ज्योतिषी का दावा: मौसम के साथ ही अशांति फैलाने वाली घटनाओं के पूर्वानुमान भी बता रहे हैं सरकार को
ज्योतिष ने बताया कि मंत्रालय की पहल पर मई 2018 में उन्होंने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन और मौसम विभाग के तत्कालीन महानिदेशक के जे रमेश के समक्ष ज्योतिष पर आधारित मौसम के पूर्वानुमान की विधि का विस्तार से वर्णन किया था.
नई दिल्लीः मौसम का मिजाज भांपने में मौसम विभाग का पूर्वानुमान भले ही यदाकदा गलत हो जाता हो, लेकिन ‘ज्योतिष’ को स्थापित विज्ञान बताते हुये एक ‘नजूमी’ का दावा है कि वह सरकार को मौसम समेत कई चीजों के बारे में जानकारी दे रहा है. ज्योतिष के मुताबिक वह पिछले कुछ सालों से सरकार को मौसम की सटीक भविष्यवाणी से लगातार अवगत करा रहे हैं.
ज्योतिष में डाक्टरेट की उपाधि धारक डा. शेष नारायण वाजपेयी का कहना है कि वह मौसम और वायु प्रदूषण ही नहीं, बल्कि दंगा फसाद, सामाजिक आंदोलन और अग्निकांड जैसी घटनाओं के पूर्वानुमान से भी प्रधानमंत्री कार्यालय, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और मौसम विभाग को लगातार अवगत करा रहे हैं.
डा. वाजपेयी ने पीटीआई भाषा को बताया, ''ज्योतिष विज्ञान पर आधारित भविष्यवाणियों का लाभ लेने की बात, सरकार द्वारा कुछ मजबूरियों के कारण खुले तौर पर स्वीकार न करने के बावजूद हमने सरकार को मौसम के मिजाज से अवगत कराने का सिलसिला जारी रखा है.''
प्रयोग के तौर पर पूर्वानुमान सेवा देना शुरु किया था
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने माना कि वाजपेयी ने प्रयोग के तौर पर 2018 में मौसम विभाग को मासिक पूर्वानुमान सेवा देना शुरु किया था. हालांकि उन्होंने इस सेवा को विभाग कि ओर से आधिकारिक तौर पर स्वीकार करने की बात से अनभिज्ञता जतायी है. मौसम विभाग के अधिकारी इस बारे में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है.
इस बीच राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के पूर्व सलाहकार डा. रजनीश रंजन ने 30 अगस्त 2018 को मौसम विभाग के नवनियुक्त महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा को पत्र लिखकर मौसम के सटीक पूर्वानुमान के बारे में वाजपेयी के सिद्धहस्त होने से अवगत कराते हुये विभाग द्वारा उनकी नियमित सेवायें लेने का सुझाव दिया था. डा. रंजन फिलहाल निजी क्षेत्र की मौसम पूर्वानुमान इकाई स्काईमेट के साथ कार्यरत हैं.
'मौसम के पूर्वानुमान की गणना का वर्णन'
वाजपेयी ने बताया कि मंत्रालय की पहल पर मई 2018 में उन्होंने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन और मौसम विभाग के तत्कालीन महानिदेशक के जे रमेश के समक्ष ज्योतिष पर आधारित मौसम के पूर्वानुमान की गणना एवं आंकलन करने की विधि का विस्तार से वर्णन किया था. रमेश के संतुष्ट होने के बाद ही उन्होंने मौसम विभाग, मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय को हर महीने की 30 तारीख को अगले महीने के मौसम का पूर्वानुमान, ई मेल से भेजना शुरु कर किया.
ज्योतिष वाजपेयी ने बताया, ''यह सिलसिला कुछ महीनों तक चलता रहा. इस दौरान मौसम, पर्यावरण प्रदूषण और प्राकृतिक आपदाओं के पूर्वानुमान के बारे में रमेश के साथ विचार विमर्श के स्तर पर बेहतर तालमेल भी कायम हो गया. इस बीच जुलाई 2018 में केरल की अप्रत्याशित बाढ़ के बारे में मौसम विभाग का पूर्वानुमान गलत और ज्योतिषीय अनुमान सटीक साबित होने के बाद विभाग ने उनसे किनारा कर लिया.''
'पुरातनपंथी मानने की सोच से बाहर निकलना होगा'
मौसम विभाग के एक अधिकारी ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, ''शून्य के आविष्कार से लेकर ग्रह नक्षत्रों की गणना तक, प्राचीन भारतीय विज्ञान की उपलब्धियां संदेह से परे हैं. ऐसे में ज्योतिषियों की ओर से इस्तेमाल होने वाले पत्रे में चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण सहित अन्य खगोलीय घटनाओं के समय की सटीक घोषणा हजारों साल से किये जाने की सच्चाई हमें स्वीकार करने में हर्ज नहीं होना चाहिये.''
उन्होंने कहा, ''पश्चिम के विकसित देश पत्रे और पुराणों पर शोध कर हमारे प्राचीन विज्ञान की गुत्थियों को सुलझाने में लगे हैं, लेकिन हम इसे पुरातनपंथी मानने की सोच से बाहर आने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं.''
मौसम विभाग की ओर से पत्रे की मदद लेने के सवाल पर उन्होंने कहा, ''प्रतिदिन सूर्योदय और सूर्यास्त सहित अन्य खगोलीय घटनाओं का समय, मौसम विभाग के पोजीशनल एस्ट्रोनॉमी सेंटर द्वारा पत्रे की ही मदद से जारी किया जाता है. लोगों को शायद यह जानकारी नहीं है कि यह सेंटर ही हर साल का पत्रा भी जारी करता है.''
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