महिला वकीलों को हाई कोर्ट का जज बनाने पर अलग से सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि कई बार यह देखा गया है कि महिला वकील खुद ही जज बनने का प्रस्ताव ठुकरा देती हैं. बता दें कि महिला वकीलों की संस्था की तरफ से दाखिल याचिका पर नोटिस जारी करने से मना करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा, "हम खुद इस विषय पर गंभीर हैं. सिर्फ हाई कोर्ट जज क्यों? हमारा मानना है कि किसी महिला के देश के मुख्य न्यायाधीश बनने का समय अब आ गया है. लेकिन इस मसले पर विशेष रूप से सुनवाई करने की जरूरत नहीं है."


ज्यादातर महिला वकील हाई कोर्ट का जज नहीं बनना चाहती


सुप्रीम कोर्ट वुमेन लॉयर्स एसोसिएशन की तरफ से वकील स्नेहा कलिता और शोभा गुप्ता ने चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े, जस्टिस संजय किशन कौल और सूर्यकांत की बेंच के सामने मामला रखा था. चीफ जस्टिस ने कहा, "इस विषय पर कॉलेजियम में कई बार गंभीरता से चर्चा होती है. हम खुद हाई कोर्ट में महिला जजों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के पक्ष में हैं. लेकिन हमें कई हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने रिपोर्ट भेजी है. उन्होंने बताया है कि ज्यादातर महिला वकील हाई कोर्ट का जज बनने से मना कर देती हैं. वह पारिवारिक जिम्मेदारियों का हवाला देती हैं. कई वकील यह कहती हैं कि उनके बच्चे 11 वीं या 12 वीं कक्षा में पढ़ रहे हैं. इसलिए वह जज बनने का दायित्व नहीं निभा सकतीं."


कोर्ट में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढाने पर विचार करेंगे


महिला वकीलों ने अपनी याचिका पर नोटिस जारी कर विस्तृत सुनवाई का अनुरोध किया. लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा, "हाई कोर्ट के खाली पदों को लेकर पहले ही सुनवाई चल रही है. हम इस नई याचिका पर नोटिस जारी कर मामले को जटिल नहीं बनाना चाहते. न्यायपालिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने को लेकर जो कुछ भी किया जाना है, उस पर हम स्वयं विचार करेंगे."


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