कोलकाताः पश्चिम बंगाल में कथित तौर पर राजनीतिक हत्याएं लगातार जारी है. राज्य में कार्यकर्ताओं की हत्या को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) दोनों एक दूसरे पर आरोप लगा रही है. पार्टी कार्यकर्ताओं की हत्या को लेकर बीजेपी आज राज्य में काला दिवस मना रही है. राजनीतिक हत्याओं के विरोध में बीजेपी ने नार्थ 24 परगना जिले के बशीरहाट में बंद बुलाया है.


ऐसा नहीं कि राज्य में हिंसा पहली बार हुई है. लोकसभा चुनाव शुरू होते ही हिंसा का दौर शुरू हो गया था. सभी चरणों के चुनाव में हिंसा की खबरें आई थी. हर चरण में कार्यकर्ता विपक्षी कार्यकर्ताओं के साथ उलझते दिखे थे.


यह हिंसा चुनाव परिणाम आने के बाद भी जारी है. हिंसा को लेकर बीजेपी राज्य के कानून व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर सवाल खड़े कर रही है. बीजेपी का आरोप है कि राज्य में राजनैतिक स्थिति काफी भयावह है.


परिणाम आने के बाद अभी तक बीजेपी के 5 से अधिक कार्यकर्ताओं की हत्या हो गई है जबकि 2 से ज्यादा टीएमसी से कार्यकर्ता मारे गए हैं. चुनाव के दौरान राज्य के अलग-अलग इलाकों से टीएमसी-बीजेपी की रैलियों झड़प देखने को मिला.


बशीरहाट में क्यों हुई हत्या?


शनिवार को बशीरहाट में बीजेपी के 3 कार्यकर्ता की हत्या हो गई. पार्टी आरोप लगा रही है कि टीएमसी समर्थकों ने बीजेपी कार्यकर्ता की हत्या की है. बीजेपी कार्यकर्ताओं के शवों को पार्टी दफ्तर ले जा रही थी लेकिन पुलिस ने पहले ही रोक दिया. जिसके बाद कार्यकर्ताओं और पुलिस में झड़प भी हुई.


बता दें कि बशीरहाट में शनिवार शाम दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं में झंडा हटाने को लेकर विवाद हुआ था. इसके बाद हिंसा में बीजेपी के 3 और टीएमसी के एक कार्यकर्ता की मौत हुई है. इस हत्या के बाद कई जिलों में तनाव की स्थिति बन गई है.


बंगाल में हिंसा पर केंद्र ने जताई चिंता


राज्य में जारी हिंसा के बीच पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात करेंगे. माना जा रहा है कि वो बंगाल के ताजा हालातों के बारे में पीएम मोदी को जानकारी देंगे. राज्य में जारी हिंसा को लेकर केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल में जारी हिंसा पर रविवार को गहरी चिंता जताई. केंद्र ने कहा कि चुनाव के बाद भी हिंसा राज्य सरकार की नाकामी लगती है.


चुनाव बाद भी नहीं रुक रहा है हत्याओं का दौर


लोकसभा चुनाव के पहले कथित तौर पर शुरू हुए राजनैतिक हत्याएं अभी भी लगातार जारी है. आए दिन राज्य में बीजेपी या टीएमसी के कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी जा रही है. दोनों दलों के नेता एक दूसरे पर आरोप लगा रहे है.


दरअसल, लोकसभा चुनाव के दौरान टीएमसी और बीजेपी के बीच खूब तनातनी देखने को मिली. चुनावी रैलियों के दौरान पीएम मोदी ममता बनर्जी पर आरोप लगाते दिखे तो वहीं ममता जवाब देती मिली. कभी ममता बनर्जी आरोप लगाती थीं तो पीएम मोदी जवाब देते थे.


चुनाव के दौरान पीएम मोदी-ममता बनर्जी एक दूसरे पर लगाते रहे आरोप


चुनावी रैलियों के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ममता बनर्जी को 'स्पीड ब्रेकर दीदी' कहकर संबोधित करते थे तो वहीं ममता बनर्जी मोदी को 'एक्सपायरी बाबू' कहकर संबोधित कर रही थीं. ममता बीजेपी पर चुनाव में सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने का आरोप भी लगाती थी. बीजेपी इसके जवाब में ममता पर ध्रुवीकरण का आरोप लगाती रही.


बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 18 सीटों पर जीत मिली है और उसे 40 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले हैं. वहीं, तृणमूल कांग्रेस को 22 सीटों पर जीत मिली है और उसे 43 फीसदी वोट मिले हैं.  जबकि 2014 में बीजेपी को महज 2 सीट मिली थी, और उसे 17 फीसदी वोट मिले थे. 2014 में टीएमसी ने 34 सीटों पर कब्जा किया था और उसका वोट प्रतिशत तकरीबन 40 फीसदी था.


कैसे बंगाल में जुबानी जंग आगजनी, हाथापाई में तब्दील हो गई और पार्टी अध्यक्ष तक निशाने पर आ गए?


पश्चिम बंगाल: 24 परगना में तनाव खत्म होने के संकेत, कार्यकर्ताओं के गांव में उनका अंतिम संस्कार करेगी बीजेपी