नई दिल्लीः राष्ट्रीय राजधानी में आज तापमान में थोड़ी वृद्धि दर्ज की गई हालांकि भारत मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक रविवार को तापमान में फिर गिरावट आने की संभावना है. आज यहां का तापमान 5.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.दिल्ली में शुक्रवार को शीतलहर चली और न्यूनतम तापमान सामान्य से पांच डिग्री कम रहा और चार डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. रविवार को भी शीतलहर चलने का अनुमान है.


मैदानी इलाकों में जब न्यूनतम तापमान चार डिग्री तक गिर जाता है तो विभाग शीतलहर की घोषणा करता है और जब मैदानी क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान दो डिग्री सेल्सियस या उससे भी नीचे चला जाता है तो वह भयंकर शीतलहर की स्थिति होती है.


नववर्ष के पहले दिन दर्ज हुआ था सबसे कम तापमान
मंगलवार और गुरुवार को मैदानी क्षेत्र में सर्द एवं शुष्क उत्तरी-पश्चिमी हवा चलने के कारण न्यूनतम तापमान क्रमश: 2.1 और 3.8 डिग्री रहा था. नववर्ष के पहले दिन दिल्ली का न्यूनतम तापमान 1.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था जो बीते 15 वर्ष में सबसे कम था.


इधर, कश्मीर में शीत लहर का प्रकोप जारी
इधर, कश्मीर में आज भी शीतलहर का प्रकोप जारी रहा और घाटी में न्यूनतम तापमान शून्य से कई डिग्री नीचे रहा.जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में तापमान शून्य से 7.2 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया, जो इससे पूर्ववर्ती रात के शून्य से 7.7 डिग्री सेल्सियस नीचे के तापमान से थोड़ा अधिक है. अधिकारियों ने बताया कि उत्तरी कश्मीर में बारामूला के गुलमर्ग स्कीइंग स्थल पर न्यूनतम तापमान शून्य से 10 डिग्री नीचे रहा जो उसकी पिछली रात के तापमान शून्य से 11.5 डिग्री नीचे से अधिक है.


पेयजल पाइपों में जमी बर्फ
दक्षिण कश्मीर में पहलगाम पर्यटन स्थल पर पारा शून्य के 12.5 डिग्री नीचे तक चला गया जो उसकी पिछली रात के तापमान शून्य से 12 डिग्री नीचे से कम था. कुपवाड़ा में न्यूनतम तापमान शून्य से 3.7 डिग्री नीचे और कोकरनाग में शून्य से 10.9 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया. पारे में गिरावट से जलाशयों में तथा घाटी के कई क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति लाइनों में पानी बर्फ बन गया है.


अगले कुछ दिनों तक न्यूनतम तापमान के जमाव बिंदू के नीचे रहने की ही संभावना है क्योंकि मौसम वैज्ञानिकों ने दो फरवरी को घाटी में पश्चिमी विक्षोभ के आने की संभावना व्यक्त की है.


कश्मीर में जारी है चिल्लई-कलां का दौर
कश्मीर फिलहाल ‘चिल्लई-कलां’ की गिरफ्त में है. यह 40 दिन का ऐसा दौर होता है जब पूरे क्षेत्र में शीतलहर चलती है और तापमान काफी गिर जाता है. प्रसिद्ध डल झील समेत जलाशयों में पानी बर्फ बन जाता है. इस दौरान ज्यादातर क्षेत्रों खासकर ऊंचाई वाले इलाकों में खूब बर्फबारी होती है


कश्मीर में चिल्लई-कलां का दौर 21 दिसंबर को शुरू होता है और उसका समापन 31 जनवरी को होता है. उसके बाद भी घाटी में शीतलहर जारी रहती है क्योंकि फिर 20 दिन के ‘चिल्लई-खुर्द’ और 10 दिन के ‘चिल्लई-बच्चा’ का दौर आता है.


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