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क्या ताजमहल को बनाने वाले शिल्पकारों और आर्किटेक्ट के हाथ काट दिए गए थे?

ताज महल दुनिया की चंद बेहतरीन इमारतों में से एक है. संयुंक्त राष्ट्र ने इसे विश्व धरोहर का दर्जा दिया है. शिल्पकारों और वास्तुकारों की मेहनत और दिमाग के नतीजे में इसका वजूद अमल में आया.

दुनिया में मुहब्बत की निशानी के तौर पर शुमार होने वाले ताजमहल का दीदार करना हर शख्स की ख्वाहिश रही है. हर दौर में इसके चाहने वाले रहे हैं. कल भी दुनिया के सबसे ताकतवर शख्सियत में शुमार अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने इसका दीदार किया और जमकर इसकी तारीफ की.

आगरा में ताज का निर्माण 17वीं सदी में मुगल बादशाह शाहजहां ने करवाया था. मुमताज बेगम की याद में ताज के निर्माण से पहले उनकी कब्र जैनाबाद में थी. शाहजहां की तीसरी बेगम मुमताज की मौत डिलीवरी के समय हुई थी. मुमताज की ख्वाहिश के मुताबिक शाहजहां ने अपनी पत्नी का ख्वाब सच्चा किया. लेकिन इस ताज को लेकर एक कहानी जुड़ी हुई है कि ताजमहल को बनाने वाले शिल्पकारों और आर्किटेक्ट के हाथ काट दिए गए थे? इसका जवाब जानेंगे, पहले जानिए कि ताज का निर्माण कैसे हुआ.

सच्चे प्रेम की निशानी है ताज महल

ताज महल दुनिया की सबसे खूबसूरत इमारतों में से एक है. इसे संयुक्त राष्ट्र ने विश्व धरोहरों की सूची में रखा है. प्रेमियों के लिए मुमताज की खातिर शाहजहां की तरफ से ये इमारत शानदार तोहफा है. इसकी वास्तुकला में भारतीय, इस्लामिक, मुगल और पारसी शैली का ख्याल रखा गया है. संगमरमर के पत्थर से तराशी गई इमारत शाहजहां का अपनी पत्नी को दिया अनमोह तोहफा है. बादशाह शाहजहां के सपनों को साकार करता स्‍मारक दुनिया के आश्‍चर्यों में से एक है.

निर्माण में वास्तुकला का रखा गया ध्यान

यादगार स्मारक का कई साल का समय और सैकड़ों लोगों की मेहनत का नतीजा है. इसके निर्माण पर पैसा पानी की तरह बहाया गया. कहा जाता है कि शाहजहां ने उस जमाने में करीब 20 लाख रुपए ताज के निर्माण पर खर्च किया. निर्माण के दौरान 22 वर्ष का समय लगा जबकि 20 हजार लोगों ने मेहनत की. बिल्डिंग मैटेरियल को ढोने में 1,000 से ज्यादा हाथियों का इस्तेमाल किया गया. इसके निर्माण के वक्त दुनिया के मशहूर आर्किटेक्ट की मदद ली गई. तुर्की आर्किटेक्ट उस्ताद ईसा के साथ ईसा मुहम्मद ने इसका डिजायन तैयार किया. बिल्डिंग के प्लान के मुताबिक अंतिम कैलिग्राफी को अंजाम देने की जिम्मेदारी अमानत खान शिराजी ने संभाली. इमारत की नक्काशी में दुनिया के 28 देशों से बेशकीमती पत्थरों का इस्तेमाल किया गया.

नींव से लेकर गुंबद तक में कलाकारी

बाढ़ से बचाव के लिए ताजमहल का निर्माण ऊंचे मंच पर किया गया है. इसकी वास्तुकला में नींव से लेकर मकबरे तक का पर्याप्त ध्यान रखा गया है. चार मीनारे 41.6 मीटर ऊंची हैं. भूकंप से बचने के लिए मीनारे को बाहर की ओर हल्‍का सा झुकाव दिया गया है. बड़े ड्रम पर टिके ताज के विशालकाय गुम्‍बद की कुल ऊंचाई 44.41 मीटर है. मकबरे के अंदरुनी हिस्‍से में एक विशाल केन्‍द्रीय कक्ष, नीचे एक तहखाना और इसके नीचे शाही परिवारों के सदस्‍यों की कब्रों के लिए मूलत: आठ कोनों वाले चार कक्ष हैं. इस कक्ष के मध्‍य में शाहजहां और मुमताजमहल की कब्रें हैं. संगमरमर की जाली के बीच मुमताज महल की कब्र पर पर्शियन में कुरान की आयतें लिखी हैं गई हैं जबकि शाहजहां की कब्र बांईं ओर बेगम की कब्र से कुछ ऊंचाई पर है. पूर्णिमा की रात यमुना किनारे बनी प्रेम की निशानी की छठा बहुत ही मनमोहक होती है.

क्या शिल्पकारों के हाथ काटे गए थे?

ताज एक्सपर्ट शम्सुद्दीन खान का कहना है कि ताज महल की तामीर करने वालों शिल्पकारों और आर्किटेक्ट से शहंशाह शाहजहां ने समझौता जरूर किया था कि इसकी नकल दुनिया के किसी दूसरे हिस्से में नहीं बनाएंगे, लेकिन ये बात गलत है कि शिल्पकारों और आर्किटेक्चर्स के हाथ काटे गए थे.

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