West Bengal CM Mamata Banerjee on Adenovirus Cases: पश्चिम बंगाल में एडिनो वायरस का खतरा बढ़ता जा रहा है. अब तक कई बच्चों की मौत सांस संबंधी संक्रमण के चलते हो चुकी है. इस बीच गुरुवार (2 मार्च) को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एडिनो वायरस से निपटने के लिए राज्य सरकार की तैयारियों के बारे में बताया, साथ ही सलाह दी कि बच्चों को घर पर रखें. उन्होंने एडिनो वायरस संक्रमितों के आंकड़े भी साझा किए और बताया कि किन बच्चों का ज्यादा ध्यान रखना है. 


'बच्चों को घर पर रखें'


समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, हावड़ा में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, ''राज्य में एडिनो वायरस के 2 मामले हैं और 10 मामले पल्मोनरी हेमरेज सिंड्रोम के हैं.'' उन्होंने कहा, ''डरने की बात नहीं है क्योंकि हमने 5000 बेड की व्यवस्था की है.'' सीएम ममता ने कहा, ''चूंकि बच्चे मास्क नहीं पहन सकते इसलिए उन्हें घर पर रखें. दो साल तक के बच्चों का खास ध्यान रखना है.''


48 घंटे में 12 बच्चों की मौत


बता दें कि इससे पहले बुधवार (1 मार्च) को सात और सोमवार-मंगलवार (27-28 फरवरी) के दरमियान पांच बच्चों की मौत सांस संबंधी संक्रमण के चलते हो गई. बुधवार को स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी की ओर से कहा गया कि इस मौसम में इन्फ्लूएंजा (Influenza) जैसी बीमारियां होना आम बात है, इसलिए घबराएं नहीं. उन्होंने कहा कि जिन बच्चों की मौत हुई वे अन्य बीमारियों से भी ग्रसित थे. 


बुधवार को दी गई जानकारी के मुताबिक, पांच बच्चों की मौत कोलकाता के सरकारी अस्पतालों में हुई जबकि दो बच्चों ने बांकुड़ा सम्मिलनी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. इसी के साथ अधिकारी ने कहा कि एडिनो वायरस की पुष्टि होना बाकी है. जांच के लिए नमूने लैब में भेजे गए हैं. वहीं, मंगलवार को आंकड़ों की जानकारी देते हुए स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा था कि निमोनिया की कारण पांच बच्चों ने जानें गंवा दीं.


एडिनो वायरस और उसका इलाज?


एडिनो वायरस से ग्रसित होने पर सर्दी या फ्लू, बुखार आना और गले में खराश होना, गले में सूजन, निमोनिया, आंख आना और पेट में सूजन जैसे लक्षण नजर आते हैं. कमजोर इम्यूनिटी वाले, सांस या हृदय रोग से ग्रसित लोगों को विशेष तौर पर सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है. अमेरिकी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के मुताबिक, यह वायरस किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ शारीरिक संपर्क में आने से फैलता है. खांसी और छींक के जरिये भी यह हवा में फैल जाता है और फिर लोगों को शिकार बनाता है. वर्तमान में इससे बचाव के लिए विशेष रूप से तैयार कोई कोर्स या एंटी वायरल दवाएं उपलब्ध नहीं हैं. फिलहाल इलाज के लिए डॉक्टर पेन-किलर्स या इसके लक्षणों में उपचार के काम आने वाली दवाओं का इस्तेमाल करते हैं.


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