नई दिल्ली: भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक दत्तोपंत ठेंगडी की जन्म शताब्दी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति एम वैकेंया नायडू ने कहा कि सरकार की योजनाओं में सहयोग करके एक बड़ा चित्र खींचा जा सकता है. हर समय सरकार के भरोसे बैठने से विकास न्याहि होगा. उन्होंने कहा कि देश के लिए संपदा निर्माण करने वाले किसानों और मजदूरों के यदि स्वास्थ्य की हम अधिक चिंता करें तो वे और भी अधिक संपदा का निर्माण करेंगे.


उन्होंने कहा कि ठेंगडीजी ने देश के श्रमिक आंदोलन को एक सकारात्मक दिशा दी और उसे आंदोलनों ओर हडतालों से बाहर निकालकर देश के रचनात्मक विकास में सहभागी बनने के लिए प्रेरित किया. यह ठेंगडीजी के श्रम का ही परिणाम है कि आज उनके द्वारा स्थापित भारतीय मजदूर संघ देश का सबसे बडा श्रम संगठन है.


दिल्ली के मावलंकर सभागार में इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहसरकार्यवाह दत्रात्रेय होसबले, श्री दत्तोपन्त ठेंगडी जन्म शताब्दी समारोह समिति दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष एवं गुजरात के पूर्व राज्यपाल प्रो. ओमप्रकाश कोहली, भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सी.के. सजी नारायणन, भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री बद्रीनारायण एवं सुप्रसिद्ध स्वदेशी चिंतक, विचारक व गौतमबुद्ध विश्वविदयालय के उपकुलपति प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा भी उपस्थित थे.


कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहसरकार्यवाह सुरेश सोनी एवं डा. कृष्ण गोपाल, अखिल भारतीय सहसम्पर्क प्रमुख रामलाल, केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, पूर्व केन्द्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया, भारतीय किसान संघ के संगठन मंत्री दिनेश कुलकर्णी, स्वदेशी जागरण मंच से सतीश कुमार व डॉ अश्वनी महाजन, एवं भारतीय मजदूर संघ के क्षेत्र संगठन मंत्री पवन कुमार भी उपस्थित थे.


श्री नायडू ने कहा कि ठेंगडीजी एक दूरद्रष्टा थे और उनकी नेतृत्व क्षमता अद्वितीय थी. उसी क्षमता के बल पर उन्होंने शून्य से कई हिमालय खडे किये. 'वे सर्वसमावेशी विचारक थे. इसीलिए संसार के हर वर्ग में उनका सम्मान था. एक समर्पित राष्ट्रनेता के रूप में उन्होंने राष्ट्रसेवा की. उनका जीवन अनुकरणीय था. एक श्रमिक नेता होने के बावजूद उन्होंने कभी भी श्रमिक आंदोलन को हिंसक नहीं होने दिया. इतने बडे नेता होने के बावजूद उनके पास न तो घर था और न ही कार अथवा मोबाइल फोन. यूनियन के एक छोटे से कमरे में ही उन्होंने अपना पूरा जीवन बिता दिया. ऐसे राष्ट्र नेता के श्रीचरणों में अपनी विनम्र श्रद्धांजलि समर्पित करता हूँ.


इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहसरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने कहा कि ठेंगडीजी कहा करते थे कि आधुनिकीकरण का अभिप्राय पश्चिमीकरण नहीं है. उन्होंने कहा, 'ठेंगडी जी एक विचारक और संगठक दोनों थे. इसके अलावा वे एक श्रेष्ठ मानव व अभिभावक भी थे. सामान्य बीडी मजदूर की भी वे उसी प्रकार चिंता करते थे जिस प्रकार अन्य लोगों की. उनके जीवन काल में संगठन की ओर से उन्हें जो भी कार्य दिया गया उसे उन्होंने सफलतापूर्वक संपन्न किया.


आपातकाल में उन्होंने भूमिगत आंदोलन का सशक्त नेतृत्व किया. वे एक विचारक के साथ-साथ अध्येता भी थे. अपने अनुभव वे पुस्तकों में संकलित किया करते थे. स्वतंत्र भारत में वे स्वदेशी आंदोलन के जनक थे. इसके माध्यम से उन्होंने देश में आर्थिक आजादी के आंदोलन की शुरूआत की. दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद की उन्होंने बहुत ही स्पष्ट व्याख्या की.