विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को यूक्रेन के बूचा शहर में हत्याओं की निंदा की. उन्होंने कहा, कुछ सांसदों ने बूचा का मामला उठाया था और हम मीडिया रिपोर्ट्स से बेहद दुखी हैं. वहां लोगों की हत्याएं हुईं, जिसकी हम निंदा करते हैं. यह बेहद गंभीर मामला है और हम स्वतंत्र जांच की मांग का समर्थन करते हैं. यूक्रेन के मसले पर लोकसभा में एस जयशंकर ने कहा, हमने शांति का रास्ता चुना है. यूक्रेन विवाद के कारण वैश्विक इकोनॉमी और हमारी अर्थव्यवस्था को गंभीर परिणाम झेलने पड़ रहे हैं. बाकी देशों की तरह हम भी आकलन कर रहे हैं और तय कर रहे हैं कि हमारे राष्ट्र हित में क्या है.
उन्होंने आगे कहा, सदन में मौजूद सदस्य जानते हैं कि जटिल और वैश्विक परिदृश्य में हर देश परस्पर निर्भरता की वास्तविकता को ध्यान में रखता है. लिहाजा, भले ही वे अपनी स्थिति शब्दों में या कामों में जाहिर करें, वे ऐसी नीतियां भी अपनाते हैं, जिससे उनकी अवाम सुरक्षित रहे. जयशंकर ने कहा हम इस लड़ाई के खिलाफ हैं और बातचीत व कूटनीति ही इसका जवाब है. हम यूएन चार्टर की भी इज्जत करते हैं.
इससे पहले भारत ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बूचा शहर में नागरिकों के मारे जाने संबंधी खबरों को 'बेहद परेशान' करने वाला करार देते हुए इसकी कड़ी निंदा की थी.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टी एस तिरुमूर्ति ने यूक्रेन पर यूएन सुरक्षा परिषद की बैठक में कहा कि बूचा में नागरिकों के मारे जाने संबंधी हालिया खबरें काफी परेशान करने वाली हैं. भारत बूचा हत्याओं की निंदा करता है और एक स्वतंत्र जांच की मांग का समर्थन करता है.
यूक्रेन संघर्ष पर तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत हिंसा की तुरंत समाप्ति और शत्रुता खत्म करने की अपनी मांग को दोहराता है. उन्होंने कहा कि जब निर्दोष लोगों की जान दांव पर लगी हो तो केवल कूटनीति ही एकमात्र विकल्प रह जाता है.
इससे पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने मंगलवार को पहली बार यूएनएससी की बैठक को संबोधित किया. जेलेंस्की ने कहा कि युद्ध अपराधों के लिए रूसी सेना को तुरंत न्याय के दायरे में लाया जाना चाहिए. जेलेंस्की ने रूस के सैनिकों पर द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे बर्बर अत्याचार करने का आरोप लगाया और कहा कि वे इस्लामिक स्टेट समूह जैसे आतंकवादियों से अलग नहीं हैं.
यूक्रेन के विभिन्न इलाकों खासकर बुचा से सामने आई खौफनाक तस्वीरों ने दुनिया में खलबली मचा दी है और रूस के खिलाफ युद्ध अपराधों के लिए मुकदमा व कठोर पाबंदी लगाने की मांग की गई है.
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