नई दिल्ली: दिल्ली के वजीराबाद के एक प्राइमरी स्कूल में अलग-अलग धर्मों के बच्चों को कक्षा में अलग-अलग बैठाने के मामले के बाद वहां के स्कूल इंचार्ज को निलंबित कर दिया गया है. मामले की शुरुआती जांच पूरी होने के बाद उन्हें सस्पेंड किया गया. इससे पहले मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने यहां हिन्दू और मुस्लिम बच्चों को कथित रूप से अलग अलग कक्षाओं में बैठाने की खबरों पर उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) से रिपोर्ट मांगी. मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पत्रकारों से कहा, ‘‘ हमें अब तक कोई शिकायत नहीं मिली है लेकिन हमने मीडिया की खबर को पढ़ा है. मैंने रिपोर्ट मांगी है.’’





मीडिया में बुधवार को प्रकाशित हुई एक रिपोर्ट के मुताबिक, एनडीएमसी के शिक्षकों के एक वर्ग ने आरोप लगाया है कि वजीराबाद के प्राथमिक स्कूल में हिन्दू और मुस्लिम छात्रों को अलग अलग कक्षाओं में बैठाया जा रहा है.


क्या है पूरा मामला


बुधवार को उत्तरी दिल्ली नगर निगम के एक स्कूल में धर्म के आधार पर भेदभाव की खबरें आई जिसमें हिन्दू-मुस्लिम छात्रों को अलग-अलग बैठाया जाता है. इस बारे में आरोप स्कूल के ही कुछ टीचरों ने कथित तौर पर लगाया था. घटना वज़ीराबाद के एक प्राइमरी स्कूल की है. बताया गया है कि इस स्कूल में हिन्दू और मुस्लिम छात्रों को क्लासरूम में अलग-अलग बैठाया जा रहा है.


इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक वज़ीराबाद के गली नंबर 9 में स्थित इस स्कूल के एटेंडेंस रजिस्टर में क्लास 1A में 36 हिन्दू छात्र और 36 मुस्लिम छात्र का नाम दर्ज है. क्लास 2A में 47 हिन्दू, 2B में 26 मुस्लिम और 15 हिन्दू और 2C में 40 मुस्लिम छात्रों का एटेंडेंस रजिस्टर में नाम है.


क्लास 3A में 40 हिन्दू, 3B में 23 हिन्दू और 11 मुस्लिम, 3C में 40 मुस्लिम, 3D 14 हिन्दू और 23 मुस्लिम. क्लास 4A में 40 हिन्दू, 4B में 19 हिन्दू और 13 मुस्लिम, 4c में 35 मुस्लिम और 4D में 11 हिन्दू और 24 मुस्लिम. क्लास 5A में 45 हिन्दू, 5B में 49 हिन्दू, 5C में 39 मुस्लिम और 2 हिन्दू, 5D में 47 मुस्लिम बच्चे 9 अक्टूबर तक के स्कूल एटेंडेंस रजिस्टर में पाए गए हैं.


दिल्ली में एमसीडी स्कूलों में क्लास 5 तक की पढ़ाई होती है और राइट टू एजुकेशन के तहत एक सेक्शन में प्राइमरी लेवल पर 30 से अधिक बच्चे नहीं होने चाहिए, लेकिन इस स्कूल में एक सेक्शन में 40 से भी अधिक बच्चे पाए गए हैं.


स्कूल के इंचार्ज ने किया था आरोपों से इंकार


हालांकि स्कूल के इंचार्ज सी बी सिंह सेहरावत ने धर्म के आधार पर किसी भी तरह के छात्रों के साथ भेदभाव को नकार दिया था. उन्होंने कहा कि यह मैनेजमेंट का फैसला है और छात्रों के बीच शांति, अनुशासन और पढ़ाई का वातावरण बना रहे इसके लिए यह किया गया है. उन्होंने कहा कि छात्र कभी-कभी आपस में लड़ाई करते थे.


छात्र क्या धर्म के आधार पर लड़ाई करते हैं के सवाल पर सेहरावत ने कहा कि निश्चित रूप से उम्र के इस छोटे से पड़ाव पर उन्हें धर्म के बारे में ज्यादा पता नहीं होगा, लेकिन कुछ चीजें पर वो आपस में झगड़ते हैं. स्कूल में कुछ छात्र शाकाहारी हैं और इस कारण कुछ अंतर छात्रों के बीच हो सकता है. उन्होंने कहा कि हमें सभी छात्रों और टीचरों के हितों की देखभाल करनी है.


नए इंचार्ज के आने के बाद शुरू हुआ स्कूल में छात्रों को अलग-अलग बैठाना-सूत्र


वहीं, सूत्रों का कहना है कि स्कूल में छात्रों का धर्म के आधार पर बैठाना और सेक्शन अलग करना तभी शुरू हुआ जब सेहरावत ने स्कूल का चार्ज अपने हाथों में लिया है. स्कूल में एकेडमिक ईयर की शुरुआत अप्रैल से होती है और प्रिंसिपल का ट्रांसफर 2 जुलाई को हुआ है. सूत्रों का कहना है कि प्रिंसिपल के बदलने के बाद ये सारे बदलाव स्कूल में लाए गए हैं और इसमें छात्रों और टीचर्स से कोई राय नहीं ली गई.


जब कुछ टीचर्स ने उनके सामने छात्रों के साथ भेदभाव का प्रश्न उठाया तो उन्होंने बड़े ही आक्रोश में टीचर्स को कहा कि ये उनके मतलब का काम नहीं है और वो दिए गए काम को करें. सूत्रों के मुताबिक 20 दिन पहले स्कूल के कुछ शिक्षक एमसीडी के जोनल ऑफिस में इस शिकायत को लेकर गए थे, लेकिन उन्होंने डर के कारण लिखित में शिकायत नहीं किया.


उत्तरी दिल्ली नगर निगम के एक अधिकारी ने कहा है कि मामला हमारे संज्ञान में आ गया है और हम इसकी पड़ताल करेंगे. उन्होंने कहा कि अगर मामले में सत्यता पाई जाती है तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी. मामले के बारे कुछ बच्चों के माता-पिता को जानकारी है तो कुछ को नहीं है. वहीं, कुछ पैरेंट्स को इसके बारे में तब पता चला जब उनके बच्चे ने बताया कि उसके क्लास रूम में सिर्फ एक ही धर्म के बच्चे बैठते हैं.


वज़ीराबाद के इस स्कूल में 2 जुलाई को प्रभारी प्रिंसिपल के तौर पर सीबी सेहरावत को पदभार सौंपा गया है. सेहरावत को पदभार इससे पहले के प्रिंसिपल के स्कूल से ट्रांसफर होने के बाद दिया गया है.