भारत ने मंगलवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आतंकवाद को उचित ठहराने और उसका महिमामंडन करने की इजाजत नहीं देनी चाहिए. भारत ने संभवत: पाकिस्तान में छिपे दाउद इब्राहिम का परोक्ष तौर पर हवाला देते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से कहा कि 1993 के मुंबई बम विस्फोटों के लिए जिम्मेदार आपराधिक गिरोहों को न केवल सरकार का संरक्षण ही नहीं मिल रहा बल्कि वे पांच सितारा आतिथ्य का आनंद उठा रहे हैं.


विदेश मंत्री एस जयशंकर ने डिजिटल तरीके से बैठक को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘सबसे पहले हमें आतंकवाद के खिलाफ मुकाबले के लिए दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखानी होगी। इस लड़ाई में किंतु-परंतु नहीं होना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवाद को कभी भी उचित नहीं ठहराया जा सकता, ना ही इसका गुणगान किया जा सकता है। सभी सदस्य राष्ट्रों को आतंकवाद से निपटने के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं और समझौते का पालन करना चाहिए।’’




जयशंकर प्रस्ताव 1373 (2001) को अंगीकृत किए जाने के बाद ‘‘20 साल में आतंकवाद से लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय सहयोग और आतंकवादी कृत्यों के कारण अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को खतरा’’ विषय पर यूएनएससी की मंत्रिस्तरीय बैठक को संबोधित कर रहे थे. इस महीने 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में भारत के अस्थायी सदस्य के तौर पर दो साल के कार्यकाल की शुरुआत के बाद से मंत्री ने पहली बार संबोधित किया.


उन्होंने कहा- “संयुक्त राष्ट्र की पाबंदी के तहत लोगों और संगठनों के नाम सूची में शामिल करने और बाहर करने का काम निष्पक्षता के साथ होना चाहिए. आतंकवाद मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है. आतंकवाद और देशों में संगठित अपराध के बीच जुड़ाव की पहचान की जानी चाहिए और दृढ़ता से इसका समाधान किया जाना चाहिए.”


जयशंकर ने आगे कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हमें राजनैतिक इच्छा शक्ति दिखानी होगी. इस लड़ाई के खिलाफ कोई किन्तु, परंतु नहीं होना चाहिए. ना ही हम आतंकवाद को उचित ठहराने देना चाहिए और ना ही उसका महिमांडन किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस लड़ाई में डबल स्टैंडर्ड नहीं होना चाहिए. आतंकी सिर्फ आतंकी है, वे अच्छे या बुरे नहीं है. जो इसका प्रचार करते हैं उनका अपना एडेंडा है और जो इस पर पर्दा डालते हैं वो सिर्फ अपराधी हैं.


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