चंडीगढ़: जीपीएस लगे और 10 किलोग्राम तक का वजन उठा सकने वाले ड्रोन विमानों ने पाकिस्तान से करीब सात-आठ बार आकर भारत में एके-47 राइफलें, पिस्तौल और हथगोले गिराए जो पंजाब के तरनतारन जिले में बरामद किए गए. पंजाब पुलिस की जांच में यह दावा किया गया है. साथ ही, जांच से यह संकेत भी मिला है कि ये हथियार जम्मू कश्मीर में आतंकी हमलों को अंजाम देने के लिए गिराए गए थे. बुधवार को एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि ऐसा पहली बार हुआ है जब सीमा पार से हथियार और सैटेलाइट फोन जैसे संचार उपकरण गिराने के लिए ड्रोन विमानों का इस्तेमाल किया गया.


पंजाब पुलिस की ‘काउंटर-इंटेलीजेंस विंग’ के अधिकारी मुताबिक इस काम में इस्तेमाल किया गया और आधा जला हुआ एक ड्रोन तरन तारन से बरामद हुआ है. इस बीच, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चेन्नई में कहा कि जहां तक देश की सुरक्षा का सवाल है, सशस्त्र बलों के पास किसी भी चुनौती से निपटने की क्षमता है. वहीं, सेना के एक शीर्ष कमांडर ने कहा कि भारतीय सशस्त्र बल ड्रोनों का पता लगाने और पाकिस्तान की ओर से भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने वाले किसी भी सैन्य ड्रोन विमान को मार गिराने में सक्षम हैं.


पंजाब पुलिस ने रविवार को दावा किया था कि उसने खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स (के जेड एफ) के एक आतंकवादी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है. इसे पाकिस्तान और जर्मनी स्थित एक समूह से समर्थन प्राप्त है. पुलिस ने बताया कि यह आतंकवादी समूह पंजाब और जम्मू कश्मीर जैसे सीमावर्ती राज्यों में सिलसिलेवार हमले करने का षड्यंत्र रच रहा था. जांच का ब्योरा देने वाले पुलिस अधिकारी ने बताया कि इन हथियारों को गिराने का मकसद जम्मू कश्मीर में दहशत पैदा करना था.


उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को हाल ही में केंद्र ने समाप्त कर दिया था. तरनतारन के चोला साहिब गांव के बाहर से के जेड एफ मॉड्यूल के चार सदस्यों बलवंत सिंह उर्फ बाबा उर्फ निहंग, आकाशदीप सिंह उर्फ आकाश रंधावा, हरभजन सिंह और बलबीर सिंह को रविवार को गिरफ्तार किया गया था. अधिकारी ने बताया कि आरोपियों ने पूछताछ के दौरान जांचकर्ताओं को बताया कि जीपीएस लगे ‘बड़े’ ड्रोनों का इस्तेमाल तरनतारन जिले में सीमा पार से हथियार एवं गोला बारूद गिराने के लिए किया गया.



अधिकारी ने कहा, ‘‘हथियार और गोला-बारूद गिराने के लिए सीमा पार से सात-आठ बार ड्रोन भेजे गए.’’ उन्होंने बताया कि हथियारों को इसी महीने ड्रोन से गिराया गया. एक ड्रोन 10 किलोग्राम तक वजन उठा सकता है. पुलिस ने बताया कि पांच एके-47 राइफल, 19 मैगजीन और 472 कारतूस, चार चीन निर्मित.30 बोर की पिस्तौल, आठ मैगजीन और 72 कारतूस, नौ हथगोले, पांच सैटेलाइट फोन, दो मोबाइल फोन, दो वायरलेस सेट और 10 लाख रुपये की जाली मुद्रा जब्त की गई.


उधर, हरियाणा के हिसार सेना स्टेशन में संवाददाताओं से दक्षिण पश्चिमी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल आलोक सिंह कलेर ने कहा कि इस वक्त चिंता करने जैसी कोई बात नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘इस वक्त, यहां आप कार्यक्रम में प्रदर्शित जो ड्रोन देख रहे हैं, उनकी वजन ढोने की क्षमता बहुत कम है. और सीमा पार से इस्तेमाल किए जाने वाले ड्रोन के बारे में जो खबरें आ रही हैं, उस ड्रोन की क्षमता भी बहुत कम है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए चिंता करने की कोई बात नहीं है.’’


लेफ्टिनेंट जनरल कलेर ने कहा कि भारतीय सशस्त्र बल के उपकरण और रडार तैनात हैं. ‘‘और हमारी ओर आने वाले तथा सैन्य इस्तेमाल के लिए किए जाने वाले किसी भी ड्रोन को भारतीय वायुसेना और थल सेना अपनी क्षमताओं से मार गिराएंगी.’’ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चेन्नई में कहा कि जहां तक देश की सुरक्षा का सवाल है...सशस्त्र बलों के पास किसी भी चुनौती से निपटने की क्षमता है. उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह द्वारा इस सिलसिले में गृह मंत्रालय की मदद मांगे जाने के बारे में सवाल पूछे जाने पर यह बात कही.


अमरिंदर ने मंगलवार को एक ट्वीट में कहा था, ‘‘पकिस्तानी ड्रोन विमानों द्वारा हथियार एवं गोला-बारूद गिराने की हालिया घटनाएं (जम्मू कश्मीर से) अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को निरस्त किए जाने के बाद पाकिस्तान के नापाक मंसूबों की नयी और गंभीर हरकत है. अमित शाह जी इस ड्रोन समस्या से यथाशीघ्र निपटने की कार्रवाई सुनिश्चित करें.’’ पुलिस अधिकारी ने बताया कि ड्रोन के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद पाकिस्तान स्थित उसके ऑपरेटर ने आरोपी को दुर्घटनास्थल की जानकारी दी. इसके बाद आरोपी ने इसे ढूंढकर जला दिया.


फॉरेंसिक टीम के साथ मिलकर पुलिस ने मंगलवार को एक जीपीएस एंटीना समेत ड्रोन के कुछ हिस्से बरामद किए. पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘ड्रोन के कुछ हिस्सों को गुरुद्वारा बाबा बूढा साहिब के निकट एक नहर में फेंक दिया गया है.’’ उन्होंने बताया कि इन हिस्सों का पता लगाने के लिए जल्द ही गोताखोर लगाए जाएंगे.


पंजाब पुलिस की जांच में खुलासा हुआ कि इस मॉड्यूल को पाकिस्तान स्थित के. जेड एफ प्रमुख रंजीत सिंह उर्फ नीता और उसके जर्मनी स्थित सहयोगी गुरमीत सिंह उर्फ बग्गा का समर्थन था. उन्होंने स्थानीय स्लीपर सेल्स की मदद से स्थानीय सदस्यों की पहचान कर उनमें कट्टरवाद का जहर भरा और भर्ती की. राज्य सरकार ने मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपने का निर्णय किया है.


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