभीर कटौती है. इससे न सिर्फ बड़े पैमाने पर लोग प्रभावित होंगे बल्कि उसका असर अस्पतालों पर भी पड़ सकता है. मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अगुवाई में बेंच आज मामले पर सुनवाई कर सकती है.
दिल्ली जल बोर्ड ने कहा-अस्पतालों पर भी पड़ सकता है बुरा असर
ये पहली बार नहीं है जब दिल्ली जल बोर्ड ने हस्तक्षेप की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. 23 मार्च को उसने शरद अरविंद बोबड़े की अगुवाई वाली बेंच को बताया था कि हरियाणा ने दिल्ली को मिलनेवाले पानी का 20 फीसद कटौती करने का फैसला किया है. उसने ये भी बताया कि हरियाणा सरकार ये कदम अपनी नहर में से किसी एक की मरम्मत करने के लिए उठा रही है. दिल्ली जल बोर्ड की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील ए एम सिंघवी और गौतम नारायण ने कोर्ट से हरियाणा सरकार के काम को स्थगित करने का आह्वान किया. उनकी दलील थी कि चरम गर्मी के महीने के दौरान पानी की आपूर्ति में कमी राष्ट्रीय राजधानी के लोगों को बुरी तरह प्रभावित करेगी.
उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा को 6 अप्रैल तक दिल्ली के लिए होनेवाली पानी आपूर्ति में किसी तरह की तब्दीली नहीं लाने का आदेश दिया था. कोर्ट ने तब पानी की आपूर्ति के आदेश को बढ़ाकर 14 अप्रैल कर दिया. अगले सप्ताह 19 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी का गठन किया, जिसका काम हरियाणा से दिल्ली आ रहे पानी की गुणवत्ता और मात्रा के सिलसिले में स्थानीय निरीक्षण करना था. दिल्ली और हरियाणा के बीच पानी का विवाद नया नहीं है. जब पानी की आपूर्ति सीमित कर दी जाती है और राजधानी दिल्ली पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अपने पड़ोसी पर निर्भर होती है, तब हर गर्मी में विवाद पैदा होता है. इस बार का अंतर सिर्फ महामारी को लेकर है, जो पहले से जारी लड़ाई पर भारी पड़ सकती है.
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