पश्चिम बंगाल चुनाव 2021: ब्रिगेड में हुई रैली में कौन सी पार्टी को हुआ फायदा और किसको नुकसान?
सभी राजनीतिक दलों की तरफ से सियासी समीकरण बनाकर उम्मीदवारों का चयन किया जा रहा है. इस बीच, एक दूसरे पर राजनीतिक प्रत्यारोप से इतर राज्य में रैलियां कर राजनीतिक हमले किए जा रहे हैं.
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है. आठ चरणों में होने वाले चुनावों को लेकर सभी राजनीतिक दलों की तरफ से सियासी समीकरण बनाकर उम्मीदवारों का चयन किया जा रहा है. इस बीच, एक दूसरे पर राजनीतिक प्रत्यारोप से इतर राज्य में रैलियां कर राजनीतिक हमले किए जा रहे हैं. राज्य में पीएम मोदी और ममता बनर्जी की रैली ने सियासी तापमान को बढ़ाकर रख दिया है. आइये जानते हैं ब्रिगेड में हुई रैली मे कौन सी पार्टी को फायदा हुआ और किसको नुकसान:
1-टीएमसी इस बात से खुश है कि सीपीएम के समर्थक वापस मैदान पर उतरकर लेफ्ट को समर्थन दे रहे हैं. मतलब 2019 लोकसभा चुनाव में जो वोटर्स लेफ्ट से बीजेपी में शिफ्ट हुए थे उनसे से कुछ प्रतिशत वापस लेफ्ट की तरफ आ रहे हैं. ग़म इस बात की है कि इंडियन सेक्युलर फ्रंट के समर्थक भी भारी संख्या में वहां आये थे. मतलब साफ है कि टीएमसी के मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी होने की संभावना है.
टीएमसी वोट बैंक को ISF से खतरा
2-बीजेपी इस बात से खुश है कि इंडियन सेक्युलर फ्रंट यानी अब्बास सिद्दीकी के समर्थक भारी संख्या में ब्रिगेड में आये थे, मतलब टीएमसी के मुस्लिम वोट बैंक के लिए खतरा. ग़म इस बात की कि लेफ्ट के समर्थक वापस से जाग गए तो 2019 लोकसभा चुनाव में जमीनी स्तर पर जो लेफ्ट के वोटर्स का साथ मिला था उसमें से कुछ प्रतिशत इस बार छूट सकती है.
3-सीपीएम और लेफ्ट बहुत दिनों के बाद शक्ति प्रदर्शन करने के बाद खुश है. दुख इस बात की है कि लोग कह रहे हैं कि लेफ्ट पार्टियां भी अब अब्बास सिद्दीकी जैसे धर्म के आधार पर राजनीति करने वालों के साथ हाथ मिला रही है. (हालांकि अब्बास सिद्दीकी खुद इस बात को मानने से इनकार किया है कि उनकी पार्टी धर्म के नाम पर राजनीति करने के लिए आयी है) मतलब लेफ्ट की छवि कहीं ना कहीं बहुत लोगों के सामने खराब हुई है. और इसीलिए टीएमसी के नेता और मंत्री ब्रात्य बसु ने कहा होगा कि कम्युनिस्ट ही अब कम्युनिस्ट नही रहे.
सीटों को लेकर ISF कांग्रेस में मतभेद
4-ग़म में है सिर्फ कांग्रेस, क्योंकि मुर्शिदाबाद और मालदा में उनके जो मुस्लिम वोट बैंक है वही अब सेंधमारी करेगी इंडियन सेक्युलर फ्रंट. यानी गठबंधन में उनके ही साथी तोड़ने वाली है कांग्रेस का घर. इसीलिए अब तक कांग्रेस ने ये साफ नही किया है कि कितनी सीट वो छोड़ रही है अब्बास सिद्दीकी की पार्टी को.
5-ब्रिगेड की रैली के बाद खुशी कोई पार्टी को अगर है तो वो सिर्फ अब्बास सिद्दीकी की पार्टी को. एक तो नई पार्टी है. ब्रिगेड के बाद वही इंडियन सेक्युलर फ्रंट का नाम अब सबके सामने है. दूसरी तरफ ये साबित हो गयी है कि इस बार बंगाल की चुनाव के नतीजों में अहम भूमिका निभा सकती है आईएसएफ. तो इसीलिए ब्रांड बिल्डिंग एक्सरसाइज हो जाने के बाद खुश है कोई पार्टी तो वो सिर्फ इंडियन सेक्युलर फ्रंट.
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