मई-जून नहीं, फरवरी से ही पड़ने लगेगी भीषण गर्मी! बारिश में भी कमी, IMD ने जारी किया अलर्ट
Weather Update: देश के कई राज्यों में गेहूं, मटर, चना और जौ जैसी रबी फसलों की खेती होती है. इनके लिए बारिश बेहद खास होती है, लेकिन मौसम विभाग के मुताबिक, इस साल कई क्षेत्रों में सूखे जैसी स्थिति होगी.
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Weather Update: उत्तर भारत में ठंड का असर लगातार कम होता जा रहा है. सुबह और देर रात ठंड महसूस हो रही है. वहीं दिन में पारा गर्मी के पिछले रिकॉर्ड तोड़ने की कोशिश में लगा हुआ है. राजधानी में न्यूनतम तापमान 9.2 डिग्री दर्ज किया गया, जो सामान्य से 0.8 डिग्री ज्यादा है. मौसम विभाग (IMD) ने शुक्रवार (31 जनवरी, 2025) को जानकारी दी कि जनवरी में मौसम गर्म और शुष्क रहा, लेकिन फरवरी में देश के कई क्षेत्रों में औसत से कम बारिश होने की संभावना है.
पीटीआई कि रिपोर्ट के अनुसार, मौसम विभाग (IMD) ने शुक्रवार (31 जनवरी, 2025) को जानकारी देते हुए कहा कि जनवरी में गर्म रहने के बाद फरवरी में देश के ज्यादातर क्षेत्रों में अधिक तापमान और सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है. IMD के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने बताया है कि पश्चिम-मध्य और उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ इलाकों को छोड़कर ज्यादातर हिस्सों में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है. वहीं कुछ हिस्सों को छोड़कर ज्यादातर क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान सामान्य से ज्यादा रहेगा.
जनवरी में औसतन 4.5 मिमी बारिश दर्ज - IMD
मृत्युंजय महापात्रा ने बताया कि भारत में जनवरी में औसतन 4.5 मिमी बारिश हुई. जनवरी में देश का औसत तापमान 18.98 डिग्री सेल्सियस रहा, जो 1901 के बाद से इस महीने का तीसरा सबसे अधिक तापमान था. बीते साल 2024 का अक्टूबर भी 1901 के बाद से सबसे गर्म महीना रहा, जिसमें औसतन तापमान सामान्य से लगभग 1.2 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा.
फसलों के लिए बेहद खास है बारिश- IMD
इसके पहले मौसम विभाग ने अनुमान जताया था कि जनवरी से मार्च के बीच उत्तर भारत में बारिश सामान्य से कम होगी, जो एलपीए 184.3 मिमी के 86 प्रतिशत से भी कम होगी. पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश जैसे उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी राज्य सर्दियों (अक्टूबर से दिसंबर) में गेहूं, मटर, चना और जौ जैसी रबी फसलों की खेती करते हैं और गर्मियों (अप्रैल से जून) में उनकी कटाई करते हैं. पश्चिमी विक्षोभ के कारण सर्दियों में होना वाली बारिश इन फसलों की वृद्धि के लिए बेहद खास है.
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