नई दिल्लीः पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में 34 फीसदी से ज़्यादा सीटों पर तृणमूल प्रत्याशियों के निर्विरोध चुने जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताई है. कोर्ट ने संकेत दिए हैं कि ऐसी सीटों पर दोबारा चुनाव का आदेश दिया जा सकता है. मामले में कल फिर सुनवाई होगी.


14 मई को राज्य में हुए पंचायत चुनाव में ग्राम पंचायत की 48,650 में से 16,814 सीटों पर तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशी के अलावा कोई और खड़ा नहीं हुआ था. पंचायत समिति की 9217 सीटों में से 3059 और जिला परिषद की 825 सीटों में से 203 में भी सिर्फ सीएम ममता बनर्जी की पार्टी का उम्मीदवार ही मैदान में था.


आज चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने इन आंकड़ों पर हैरानी जताई. कोर्ट ने कहा - बात कुछ सीटों की होती तो समझा जा सकता था. लेकिन यहां हज़ारों सीटों पर दूसरा उम्मीदवार उतरा ही नहीं."


कोर्ट ने आंकड़ों पर नज़र डालते हुए कहा, "खास तौर पर बीरभूम, बांकुड़ा, मुर्शिदाबाद और दक्षिण 24 परगना में ऐसी सीटों की संख्या बहुत ज़्यादा है. संविधान के नौवें अध्याय में पंचायती राज की व्यवस्था की गई है. ऐसा लगता है ये सही तरीके से काम नहीं कर पा रहा."


पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के लिए नामांकन भरे जाने के दौरान बीजेपी और कांग्रेस ने प्रत्याशियों को हिंसा के ज़रिए नामांकन से रोकने की शिकायत की थी. मामला कलकत्ता हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में सुना गया. पहले राज्य चुनाव आयोग ने ईमेल या व्हाट्सऐप से नामांकन भरने की इजाज़त दी. बाद में इसे रद्द कर दिया. तब सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव रोकने से तो मना किया था, लेकिन ये कह दिया था कि जिन सीटों पर एक ही उम्मीदवार है, उनके नतीजे घोषित न किये जाएं.


आज कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग से निर्विरोध निर्वाचन वाली सीटों की संख्या पूछी. आयोग की तरफ से पेश अधिकारी इसमें नाकाम रहे. कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा- "करदाताओं के पैसे खर्च कर आप यहां क्यों आए? आप से उम्मीद की जाती है कि आप कोर्ट की सहायता करेंगे."


कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग से कल तक निर्विरोध चुनाव वाली सीटों की सही संख्या बताने को कहा है. कल इस मसले पर कोर्ट आदेश जारी कर सकता है.