Farmers की तरह हमें भी अपने अधिकारों के लिए देना पड़ सकता है बलिदान, Srinagar में बोले Farooq Abdullah
Farooq Abdullah Statement: फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि किसानों ने 11 महीने तक प्रदर्शन किया, 700 से ज्यादा किसान मारे गए. हमें भी अपने अधिकारों को वापस लेने के लिए ऐसा ही बलिदान देना पड़ सकता है.
Article 370: नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि अनुच्छेद 370, 35ए और पूर्ण राज्य के दर्ज के लिए हम कोई भी बलिदान देने को तैयार हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस के यूथ विंग को संबोधित करते हुए फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि किसानों ने 11 महीने तक प्रदर्शन किया, 700 से ज्यादा किसान मारे गए. केंद्र सरकार ने किसानों के बलिदान के बाद तीन कृषि कानून वापस लिए. हमें भी अपने अधिकारों को वापस लेने के लिए ऐसा ही बलिदान देना पड़ सकता है.
किसानों के लगभग एक साल के विरोध के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को फसलों की बिक्री, मूल्य निर्धारण और भंडारण के नियमों को आसान बनाने के लिए पिछले साल पारित कृषि कानूनों को निरस्त करने के निर्णय की घोषणा की थी. संसद के चालू शीत सत्र के पहले दिन 29 नवंबर को कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक को पारित किया गया.
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, '11 महीने (किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया), 700 से अधिक किसान मारे गए. केंद्र को तीन कृषि बिलों को रद्द करना पड़ा जब किसानों ने बलिदान दिया. हमें अपने अधिकार वापस पाने के लिए वैसा बलिदान भी करना पड़ सकता है.' अब्दुल्ला ने कहा, 'यह याद रखें, हमने (अनुच्छेद) 370, 35-ए और राज्य का दर्जा वापस पाने का वादा किया है और हम कोई भी बलिदान देने के लिए तैयार हैं.'
J&K | The farmers protested for 11 months, more than 700 farmers died. Centre had to revoke the 3 farm bills when farmers made sacrifices. We may also have to make sacrifices like that to get back our rights: National Conference president Farooq Abdullah in Srinagar pic.twitter.com/Wt0AH3JmFt
— ANI (@ANI) December 5, 2021
उन्होंने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस हालांकि भाईचारे के खिलाफ नहीं है और हिंसा का समर्थन नहीं करती है. केंद्र ने तत्कालीन जम्मू कश्मीर राज्य के विशेष दर्जे को रद्द कर दिया था और पांच अगस्त, 2019 को इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था.
हाल ही में हैदरपोरा मुठभेड़ और अभियान में मारे गए दो नागरिकों के परिवारों ने प्रशासन को उनके शव वापस करने के लिए कैसे मजबूर किया, इस पर अब्दुल्ला ने कहा कि यह संभव हुआ क्योंकि लोगों ने एकता दिखाई. उन्होंने मांग की कि मुठभेड़ में मारे गए एक अन्य व्यक्ति आमिर मागरे का शव भी उसके परिजनों को लौटाया जाए.
नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख ने कहा, 'तीन निर्दोष लोग मारे गए (हैदरपोरा मुठभेड़ में) जब लोगों ने आवाज उठाई, तो उन्होंने (प्रशासन ने) शव लौटा दिए ताकि उनके परिजन उन्हें दफना सकें. यह एकता से ही हो सकता है.'
उन्होंने कहा, 'लेकिन एक व्यक्ति का शव अब भी उसके परिवार को नहीं लौटाया गया है. उन्होंने इस तरह कितने निर्दोष लोगों को मार डाला होगा? हम उन्हें जवाबदेह ठहराएंगे. वह (ईश्वर) भी उन्हें जवाबदेह ठहराएंगे और कोई भी बच नहीं पाएगा.'
अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में पर्यटन में इजाफा होने संबंधी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी पर अब्दुल्ला ने कहा कि जब केंद्र शासित प्रदेश की बात आती है तो 'जैसे पर्यटन ही सब कुछ है'. उन्होंने कहा, 'आपने 50,000 नौकरियों का वादा किया था, वे कहां हैं? बल्कि आप हमारे लोगों की नौकरियां समाप्त कर रहे हैं.'
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