गडकरी ने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सामूहिक विपक्ष का सामना करते हुए भी जीत हासिल की थी. उन्होंने कहा, ‘‘महागठबंधन उन लोगों का गठबंधन है जो एनीमिक, कमजोर और हारे हुए हैं. ये लोग हैं जिन्होंने कभी एक दूसरे को ‘नमस्कार’ नहीं कहा, एक दूसरे को देखकर कभी मुस्कराए नहीं या एक दूसरे के साथ चाय तक नहीं पी.’’
बीजेपी नेता ने कहा, ‘‘श्रेय मोदी और बीजेपी को जाता है कि ये पार्टियां अब दोस्त बन गयी हैं.’’ गडकरी ने अपने तर्क को मजबूती प्रदान करते हुए कहा कि सपा नेता मुलायम सिंह यादव और बसपा अध्यक्ष मायावती चिर प्रतिद्वंद्वी हैं.
वरिष्ठ मंत्री ने कहा, ‘‘जब मैं कॉलेज में था, इंदिरा गांधी के खिलाफ बड़ा गठबंधन था. सोशलिस्ट पार्टी, कांग्रेस (ओ) और जन संघ साथ में थे. गणित के हिसाब से तो गठबंधन के जीतने के आसार थे. लेकिन इंदिरा गांधी 1971 का चुनाव जीतीं. राजनीति में दो और दो कभी चार नहीं होते.’’
उन्होंने कहा कि राजस्थान और मध्य प्रदेश के चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस की वोट हिस्सेदारी के बीच अंतर बहुत कम था. उन्होंने कहा, ‘‘विधानसभा चुनावों के परिणामों पर मत जाइए. हम लोकसभा चुनाव दोबारा जीतेंगे. हम अच्छा बहुमत हासिल करेंगे और मोदी दोबारा प्रधानमंत्री बनेंगे.’’
बीजेपी पर अकसर निशाना साधने वाली सहयोगी शिवसेना को लेकर एक सवाल के जवाब में गडकरी ने कहा कि दोनों पार्टियों के बीच वैसे ही संबंध हैं जैसे उस समय थे जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे.
उन्होंने कहा, ‘‘मराठी में एक कहावत है ‘‘तुझे माझे जामेना, तुझ्या वाचुन करामेना’’ यानी हम ना तो साथ में आते हैं और ना ही अलग हो सकते. महाराष्ट्र के हित में, मराठी भाषी जनता और देश के हित में गठबंधन हम दोनों के लिए लाभकारी है.’’
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