Weather Update: दिल्ली में एक जून तक लू चलने की आशंका नहीं, जानिए आज कहां-कहां होगी बारिश
बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश के साथ भारी बारिश होने की संभावना है. दक्षिण राजस्थान के विदर्भ मराठवाड़ा और कोंकण और गोवा के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश हो सकती है.
नई दिल्ली: दिल्ली के कुछ हिस्सों में बुधवार को तापमान 40 डिग्री के पार चला गया. वहीं, मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने कहा है कि अगले चार से पांच दिन राष्ट्रीय राजधानी में लू चलने की आशंका नहीं है. आज गंगीय पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड और बिहार के कुछ हिस्सों में मध्यम से भारी बारिश और गरज के साथ बौछारें जारी रहने की संभावना है. उत्तर पूर्व भारत, केरल और अंडमान और निकोबार द्वीप पर हल्की से मध्यम बारिश के साथ एक दो स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है.
24 घंटों के बाद, बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश के साथ भारी बारिश होने की संभावना है. सिक्किम उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, तटीय कर्नाटक, दक्षिण कर्नाटक, लक्षद्वीप, तमिलनाडु के अलग-अलग हिस्सों और रायलसीमा में हल्की से मध्यम बारिश होने के आसार हैं. दक्षिण राजस्थान के विदर्भ मराठवाड़ा और कोंकण और गोवा के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश हो सकती है.
एक जून तक लू चलने की आशंका नहीं
आईएमडी ने कहा है कि एक जून तक अधिकतम तापमान 40 डिग्री से नीचे ही रहने की संभावना है, जिसका मतलब है कि इस अवधि में लू चलने की आशंका नहीं है. आईएमडी के क्षेत्रीय पूर्वानुमान केंद्र के प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव के मुताबिक साल 2014 के बाद पहली बार ऐसा होगा कि मानसून पूर्व की अवधि में लू का रिकार्ड दर्ज नहीं होगा. सबसे पहले पांच पश्चिमी विक्षोभ और फिर चक्रवात ‘ताउते’ के कारण तापमान नियंत्रित रहा. मैदानी इलाके में 40 डिग्री से अधिकतम तापमान होने और सामान्य से 4.5 डिग्री अधिक होने पर पर लू की घोषणा की जाती है.
यास तूफान हुआ कमजोर
मौसम विभाग के महानिदेशक डॉ मृत्युंजय महापात्रा ने कहा कि यास तूफान के गुरुवार तक काफी कमजोर पड़ जाने की संभावना है. झारखंड में कमजोर पड़ जाएगा. भद्रक, बालासोर, मिदनापुर और 24 परगना जिलों में बारिश होगी. बंगाल की खाड़ी में तो नहीं, लेकिन अरब सागर में पिछले कुछ सालों में चक्रवाती तूफानों की संख्या में बढोत्तरी देखी गई है. ऐसे में ये सवाल लाजमी है कि इसके पीछे क्या कारण है. इसका अध्ययन करने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय कमिटी बनी है जिसका मैं भी सदस्य हूं. जो अभी तक कारण दिख रहा है उससे ये कहा जा सकता है कि इसके पीछे जलवायु परिवर्तन भी एक कारण हो सकता है. इसका बहुत ज्यादा असर मानसून पर नहीं पड़ेगा.
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