Nandigram Seat Result: चुनाव आयोग ने शुभेंदु अधिकारी को 1736 वोटों से नंदीग्राम में विजेता घोषित किया, TMC ने दोबारा मतगणना की मांग की
टीएमसी की तरफ से अब भी यह दावा किया जा रहा है कि नंदीग्राम में अंतिम परिणाम घोषित नहीं हुए हैं और वोटों की गिनती जारी है. टीएमसी ने ट्वीट कर कहा है कि नंदीग्राम में मतगणना प्रक्रिया खत्म नहीं हुई है.
कोलकाता: ममता बनर्जी नंदीग्राम सीट से चुनाव हार गई हैं. चुनाव आयोग के मुताबिक़ बीजेपी के शुभेंदु अधिकारी ने उन्हें 1736 वोटों से हरा दिया है. इस सीट पर कांटे का मुकाबला देखने को मिला लेकिन अभी TMC ने दोबारा मतगणना की माँग की है. दोनों दलों के अपने दावे हैं. मतगणना के दौरान ज्यादातर समय शुभेंदु आगे रहे लेकिन एक वक्त ममता बनर्जी आगे निकल गई. यहां तक की उनकी जीत की भी खबर आ गई।
टीएमसी की तरफ से अब भी यह दावा किया जा रहा है कि नंदीग्राम में अंतिम परिणाम घोषित नहीं हुए हैं और वोटों की गिनती जारी है. टीएमसी ने ट्वीट कर कहा है कि नंदीग्राम में मतगणना प्रक्रिया खत्म नहीं हुई है.
The counting process for Nandigram has not been completed. Please do not speculate.
— All India Trinamool Congress (@AITCofficial) May 2, 2021
इस बीच ममता बनर्जी का एक बयान नंदीग्राम को लेकर आया है, "नंदीग्राम के बारे में चिंता मत करो. नंदीग्राम के लोग जो भी जनादेश देंगे, मैं उसे स्वीकार करती हूं. मुझे कोई आपत्ति नहीं है. हमने 221 से अधिक सीटें जीतीं और भाजपा चुनाव हार गई."
Don't worry about Nandigram, I struggled for Nandigram because I fought a movement. It's ok. Let the Nandigram people give whatever verdict they want, I accept that. I don't mind. We won more than 221 seats & BJP has lost the election: West Bengal CM Mamata Banerjee pic.twitter.com/jmp098PF2A
— ANI (@ANI) May 2, 2021
आपको बता दें कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले शुभेंदु अधिकारी ने टीएमसी को छोड़कर बीजेपी ज्वॉइन की थी. 2016 के चुनावों में शुभेंदु अधिकारी ने इस सीट पर लेफ्ट के उम्मीदवार को बड़े अंतर से हराया था.
बंगाल की हाईप्रोफाइल सीट है नंदीग्राम
बता दें कि नंदीग्राम सीट पश्चिम बंगाल की एक हाईप्रोफाइल सीट मानी जाती है. ममता बनर्जी के राजनीतिक सफर में नंदीग्राम एक अहम पड़ाव है. नंदीग्राम आंदोलन के जरिए ही ममता को लेफ्ट के खिलाफ निर्णायक बढ़त मिली थी.
2007 में तात्कालीन लेफ्ट सरकार ने इंडोनेशिया के सलीम ग्रुप को 'स्पेशल इकनॉमिक जोन' नीति के तहत नंदीग्राम में एक केमिकल हब बनाने की अनुमति दी थी. लेकिन इस निर्णय का विरोध होने लगा. विपक्षी दलों- टीएमसी, जमात उलेमा-ए-हिंद और कांग्रेस के सहयोग से भूमि उच्छेद प्रतिरोध कमिटी (BUPC) का गठन किया गया और सरकार के फैसले के खिलाफ आंदोलन शुरू किया गया. यह आंदोलन ममता बनर्जी और टीएमसी के राजनीतिक सफर का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ. इस आंदोलन के बाद हुए 2011 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी ने एतिहासिक जीत दर्ज की और बंगाल की सत्ता पर दशकों से काबिज लेफ्ट फ्रंट को सत्ता से बाहर कर दिया.
लंबे समय तक लेफ्ट का गढ़ रही नंदीग्राम सीट
यह सीट लंबे समय से लेफ्ट का गढ़ रही लेकिन 2007 में नंदीग्राम आंदोलन के बाद इस सीट का राजनीतिक हवा बदलने लगी. 2009 में के उपचुनाव में यहां से टीएमसी की फिरोजा बीबी ने जीत दर्ज की. फिरोजा बीबी के बेटे की 2007 नंदीग्राम हिंसा में मौत हो गई थी. इसके बाद 2011 के चुनाव में भी टीएमसी ने फिरोजा बीबी को टिकट दिया और इस बार भी उन्हें जीत मिली. 2016 में शुभेंदु अधिकारी ने बतौर टीएमसी उम्मीदवार यहां जीत दर्ज की थी.
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