नई दिल्ली: जाति के आधार पर भेदभाव किसी भी तरह के समाज के लिए कलंक है. भारत, जाति के आधार पर होने वाले भेदभाव का साक्षी रहा है, लेकिन बदलते वक्त के साथ इस तरह की रूढ़िवादी सोच में बदलाव भी देखने को मिला है.
इसी बीच केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने जाति के आधार पर होने वाले भेदभाव पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आप हमसें कुआं खुदवा लेते हैं, लेकिन हमें पानी पीने से आप रोकते हैं...मंदिर के दरवाजे हमारे लिए बंद कर दिए जाते हैं.
8 मार्च को डॉक्टर भीम राव अंबेडकर पर आयोजित एक सेमिनार में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चांद गहलोत ने कहा, ''कुंआ हमेशा खुदवा लेते हो, वो जब आपका हो जाता है तो पानी पीने से रोकते हो. तालाब बनाना हो तो मजदूरी हमशे करवाते हो, उस समय हम उसमें पसीना भी गिराते हैं, थकते हैं, लघुशंका (पेशाब) आती है तो दूर नहीं जाते वहीं करते हैं. परंतु जब उसका पानी पीने का अवसर मिलता है तो फिर कहते हो की अबदा जाएगा.''
मध्यप्रदेश के उज्जैन में आयोजित एक सेमिनार में मंत्री ने आगे कहा, ''आप मंदिर में जाकर मंत्रोत्चारण करते हो, उसके बाद वे दरवाजे हमारे लिए बंद हो जाते हैं, आखिर कौन ठीक करेगा इसे? मुर्ति हमें बनानी, भले ही आपने पारिश्रमिक दिया होगा, पर दर्शन तो हमें कर लेने दो, हाथ तो लगा लेने दो.''
अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया से गहलोत ने कहा, ''मैं एक मंत्री हूं, मुझे इस तरह की खबरें मिलती रहती हैं. भेदभाव भले ही कम हो गया होगा लेकिन अभी भी यह मौजूद है. अनुसूचित जाति से आने वाले गहलोत ने कहा कि जब वह युवा थे, उन्होंने भी भेदभाव झेला है. उन्होंने याद दिलाया कि मध्यप्रदेश के रतलाम जिले में एक होस्टल में 'निचली जाति' के छात्रों को मंदिर जाने के लिए सुरक्षा मुहैया कराया गया था.
उज्जैन के रूपेता गांव में जन्म लेने वाले गहलोत तीन बार सांसद चुने गए. 68 साल के गहलोत साल 1990-92 के दौरान राज्यमंत्री भी रह चुके हैं.